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नंदी जी कैसे बने भगवान शिव के वाहन? | Mythological Story
भगवान शिव को तीसरी आंख कैसे मिली? | Mythological Story
आज हम आपको भगवान शिव जी के एक प्रसिद्ध कहानी बताने जा रहे हैं कि उन्हें अपनी तीसरी आंख कैसे मिली? आइए पढ़ते हैं!
श्री हनुमान क्यों हुए सिंदूरी | Mythological Story
Story of How Hanuman Met Sita | Mythological Story
Arjuna’s Focus | Mythological Story
भगवान विष्णु को कैसे मिला सुदर्शन चक्र? | भगवान विष्णु को किसने दिया था सुदर्शन चक्र? | Mythological Story
अगर आपने भगवान विष्णु का चित्र देखा है तो आपने देखा होगा कि उनके एक हाथ की उंगली में हमेशा 'सुदर्शन चक्र' रहता है। कहा जाता है कि सुदर्शन चक्र उनका एक ऐसा शस्त्र है जिसे वह जब दानवों पर चलाते थे, तो वह दानवों को मार कर वापस भगवान विष्णु की उंगली में आ जाता था। आइए जानते हैं कि आखिर कैसे भगवान विष्णु उनका यह "सुदर्शन चक्र" मिला!
क्यों दिया गणेश जी ने चंद्रमा को श्राप ?? | Mythological Story
आज हम आपको भगवान गणेश जी की एक और प्रसिद्ध कहानी सुनाने जा रहे हैं। पौराणिक कथाओं के अनुसार एक बार धन के देवता कुबेर भगवान शिव और माता पार्वती के पास अपने यहां भोजन करने के लिए आमंत्रित करने कैलाश पर्वत पहुंचे। लेकिन शिवजी कुबेर की मंशा को समझ गए थे कि वे सिर्फ अपनी धन-संपत्ति का दिखावा करने के लिए उन्हें अपने महल में आमंत्रित कर रहे हैं। इसीलिए उन्होंने कुछ महत्वपूर्ण कार्य में उलझे होने का कारण बताते हुए आने से मना कर दिया। अब जहां भगवान शंकर नहीं जाएंगे जाहिर सी बात है, वहां माता पार्वती का क्या काम तो माता पार्वती ने उन्हें ये बोलकर मना कर दिया कि अगर उनके पतिदेव नहीं जाएंगे तो वो भी नहीं जाएंगी। ऐसे में कुबेर दुखी हो गए और भगवान शिव से प्रार्थना करने लगे। तब शिव जी मुस्कुरा कर बोले कि आप मेरे पुत्र गणेश को ले जाएं।
Ganesha And Kartikeya Race Story | Mythological Story
श्री कृष्ण और घमंडी कालिया नाग की कहानी | Mythological Story
भगवान शिव जी के जन्म की कथा! | Mythological Story
आपको यह जानकर आश्चर्य होगा कि शिव भगवान का का जन्म नहीं हुआ है वे 'स्वयंभू' हैं। लेकिन पुराणों में उनकी उत्पत्ति का विवरण मिलता है। विष्णु पुराण के अनुसार ब्रह्मा भगवान विष्णु की नाभि कमल से पैदा हुए जबकि शिव भगवान विष्णु के माथे के तेज से उत्पन्न हुए बताए गए हैं। विष्णु-पुराण के अनुसार माथे के तेज से उत्पन्न होने के कारण ही शिव हमेशा योगमुद्रा में रहते हैं।