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तीन मछलियों की कहानी | पंचतन्त्र

एक समय की बात है एक विशाल जंगल में बहुत ही सुंदर तालाब था। उस तालाब में सुंदर-सुंदर छोटी-बड़ी मछलियां सालों से रह रही थी। उन सारी मछलियों में तीन सुनहरी मछलियां थी, जिनका नाम था अनीता, सुनीता और वनीता। यह तीनों गहरी दोस्त थी और अपने परिवारों के साथ वही पर रहती थी।

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रोज़ यह मछलियां भोजन इकट्ठा करती, अपने घर की देखभाल करती और जब भी वक्त मिलता तालाब किनारे आराम किया करती। उन तीनों को रोज तालाब के किनारे एक दूसरे के साथ वक्त बिताना अच्छा लगता। यही सिलसिला सालों तक चलता रहा वह रोज काम करती, घर संभालती और एक दूसरे के साथ तालाब के किनारे वक्त बिताती।

एक दिन वहां से दो आदमी गुजर रहे थे। तभी उन दोनों की नजर उस तालाब पर पड़ी। उन लोगों ने देखा कि इस तालाब में तो बहुत सारी छोटी-बड़ी मछलियां हैं। यह देखकर पहले आदमी ने दूसरे से कहा कि "भाई यहां पर तो बहुत सारी मछलियां हैं, अगर हम इन्हें पकड़ ले तो महीनों तक भोजन नहीं तलाशना पड़ेगा।"

"कल ही हम आकर इन सारी मछलियों को पकड़कर ले जाएंगे।" यह सारी बात अनीता, सुनीता और वनीता सुन रही थी। उन तीनों मछलियों को यह बात सुनकर बहुत दुःख हुआ और साथ में अपने भविष्य के लिए चिंता भी हुई। उन तीनों मछलियों ने बाकी सारी मछलियों को यह बात जल्द से जल्द बताना उचित समझा।

वह तीनों मछलियां जल्दी अपने घर पर लौटी। सुनीता और वनीता ने सारी मछलियों को इकट्ठा किया और एक सभा रखी। अनीता ने सारी मछलियों को बताया कि उन लोगों ने तालाब के किनारे उन दो आदमियों की क्या बातें सुनी।

यह तीनों मछलियां बहुत ही समझदार थी। उन तीनों ने बाकी मछलियों को भी समझाया की "हमें जल्द से जल्द तालाब के इस किनारे से दूर चले जाना चाहिए। अगर वह दो आदमी कल आ गए तो हम सब बच नहीं पाएंगे।"

इस पर बाकी मछलियां बोली कि "हम तो सालों से तालाब के इसी किनारे रह रहे हैं। हम किसी नई जगह नहीं जाना चाहते, यही हमारा घर है, हम इसे क्यों छोड़ कर जाएं। जब आज तक कोई मुसीबत नहीं आई है, तो अब क्यों आएगी।"

तीनों मछलियां उन्हें समझाती रही की यहां रहना खतरनाक हो सकता है। इस पर बाकी मछलियां बोली कि जो होगा वह देखा जाएगा हम तो यह जगह नहीं छोड़ सकते, तुम लोगों को जाना है तो तुम चले जाओ।

बहुत समझाने पर भी जब कोई नहीं माना तो अनीता, सुनीता और वनीता ने तय किया कि वह अपने परिवार के सहित यह जगह छोड़ देंगे। और तालाब के किसी दूसरे किनारे चले जाएंगे, जो यहां से दूर हो।

रात में ही है तीनों मछलियां अपना सारा सामान और परिवार सहित वहां से निकलने के लिए तैयार हो गई। बाकी सारी मछलियों ने उन्हें देखकर उनका मजाक उड़ाया और कहा कि यह तो बहुत ही डरपोक मछलियां हैं। अनीता, सुनीता और वनीता समझदार मछलियां थी, उन्होंने बाकी मछलियों की बात को दिल से नहीं लगाया और तालाब के उस किनारे से दूर चली गई।

अगले दिन वह दोनों आदमी और भी मछुआरों के साथ जाल लेकर आ गए। उन्होंने बहुत बड़ा सा जाल तालाब के किनारे डाल दिया और देखते ही देखते सारी छोटी और बड़ी मछलियां उस जाल में फंस गई। कोई भी मछली बच नहीं पाई। बस अनीता, सुनीता और वनीता ही बची थी, क्योंकि उन्होंने रात में ही तालाब का वह किनारा छोड़ दिया था।

शिक्षा :- 

प्यारे दोस्तों! "जिंदगी में कभी किसी चीज से अगर खतरा महसूस हो, तो अपने आप को बचाना बहुत जरूरी है। भले ही उसके लिए फिर हमें उस चीज से दूर ही क्यों ना रहना पड़े। वह कहते हैं ना "मुश्किल समय में सही निर्णय लेना बेहद जरूरी है।"

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"धन्यवाद।"

Story By :- Khushi
Inspired By :- Panchatantra
Post By :- Khushi

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