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श्याम को समझ आया लक्ष्य का महत्व! | Inspirational Story

एक बार राम और श्याम नाम के दो मछुआरे थे, वह रोज नदी में मछलियां पकड़ने जाते थे। मछलियों को बेचकर जो रुपए मिलते उससे वह अपना घर चलाते।

हर दिन राम पूरी तैयारी के साथ मछलियों को पकड़ने के लिए समय पर पहुंच जाता, वह अपने साथ काटा और बाकी सभी सामान लेकर आता। वहीं दूसरी ओर श्याम आराम से आता और पूरी तैयारी से नहीं पहुंचता। 

श्याम को समझ आया लक्ष्य का महत्व! | Inspirational Story

साधु राम और साधु घनश्याम | Inspirational Story

बहुत समय पहले की बात है एक छोटे से गांव में नदी किनारे दो साधुओं की झोपड़ी थी; एक का नाम था राम और दूसरे का घनश्याम। वह दोनों साधु सुबह उठकर मंदिर में जा कर पूजा करते और फिर भिक्षा मांगने के लिए गांव के हर घर जाते। उनका जीवन इसी तरह पूजा-पाठ और भिक्षा मांग कर चल रहा था। 

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बुद्धिमान साधु से राजा हुए प्रसन्न! | Inspirational Story

बहुत पुराने समय की बात है। एक राज्य में दयालु और समझदार राजा राज्य करता था। एक बार उसी राज्य में एक बुद्धिमान साधु आया। साधु ने राजमहल के द्वार पर खड़े द्वारपालों से बोला, "राजा को जाकर बताइए कि उनका भाई उनसे मिलने आया है।"

देखने वालों की सोच | Inspirational Story

काजल एक प्यारी सी 8 साल की लड़की थी। वह स्वभाव से हंसमुख और गुणवंती थी। नए विद्यालय में काजल का प्रवेश हुआ और पहले दिन विद्यालय जाने के लिए वह काफी उत्सुक थी।
परंतु पहला दिन उसके लिए निराशाजनक रहा। किसी भी विद्यार्थी ने उससे बात नहीं की और ना ही कोई उससे घुला-मिला। कुछ समय विद्यालय में यूं ही चलता रहा।

टिम्मी ने सिखाया पापा को समस्या का दूसरा पहलू देखना! | Inspirational Story

टिम्मी एक 7 साल की चंचल लड़की थी। उसकी गर्मियों की छुट्टियां बस शुरू हुई थी। उसके पापा नेवी में थे, जो ज्यादातर बाहर रहते थे और कुछ दिनों के लिए ही घर आ पाते थे। टिम्मी के पापा इन दिनों घर आए हुए थे, इस बात से टिम्मी बहुत खुश थी। वह दिन-भर अपने पापा से बात करा करती थी, उन्हें 1 मिनट के लिए भी अकेला नहीं छोड़ती थी।

आखिर भगवान पंडित जी को बचाने क्यों नहीं आए? | Inspirational Story

बहुत समय पहले की बात है। एक गांव में एक खूबसूरत कृष्ण भगवान जी का मंदिर था, उस मंदिर की सेवा एक पंडित जी करते थे। पंडित जी भगवान के बड़े भक्त थे और दिन-रात भगवान की पूजा किया करते थे। उस गांव के सभी लोग पंडित जी की बहुत इज्जत करते थे।

पंडित जी दिन-रात सुबह-शाम भगवान की पूजा किया करते थे और भक्ति में लीन रहते थे। उनका मानना था कि जब तक भगवान उनके साथ हैं उन्हें किसी चीज का डर नहीं। अगर कोई मुसीबत आ भी गई तो भगवान उन्हें बचा लेंगे। इसी तरह से सब कुछ कुशल-मंगल चल रहा था।

आखिर भगवान पंडित जी को बचाने क्यों नहीं आए? | Inspirational Story

सच बोलने की हिम्मत | स्वामी विवेकानंदा जी

स्वामी विवेकानंदा प्रारंभ से ही एक मेधावी छात्र थे और सभी उनके व्यक्तित्व और वाणी से प्रभावित रहते थे। जब वो साथी छात्रों से कुछ बताते तो सब मंत्रमुग्ध होकर उन्हें सुनते।

एक दिन इंटरवल के दौरान वो कक्षा में कुछ मित्रों को कहानी सुना रहे थे, सभी उनकी बातें सुनने में इतने मग्न थे की उन्हें पता ही नहीं चला की कब मास्टर जी कक्षा में आये और पढ़ाना शुरू कर दिया।
मास्टर जी ने अभी पढ़ाना शुरू ही किया था कि उन्हें कुछ फुसफुसाहट सुनाई दी।

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हाथी की हार | Inspirational Story

एक बार एक पत्रकार, एक गांव में हाथियों के विषय में लिखने के लिए गया था। उसे देखकर हैरानी हुई कि बड़े-बड़े हाथी छोटी सी रस्सी से बंधे हुए हैं और कुछ नहीं कर रहे हैं। पत्रकार ने हाथियों के मालिक से जाकर बात की। पत्रकार ने मालिक से पूछा -'आखिर कैसे हाथी जैसा बड़ा सा ताकतवर जानवर छोटी सी रस्सियाँ से बंधा हुआ है और वह रस्सी तोड़ने के लिए कुछ भी नहीं कर रहा है?'

