एक बार की बात है, सभी देवता बहुत ही मुश्किल में थे। सभी देव गण शिवजी के शरण में अपनी मुश्किलों के हल के लिए पहुंचे। उस समय भगवान शिवजी के साथ गणेश और कार्तिकेय भी वहीँ बैठे थे।
देवताओं की मुश्किल को देखकर शिवजी नें गणेश और कार्तिकेय से प्रश्न पुछा, 'तुममें से कौन देवताओं की मुश्किलों को हल करेगा और उनकी मदद करेगा।' दोनों भाई देवताओं की मदद करना चाहते थे इसलिए शिवजी नें उनके सामने एक प्रतियोगिता रखें। इस प्रतियोगिता के अनुसार दोनों भाइयों में जो भी सबसे पहले पृथ्वी की परिक्रमा करके लौटेगा वही देवताओं की मुश्किलों को हल करने में मदद करेगा।
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When Ganesha broke his tusk | Mythological Story
This is the story of why Ganesha Chaturthi came into existence. Ganesha is the God of wisdom. He loves Modaks ( a type of sweet ) a lot. One late evening Ganesha was returning home on his ride, the mouse. The mouse couldn't bear the weight of Ganesha for a long ride, as today Ganesha was carrying a lot of modak treats with him and fell down on the way.
यशोदा मां ने देखा कृष्ण के मुँह में संपूर्ण ब्रह्मांड | Mythological Story
आज कृष्ण भगवान जी की एक प्रचलित कहानी सुनाने जा रहे हैं!
एक सुबह कृष्ण अपने मित्रों के संग खेल रहे थे। बलराम ने देखा कि कृष्ण ने मिट्टी खा ली है। वे और उनके मित्र माँ यशोदा से इसकी शिकायत करने पहुँचे। बलराम ने कहा, "जल्दी चलो माँ, कृष्णा ने मिट्टी खा रहा है।"
एक सुबह कृष्ण अपने मित्रों के संग खेल रहे थे। बलराम ने देखा कि कृष्ण ने मिट्टी खा ली है। वे और उनके मित्र माँ यशोदा से इसकी शिकायत करने पहुँचे। बलराम ने कहा, "जल्दी चलो माँ, कृष्णा ने मिट्टी खा रहा है।"
How Shiva’s throat turned blue | Mythological Story
This is a very interesting story on how Shiva's throat turned blue during Samudra Manthan. During the Samudra Manthan, both Asuras and Devas were waiting for the nectar to come out of the sea as Devas did a treaty with Asuras that they will share the nectar.
गणेश जी के टूटे दांत की कहानी | Mythological Story
जब महर्षि वेदव्यास महाभारत लिखने के लिए बैठे, तो उन्हें एक ऐसे व्यक्ति की जरूरत थी, जो उनके मुख से निकले हुए महाभारत की कहानी को लिखे। इस कार्य के लिए उन्होंने श्री गणेश जी को चुना।
गणेश जी भी इस बात के लिए मान गए पर उनकी एक शर्त थी कि पूरा महाभारत लेखन को एक पल ले लिए भी बिना रुके पूरा करना होगा। गणेश जी बोले – "अगर आप एक बार भी रुकेंगे तो मैं लिखना बंद कर दूंगा।"
गणेश जी भी इस बात के लिए मान गए पर उनकी एक शर्त थी कि पूरा महाभारत लेखन को एक पल ले लिए भी बिना रुके पूरा करना होगा। गणेश जी बोले – "अगर आप एक बार भी रुकेंगे तो मैं लिखना बंद कर दूंगा।"
The Mythological Story Behind Holi Celebration | Mythological Story
This story is about a high and mighty King named Hirankashyap and his son Prahlad who was a big devotee of God Vishnu. The king wanted to be very powerful so he started praying to Brahma, the God who created the Universe. Pleased with his prayers Brahma gave him the blessing that,
He could never be killed by A Man Nor Animal,
He could not be killed Indoors or Out
He could never be killed above the ground nor on it; and neither in daylight nor in the dark.
महाशिवरात्रि की कथा | Mythological Story
एक बार पार्वती जी ने भगवान शिवशंकर से पूछा, "ऐसा कौन सा श्रेष्ठ तथा सरल व्रत-पूजन है, जिससे मृत्यु लोक के प्राणी आपकी कृपा प्राप्त कर लें?"
