2. जो मन को नियंत्रित नहीं करते उनके लिए वह शत्रु के सामान कार्य करता है।
3. मनुष्य अपने विश्वास से निर्मित होता है। जैसा वह विश्वास करता है वैसा वह बन जाता है।
4. व्यक्ति जो चाहे बन सकता है यदि वह विश्वास के साथ इच्छित वस्तु पर चिंतन करें।
5. कर्म मुझे बांधता नहीं, क्यूंकि मुझे कर्म के प्रतिफल की कोई इच्छा नहीं।
आशा करती हूं आपको श्रीमद्भागवत गीता यह छोटे उपदेश पसंद आए होंगे। अगर आप लोगों के पास भी उपदेश हो तो हमें नीचे कमेंट सेक्शन में लिखकर जरूर बताएं। आप हमें ईमेल भी कर सकते हैं। हम जल्दी ही एक नई कहानी के साथ आपसे मिलते हैं, तब तक अपना ध्यान रखें और खुश हुई।
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