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गौरैया और घमंडी हाथी | पंचतंत्र

बहुत समय पहले की बात है। एक खूबसूरत जंगल में बहुत से पशु-पक्षी रहते थे। उसी जंगल के एक बड़े से पेड़ पर गौरैया अपने पति के साथ रहती थी। गौरैया स्वभाव में अच्छी थी, उसका पति भी महंती था। उन दोनों ने अपना छोटा सा घोंसला बना रखा था, जिसमें गौरैया ने तीन अंडे भी दिए हुए थे। हर दिन उसका पति खाना ढूंढने के लिए बाहर जाता और गौरैया अपने अंडों की रक्षा करती। वह अंडे में से चूजों के निकलने का बेसब्री से इंतजार कर रही थी।

मूर्ख बातूनी कछुआ | पंचतंत्र

एक तालाब में एक कछुआ रहता था। उसी तालाब में दो हंस भी तैरने आया करते थे। हंस बहुत हंसमुख और मिलनसार स्वभाव के थे, इसलिए कछुए और हंस में दोस्ती होते देर नहीं लगी। कुछ ही दिनों में वे बहुत अच्छे दोस्त बन गएं। हंसों को कछुए का धीरे-धीरे चलना और उसका भोलापन बहुत अच्छा लगता था।

चतुर खरगोश और शेर | पंचतंत्र

बहुत समय पहले, एक घने जंगल में एक बहुत बड़ा शेर रहता था। वह रोज शिकार पर निकलता और हर दिन जानवरों का शिकार करता। जंगल के जानवर डरने लगे कि अगर शेर इसी तरह शिकार करता रहा तो एक दिन ऐसा आयेगा कि जंगल में कोई भी जानवर नहीं बचेगा। पूरे जंगल में शेर का डर बैठ गया। शेर को रोकने के लिये कोई न कोई उपाय करना ज़रूरी था।

चतुर खरगोश और शेर | पंचतंत्र


गौरैया चिड़िया और चार बंदर | पंचतंत्र

एक जंगल में एक पेड़ पर गौरैया का घोंसला था। एक दिन कड़ाके की ठंड पड़ रही थी। ठंड से कांपते हुए चार बंदरो ने उसी पेड़ के नीचे आश्रय लिया। वह चारों बंदर मूर्ख थे पर अपने आप को विद्वान समझते थे।

एक बंदर बोला "कहीं से आग तापने को मिले तो ठंड दूर हो सकती हैं।"
दूसरे बंदर ने सुझाया "देखो, यहां कितनी सूखी पत्तियां गिरी पड़ी हैं। इन्हें इकट्ठा कर हम ढेर लगाते हैं और फिर उसे सुलगाने का उपाय सोचते हैं।"

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बेचारी जूं और दुष्ट खटमल | पंचतंत्र

एक राजा के शयनकक्ष में मंदरीसर्पिणी नाम की जूं ने डेरा डाल रखा था। रोज रात मैं जब राजा सो जाते तब वह चुपके से बाहर निकलती और राजा का खून चूसकर फिर अपने स्थान पर जा छिपती।

संयोग से एक दिन अग्निमुख नाम का एक खटमल भी राजा के शयनकक्ष में आ पहुंचा। जूं ने जब उसे देखा तो उसे वहां से चले जाने को कहा। उसने अपने अधिकार-क्षेत्र में किसी अन्य का दखल सहन नहीं था।

लेकिन खटमल भी कम चतुर न था, वह बोलो, "देखो, मेहमान से इस तरह बर्ताव नहीं किया जाता, मैं आज रात तुम्हारा मेहमान हूं।"

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मूर्ख मित्र | पंचतंत्र

बहुत समय पहले की बात है, एक राज्य में एक राजा का राज था। एक दिन उसके दरबार में एक मदारी एक बंदर लेकर आया। उसने राजा और सभी दरबारियों को बंदर का करतब दिखाकर प्रसन्न कर दिया। बंदर मदारी का हर हुक्म मनाता था, जैसा मदारी बोलता, बंदर वैसा ही करता था।