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आजादी का महत्त्व | Inspirational Story

आज 15 अगस्त के अवसर पर हम आपको एक बहुत ही प्रचलित कहानी सुनाने जा रहे हैं जो कि हमें आजादी का महत्व बताती है।

एक तालाब में बहुत सारे मेंढक रहते थे। उन सभी मेंढक को के पास भरपुर आजादी थी, कोई रोक-टोक करने वाला नहीं था और ना ही कोई उन पर शासन करने वाला था। पर मेंढक खुश नहीं थे, वह सभी हमेशा असंतोष में रहते थे। एक दूसरे से लड़ाई करते थे, एक दूसरे की बुराई करते थे, उनकी जिंदगी बस शिकायत करने पर ही बीत रही थी। उन सभी मेंढक को की नजर में उनकी आजादी की कोई कीमत नहीं थी। बल्कि उन सबको अपनी आजादी खलने लगी थी। उन्हें लगता था कि अगर कोई ओर हम पर राज्य करेगा तो जिंदगी ज्यादा आसानी से बीतेगी।

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दो मेंढक | Inspirational Story

किसी तालाब के किनारे एक पेड़ के नीचे दो मेंढक रहते थे। एक दिन उन दोनों ने सोचा हमने तो बाहर की दुनिया देखी ही नहीं, जंगल के बाहर भी तो कुछ होगा। चलो, जरा इंसानों की दुनिया में घूमकर आते हैं।

यह विचार कर वे दोनों फुदकते जंगल की सीमा को पार करके शहर पहुँच गए। वहाँ उन्होंने बहुत-कुछ देखा, बड़ी-बड़ी ऊंची इमारतें, प्रदूषण फैलाते हुए वाहन, रोटी कमाने की दौड़ में भागते हुए लोग, खेलकुद और पढ़ाई में मस्त नन्हें-नन्हें बच्चे। हर तरफ शोर ही शोर।

दो मेंढक | Inspirational Story

पत्थर की असली कीमत | Inspirational Story

एक हीरे के व्यापारी थे, जिन्हें हीरे का बहुत बड़ा विशेषज्ञ भी माना जाता था, किन्तु गंभीर बीमारी के चलते अल्प आयु में ही उसकी मृत्यु हो गयी। अपने पीछे वह अपनी पत्नी और बेटा छोड़ गया।

जब बेटा बड़ा हुआ तो उसकी माँ ने कहा- "बेटा! मरने से पहले तुम्हारे पिताजी तुम्हारे लिए ये पत्थर छोड़ गए थे, तुम इसे लेकर बाज़ार जाना है और इसकी कीमत पता लगानी है, ध्यान रहे कि तुम्हे केवल कीमत पता करनी है, इसे बेचना नहीं है।"

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धरती फट रही है! | Inspirational Story

बहुत समय पहले की बात है किसी जंगल में एक गधा बरगद के पेड़ के नीचे लेट कर आराम कर रहा था। लेटे-लेटे उसके मन में बुरे ख़याल आने लगे, उसने सोचा, "यदि धरती फट गयी तो मेरा क्या होगा?" अभी उसने ऐसा सोचा ही था कि उसे एक जोर के धमाके की आवाज़ आयी। वह भयभीत हो उठा और चीखने लगा, "भागो-भागो धरती फट रही है, अपनी जान बचाओ!!"  और ऐसा कहते हुए वह पागलों की तरह एक दिशा में भागने लगा।


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ग्लास को नीचे रख दीजिये | Inspirational Story

एक बार एक प्रोफेसर अपनी क्लास में आए। उन्होंने क्लास में बीच में आकर, अपने हाथ में पानी से भरा हुआ एक ग्लास लिए। उस ग्लास को ऊपर उठाते हुए उन्होंने अपने स्टूडेंट से पूछा- " आपके हिसाब से ग्लास का कितना वजन होगा?"

