पुरातन काल में, भगवान कृष्ण बचपन में बहुत चंचल और प्यारे थे। उन्हें कई नामों से पुकारा जाता था, जैसे कन्हैया, श्याम, नंदलाला, और गोपाल। हर नाम के पीछे एक कहानी है, और आज की कहानी कृष्ण के 'गोविंद' नाम के बारे में है।
जब कृष्ण छोटे थे, वे अक्सर गायों को चराने के लिए वन में ले जाते थे। एक दिन, जब वे गायों को घास चराने के लिए गहरे जंगल में ले गए, तो एक अद्वितीय घटना घटी। वहाँ कामधेनु नाम की एक दिव्य गाय आई, जो स्वर्गलोक से आई थी।
कामधेनु ने कृष्ण के सामने आकर कहा, “हे कृष्ण, मैं कामधेनु हूँ, एक दिव्य गाय जो स्वर्ग से आई है। मैं आपकी धरती पर गायों के प्रति स्नेह और सुरक्षा से बहुत प्रभावित हूँ। मैं आपको सम्मानित करने के लिए एक पवित्र अभिषेक करना चाहती हूँ।”
कृष्ण ने मुस्कुराते हुए उसे अनुमति दी। कामधेनु ने पवित्र जल से कृष्ण का अभिषेक किया, और यह समारोह अत्यंत पवित्रता और श्रद्धा से भरा हुआ था।
अभिषेक के बाद, इंद्रदेव अपने अद्भुत हाथी एरावत पर सवार होकर वहां पहुंचे। इंद्रदेव ने कृष्ण से कहा, “कृष्ण, आपके पुण्य और गायों की सुरक्षा के प्रति आपके समर्पण के कारण, अब से लोग आपको ‘गोविंद’ के नाम से जानेंगे। यह नाम आपके गायों के प्रति प्रेम और आपके धार्मिक गुणों की निशानी होगा।”
इस प्रकार, इस दिव्य आशीर्वाद और मान्यता के बाद, कृष्ण को 'गोविंद' नाम से जाना जाने लगा, जो उनके विशेष स्थान और दिव्य गुणों को दर्शाता है।
नैतिक शिक्षा -
"यह कहानी भगवान कृष्ण के गायों की रक्षा और पालन के प्रति उनके अनन्य समर्पण को दर्शाती है। 'गोविंद' नाम उनके धार्मिक कर्तव्यों और उनके साथियों के प्रति उनके प्यार को प्रतिध्वनित करता है। यह सिखाती है कि सच्ची मान्यता हमारे कर्मों और हमारे चारों ओर के संसार पर हमारे प्रभाव से आती है।"
Story Inspired By - Mythological Krishna's Stories
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