उत्तर में शिवजी ने पार्वती को "शिवरात्रि" के व्रत का विधान बताकर यह कथा सुनाई -
एक गाँव में एक शिकारी रहता था। पशुओं की हत्या करके वह अपने कुटुम्ब को पालता था। वह एक साहूकार का ऋणी था, लेकिन उसका ऋण समय पर न चुका सका। क्रोधवश साहूकार ने शिकारी को शिवमठ में बंदी बना लिया। संयोग से उस दिन शिवरात्रि थी।
उत्तर में शिवजी ने पार्वती को "शिवरात्रि" के व्रत का विधान बताकर यह कथा सुनाई -
एक गाँव में एक शिकारी रहता था। पशुओं की हत्या करके वह अपने कुटुम्ब को पालता था। वह एक साहूकार का ऋणी था, लेकिन उसका ऋण समय पर न चुका सका। क्रोधवश साहूकार ने शिकारी को शिवमठ में बंदी बना लिया। संयोग से उस दिन शिवरात्रि थी।
नारद जी की समस्या | Mythological Story
एक बार देवर्षि नारद अपने पिता ब्रम्हा जी के सामने “नारायण-नारायण” का जप करते हुए उपस्थित हुए और पूज्य पिताजी को दंडवत प्रणाम किया। नारद जी को सामने देख ब्रम्हा जी ने पुछा, “नारद! आज कैसे आना हुआ? तुम्हारे मुख के भाव कुछ कह रहे हैं! कोई विशेष प्रयोजन है अथवा कोई नई समस्या?”
नारद जी ने उत्तर देते हुए कहा, “पिताश्री ऐसा कोई विशेष प्रयोजन तो नहीं है, कई दिनों से एक प्रश्न मन में खटक रहा है। आज आपसे इसका उत्तर जानने के लिए उपस्थित हुआ हूँ।”
नारद जी ने उत्तर देते हुए कहा, “पिताश्री ऐसा कोई विशेष प्रयोजन तो नहीं है, कई दिनों से एक प्रश्न मन में खटक रहा है। आज आपसे इसका उत्तर जानने के लिए उपस्थित हुआ हूँ।”
जब माता दुर्गा जी ने तोड़ा देवताओं का घमंड | Mythological Story
एक बार देवताओं और दैत्यों में भयंकर युद्ध छिड़ गया। इस युद्ध में देवता विजयी हुए जिससे उनके मन में अहंकर उत्पन्न हो गया। सभी देवता स्वयं को श्रेष्ठ कहने लगे। जब माता दुर्गा ने देवताओं को इस प्रकार अहंकार से ग्रस्त होते देखा तो वे तेजपुंज के रूप में देवताओं के समक्ष प्रकट हुई। इतना विराट तेजपुंज देखकर देवता भी घबरा गए।
कैसे मिले गणेश जी अपनी सवारी मूषक से | Mythological Story
बहुत समय पहले की बात है, एक बहुत ही भयंकर असुर राजा था जिसका नाम था गजमुख। वह बहुत ही शक्तिशाली बनना चाहता था और साथ ही बहुत सारा धन प्राप्त करना चाहता था। इसके साथ वह सभी देवी देवताओं को अपने वश में करना चाहता था और सब पर राज करना चाहता था।
इस कारण से उसने भगवान शिवजी की तपस्या करने का निश्चय किया। ताकि शिवजी खुश होकर उसे उसका मन चाहा वरदान दे।
शिवजी से वरदान प्राप्त करने के लिए उसने अपना राज्य छोड़ दिया और जंगल में जाकर तपस्या करने लगा। तपस्या करने के लिए उसने भोजन लेना और पानी पीना भी बंद कर दिया।
इस कारण से उसने भगवान शिवजी की तपस्या करने का निश्चय किया। ताकि शिवजी खुश होकर उसे उसका मन चाहा वरदान दे।
शिवजी से वरदान प्राप्त करने के लिए उसने अपना राज्य छोड़ दिया और जंगल में जाकर तपस्या करने लगा। तपस्या करने के लिए उसने भोजन लेना और पानी पीना भी बंद कर दिया।
भगवान श्रीकृष्ण के जन्म की कहानी | Mythological Story
हमारे देश में जन्माष्टमी बहुत धूमधाम से मनाई जाती है। इस दिन श्री कृष्ण जी का जन्म हुआ था। इस दिन व्रत किया जाता है, खूब सारे व्रत के पकवान बनाए जाते हैं, मंदिर और घरों में पूजा की जाती है और उत्सव मनाया जाता है।
इस दिन मंदिरों में और घरों में एक दूसरे को भगवान श्री कृष्ण के जन्म की कहानी भी सुनी जाती है। आज हम आपको भी यह कहानी बताएंगे।