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साधु और ठग | पंचतन्त्र

प्राचीन समय की बात है, एक छोटे से गाँव के मंदिर में देव शर्मा नाम का एक प्रतिष्ठित साधु रहता था। गाँव में सभी साधु का सम्मान करते थे। गांव के लोग उन्हें दान में वस्त्र, उपहार, खाद्य सामग्री और पैसे देते थे। धीरे-धीरे साधु के पास काफी धन इकट्ठा हो गया था। उस धन को वह एक बड़ी सी पोटली में बांधकर हमेशा अपने साथ रखते थे।

धन काफी बढ़ गया था, साधु को चिंता होने लगी थी। साधु कभी किसी पर विश्वास नहीं करते थे और हमेशा अपने धन की सुरक्षा के लिए चिंतित रहते थे। दूसरे गांव जाने से उन्हें डर लगता कि कहीं कोई उनकी पोटली चुरा ना ले।

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चालाक सियार और सीधे ऊँठ की कहानी | पंचतन्त्र

एक बार एक जंगल में एक शेर था, जो वहाँ राज करता था। उसका नाम महाराज था। उसके पास एक सियार और एक कौवा काम करते थे। हमेशा की तरह वे लोग जंगल में घूम रहे थे। तभी शेर ने कुछ दूरी पर एक ऊँठ को देखा, यह ऊँठ अपने कारवाँ से बिछड़ गया था और अपना गुजारा जंगल की हरी घास खाकर कर रहा था।

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चालाक बगुला और समझदार केकड़ा | पंचतन्त्र

एक बड़ी झील के किनारे एक बगुला रहता था। झील में मछलियाँ और अन्य जलजीव रहते थे। बगुला बहुत बूढ़ा होने के कारण मछलियाँ नहीं पकड़ पाता था। धीरे-धीरे उसकी सेहत बिगड़ने लगी।

इससे बचने के लिए उसने एक योजना बनाई। वह झील के किनारे बैठ गया और रोने लगा। यह देखकर केकड़े को उस पर दया आ गई और उसने बगुले से पूछा, आप मछलियाँ पकड़ने की बजाय रो क्यो रहे हैं?

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चालाक लोमड़ी और मूर्ख कौआ | पंचतन्त्र

एक जंगल में एक लोमड़ी रहती थी। वो बहुत ही भूखी थी। वह अपनी भूख मिटाने के लिए भोजन की खोज में इधर - उधर घूमने लगी। उसने सारा जंगल छान मारा, जब उसे सारे जंगल में भटकने के बाद भी कुछ न मिला, तो वह गर्मी और भूख से परेशान होकर एक पेड़ के नीचे बैठ गई।

चूहा और साधु | पंचतन्त्र

महिलरोपयम नामक एक दक्षिणी शहर के पास भगवान शिव का एक मंदिर था। वहां एक पवित्र ऋषि रहते थे और मंदिर की देखभाल करते थे। वे भिक्षा के लिए शहर में हर रोज जाते थे, और भोजन के लिए शाम को वापस आते थे। वे अपनी आवश्यकता से अधिक एकत्र कर लेते थे और बाकि का बर्तन में डाल कर गरीब मजदूरों में बाँट देते थे, जो बदले में मंदिर की सफाई करते थे और उसकी सजावट का काम किया करते थे।

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चार गहरे मित्र और शिकारी | पंचतन्त्र

एक खूबसूरत जंगल था। वहां पर बहुत सारे पशु पक्षी रहते थे। उसी जंगल में चार दोस्त भी रहते थे। एक कौआ, कछुआ, हिरण और चूहा, यह चारों गहरे मित्र थे।

एक बार जंगल में एक शिकारी आया और उसने पेड़ के नीचे एक जाल बिछा दिया। उसी पेड़ के नीचे से हिरण निकल रहा था। हिरण का पैर उस जाल पर जा लगा और वह उस में फंस गया।

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तीन मछलियों की कहानी | पंचतन्त्र

एक समय की बात है एक विशाल जंगल में बहुत ही सुंदर तालाब था। उस तालाब में सुंदर-सुंदर छोटी-बड़ी मछलियां सालों से रह रही थी। उन सारी मछलियों में तीन सुनहरी मछलियां थी, जिनका नाम था अनीता, सुनीता और वनीता। यह तीनों गहरी दोस्त थी और अपने परिवारों के साथ वही पर रहती थी।

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