स्टूडेंट्स ने उत्तर दिया, कुछ ने कहा- 50 ग्राम, कुछ ने 100 ग्राम और कुछ ने 125 ग्राम कहां।

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ज़िन्दगी के पत्थर, कंकड़ और रेत | Inspirational Story

एक समय की बात है एक कॉलेज में फिलॉस्फी के प्रोफेसर अपना लेक्चर लेने के लिए आए। उनके हाथ में बैग भी था, जिसमें काफी सारी चीजें रखी हुई थी। वह बैग उन्होंने क्लास के बीच में रखी हुई टेबल पर रख दिया।

क्लास जैसे ही शुरू हुई, उन्होंने उस बैग में से एक बड़ा कांच का जार निकाला। वह जार खाली था।

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एक बाल्टी दूध | Inspirational Story

एक समय की बात है। एक राजा के राज्य में महामारी फैल गई थी और उसके कारण कई लोग बीमार पड़ गए। राज्य में चारों और दुख का माहौल था।

राजा ने महामारी को रोकने के लिए कई उपाय करवाएं मगर कोई असर नहीं हुआ। दुखी राजा को लगा कि अब बस ईश्वर ही मदद कर सकते हैं और वह ईश्वर की प्रार्थना करने लगा। तभी आकाश में अचानक से आकाशवाणी हुई। "हे राजन तुम्हारे राज्य के बीचो-बीच एक पुराना सुखा कुआं है। यदि अमावस्या की रात को तुम्हारे राज्य के प्रत्येक घर से एक-एक बाल्टी दूध उस कुएं में डाला जाएगा तो अगली सुबह यह महामारी समाप्त हो जाएगी और सारे लोग स्वस्थ हो जाएंगे।"

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केवल लक्ष्य पर ध्यान लगाओ | स्वामी विवेकानंदा जी

आज मैं आप लोगों के साथ स्वामी विवेकानंद जी की कहानी शेयर कर रही हूं। यह कहानी उनके जीवन की घटना पर आधारित है और मुझे बेहद पसंद है।

एक बार स्वामी विवेकानंद अमेरिका में भ्रमण कर रहे थे। अचानक! एक जगह से गुजरते हुए, उन्होंने पुल पर खड़े कुछ लड़कों को, नदी में तैर रहे अंडे के छिलकों पर बन्दूक से निशाना लगाते देखा। किसी भी लड़के का एक भी निशाना सही नहीं लग रहा था। तब उन्होंने ने एक लड़के से बन्दूक ली और खुद निशाना लगाने लगे। उन्होंने पहला निशाना लगाया और वो बिलकुल सही लगा, फिर एक के बाद एक उन्होंने कुल 12 निशाने लगाए। सभी बिलकुल सटीक लगे।


सब्र का फल | Buddha's Inspirational Story

बात उस समय की है जब महात्मा बुद्ध विश्व भर में भ्रमण करते हुए बौद्ध धर्म का प्रचार कर रहे थे और लोगों को ज्ञान दे रहे थे।

एक बार महात्मा बुद्ध अपने कुछ शिष्यों के साथ एक गाँव में भ्रमण कर रहे थे। उन दिनों कोई वाहन नहीं हुआ करते थे, सो लोग पैदल ही मीलों की यात्रा करते थे। ऐसे ही गाँव में घूमते हुए काफ़ी देर हो गयी थी।

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डर का सामना | स्वामी विवेकानंदा जी

यह कहानी स्वामी विवेकानंदा जी के अनुभव से प्रेरित है।
एक समय की बात है स्वामी विवेकानंदा जी बनारस में दुर्गा जी के मंदिर से निकल रहे थे। उस मंदिर के सामने बहुत सारे बंदर उपस्थित थे। स्वामी जी को देखते ही सारे बंदरों ने उन्हें घेर लिया। धीरे-धीरे सारे बंदर स्वामी जी के नजदीक आकर उन्हें डराने लगे।

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शिवा और उसके तीन प्रश्न | Inspirational Story

एक समय की बात है। एक गांव में एक आश्रम था, जहां गुरु जी अपने बहुत सारे शिष्यों के साथ रहते थे।

एक बार एक शिवा नामक शिष्य काफी परेशान था। वह मन ही मन कुछ सोच रहा था। गुरुजी की उस पर नजर पड़ी और उन्होंने कहा- "शिष्य क्या बात है, तुम इतने परेशान क्यों दिख रहे हो?"  इस पर शिवा शिष्य ने कहा कि गुरु जी मेरे मन में तीन सवाल है, जो मुझे बहुत ही परेशान कर रहें है।

तुम कब रुकोगे? | गौतम बुद्ध

मगध राज्य में एक सोनापुर नाम का गाँव था। उस गाँव के लोग शाम होते ही अपने घरों में आ जाते थे और सुबह होने से पहले कोई घर के बाहर कदम भी नहीं रखता था । इसका कारण एक खूंखार डाकू था ।

डाकू मगध के जंगलों की गुफा में रहता था । वह लोगों को लूटता था और जान से भी मार देता था। लोगों को डराने के लिए वह जिसे भी मारता उसकी एक ऊँगली काट लेता और उन उँगलियों की माला बनाकर पहनता। इसलिए उसका नाम अंगुलिमाल पड़ा। गाँव के सभी लोग परेशान थे। इस डाकू के आतंक से छुटकारा चाहते थे।