इस दिन मंदिरों में और घरों में एक दूसरे को भगवान श्री कृष्ण के जन्म की कहानी भी सुनी जाती है। आज हम आपको भी यह कहानी बताएंगे।
रक्षाबंधन से संबंधित पौराणिक कहानियां | Mythological Story
हमारे यहां पर रक्षाबंधन सालों से मनाया जा रहा है। इस दिन बहन अपने भाई को राखी बांधती है और साथ में मिठाई और नारियल देकर उसे तिलक करती है। बहन अपने भाई की लंबी उम्र के लिए प्रार्थना करती है। बदले में भाई अपनी बहन की रक्षा करने का वादा करता है और उससे प्यार और तोहफा देता है। यह त्यौहार भाई और बहन के प्यार को दर्शाता है।
रक्षाबंधन की शुरुआत कब से हुई इसकी कोई निश्चित जानकारी तो नहीं है परंतु पुराणों में ऐसी बहुत सारी कहानियां है जो रक्षाबंधन के पर्व को बताती है। आज हम आपसे ऐसी ही कुछ पौराणिक कहानियां शेयर करेंगे।
रक्षाबंधन की शुरुआत कब से हुई इसकी कोई निश्चित जानकारी तो नहीं है परंतु पुराणों में ऐसी बहुत सारी कहानियां है जो रक्षाबंधन के पर्व को बताती है। आज हम आपसे ऐसी ही कुछ पौराणिक कहानियां शेयर करेंगे।
रक्षाबंधन से संबंधित पौराणिक कहानियां
When Rama wanted the Moon | Mythological Story
It was the time when Rama was a small kid and his mother Kausalya also the wife of King Dasharatha was feeding him at night. It was a beautiful full moon night.
Kausalya showed Rama the full moon in the sky while feeding. Seeing this beautiful moon Rama was fascinated and started saying, "Give me that".
Kausalya showed Rama the full moon in the sky while feeding. Seeing this beautiful moon Rama was fascinated and started saying, "Give me that".
गणेश जी का जन्म | Mythological Story
एक दिन पार्वती माता को स्नान करने जाना था। परंतु वहां पर कोई भी रखवाली के लिए नहीं था। इसलिए उन्होंने स्वयं ही चंदन के लेप द्वारा एक बालक को उत्पन्न किया। माता पार्वती ने उस बालक का नाम गणेश रखा और साथ ही उसे अपना पुत्र माना।
माता पार्वती ने गणेश जी को आदेश दिया कि "मैं स्नान करने जा रही हूं। जब तक मैं स्नान करके ना आऊं, मेरी अनुमति के बिना तुम किसी को भी घर के अंदर मत आने देना।"
माता पार्वती ने गणेश जी को आदेश दिया कि "मैं स्नान करने जा रही हूं। जब तक मैं स्नान करके ना आऊं, मेरी अनुमति के बिना तुम किसी को भी घर के अंदर मत आने देना।"
अन्धी बुढिया की चतुराई से गणेशजी हुए प्रसन्न | Mythological Story
आज हम जो कहानी शेयर कर रहे हैं यह गणेश जी की बहुत ही प्रसिद्ध कहानी है। इससे ना सिर्फ कहानी के रूप में बल्कि कई व्रत में कथा के रूप में भी सुनाया जाता है।
एक अन्धी बुढिया थी जिसका एक लड़का और बहु थी। वो बहुत गरीब था। वह अन्धी बुढिया नित्यप्रति गणेश जी की पूजा किया करती थी। गणेश जी साक्षात् सन्मुख आकर कहते थे कि बुढिया माँ तू जो चाहे सो मांग ले| बुढिया कहती है, मुझे मांगना नहीं आता तो कैसे और क्या मांगू। तब गणेश जी बोले कि अपने बहु बेटे से पूछकर मांग ले।
तब बुढिया ने अपने पुत्र और बहू से पूछा तो बेटा बोला कि धन मांग ले और बहु ने कहाँ की पोता मांग लें । तब बुढिया ने सोचा कि यह तो अपने-अपने मतलब की बातें कर रहे है।अतः इस बुढिया ने पड़ोसियों से पूछा तो, पड़ोसियों ने कहा कि बुढिया तेरी थोड़ी सी जिंदगी है। क्यूँ मांगे धन और पोता, तू तो केवल अपने नेत्र मांग ले जिससे तेरी शेष जिंदगी सुख से व्यतीत हो जाए।
एक अन्धी बुढिया थी जिसका एक लड़का और बहु थी। वो बहुत गरीब था। वह अन्धी बुढिया नित्यप्रति गणेश जी की पूजा किया करती थी। गणेश जी साक्षात् सन्मुख आकर कहते थे कि बुढिया माँ तू जो चाहे सो मांग ले| बुढिया कहती है, मुझे मांगना नहीं आता तो कैसे और क्या मांगू। तब गणेश जी बोले कि अपने बहु बेटे से पूछकर मांग ले।
तब बुढिया ने अपने पुत्र और बहू से पूछा तो बेटा बोला कि धन मांग ले और बहु ने कहाँ की पोता मांग लें । तब बुढिया ने सोचा कि यह तो अपने-अपने मतलब की बातें कर रहे है।अतः इस बुढिया ने पड़ोसियों से पूछा तो, पड़ोसियों ने कहा कि बुढिया तेरी थोड़ी सी जिंदगी है। क्यूँ मांगे धन और पोता, तू तो केवल अपने नेत्र मांग ले जिससे तेरी शेष जिंदगी सुख से व्यतीत हो जाए।
When Hanuman wanted the Sun | Mythological Story
This story is from an incident from Hanuman's childhood times. Hanuman was the son of Anjana and Kesari. But as he was also born by the grace of Vayu (God of Wind) he is also known as Pavanputra (Vayu's son).
Krishna and Sudama Eternal Friendship | Mythological Story
When people think about True Friendship, Krishna & Sudama is always talked about. Sudama was a Brahmin man but he was very poor. He couldn't even feed his children every day because of money.
One day his wife told him,"Even if we remain hungry at least our children should be able to get food to eat."
Sudama was poor but he didn't like to take any favors. He felt hurt by his wife's statement. He said, "What can be done? We can't ask for favors from anybody."
Sudama's wife replied, "Krishna is a good friend of yours. You have been saying that you have a deep bond of friendship with him. He is the King of Dwarka, so why don't you go to him? There won't be any need to ask for anything there."
Sudama found wisdom in the words of his wife. He decided to go to Dwarka & said, "I'll definitely go to Krishna but what should I take along with his children?"
One day his wife told him,"Even if we remain hungry at least our children should be able to get food to eat."
Sudama was poor but he didn't like to take any favors. He felt hurt by his wife's statement. He said, "What can be done? We can't ask for favors from anybody."
Sudama's wife replied, "Krishna is a good friend of yours. You have been saying that you have a deep bond of friendship with him. He is the King of Dwarka, so why don't you go to him? There won't be any need to ask for anything there."
Sudama found wisdom in the words of his wife. He decided to go to Dwarka & said, "I'll definitely go to Krishna but what should I take along with his children?"
वैभव लक्ष्मी व्रत कथा | Vaibhav Laxmi Vrat Katha In Hindi | Mythological Story | Vrat Katha
यह कहानी जो मैं आज आपके साथ शेयर कर रही हूं, यह वास्तव में एक कथा है जो कि वैभव लक्ष्मी व्रत में पढ़ी जाती है। बचपन से ही मेरी माँ हर शुक्रवार को यह व्रत करती थी और यह कहानी पढ़ती थी इस कारण से आज भी यह कहानी मेरे लिए बहुत ही विशेष है। हमने इस कहानी में कोई भी परिवर्तन नहीं किया है, जैसा पुस्तक में दी हुई थी एकदम वैसी की वैसी ही यह कहानी हमने लिखी है।
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