यह विचार कर वे दोनों फुदकते जंगल की सीमा को पार करके शहर पहुँच गए। वहाँ उन्होंने बहुत-कुछ देखा, बड़ी-बड़ी ऊंची इमारतें, प्रदूषण फैलाते हुए वाहन, रोटी कमाने की दौड़ में भागते हुए लोग, खेलकुद और पढ़ाई में मस्त नन्हें-नन्हें बच्चे। हर तरफ शोर ही शोर।
वे दोनों बहुत थक चुके थे। उनका दिल कर रहा था कि उन्हें पानी मिल जाए और वे एक गीली जगह पर थोड़ा आराम कर लें। पानी की तलाश में वे एक दूध वाले की दुकान मे घुस गए। वहाँ एक बाल्टी रखी थी। उन्हें लगा कि इस बाल्टी में पानी होना चाहिए। फिर क्या था झट से दोनों नें एक ऊँची छलांग लगाई और पहुँच गए बाल्टी के अंदर।
लेकिन यह क्या? बाल्टी में तो पानी नही था वह तो मलाई से भरी हुई थी। बेचारे दोनों मेंढक उस मलाई में डूबने लगे। उनका दम घुटने लगा।
एक मेंढक ने सोचा! 'मेरा तो अंतिम समय आ गया है। हाय रे मेरी किस्मत। शहर आकार इन अनजान लोगों के बीच ही मरना था।' उसने अपने ईश्वर को याद किया और मौत का इंतजार करने लगा।
लेकिन दूसरा मेंढक हार मानने को तैयार ही नही था। वह कोशिश करने लगा कि किसी तरह उस मलाई वाली बाल्टी से बाहर निकल आए। वह अपने पैर ज़ोर से चलाने लगा। बहुत कोशिश करने पर भी वह बार-बार फिसल जाता। फिर भी उसने अपना दिल छोटा नही किया। हिम्मत का दामन नही छोड़ा। वह लगातार कोशिश करता रहा और अपने पैर लगातार चलाता रहा।
तभी अचानक उसने देखा कि वह ऊपर उठने लगा। उसके लगातार ज़ोर-ज़ोर से पैर चलाने से मलाई भी लगातार हिल रही थी और वह मक्खन बनने लगी। मेंढक में उम्मीद की लहर दौड़ गई।
मक्खन के ढेर पर सवार वह साहसी मेंढक ऊपर उठने लगा। और आखिर में जब मक्खन पूरा बन गया, तब ही उस साहसी मेंढक ने बाल्टी से बाहर छलांग लगा दी। अपनी हिम्मत, लगन, मेहनत और जीने की उमंग के कारण वह बच गया। लेकिन निराशावादी मेंढक उसी मलाई की बाल्टी में डूबकर मर गया।
शिक्षा -
प्यारे दोस्तों! "जी हां! यह बिल्कुल सही है कि कोशिश करने वालों की कभी हार नहीं होती। बुद्धि और बल दोनों ही जरूरी है लेकिन उससे भी जरूरी है हिम्मत, इसलिए कभी कोई मुसीबत आए तो कोशिश करना ना छोड़े और हिम्मत से काम ले।"
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Story By - Inspirational Stories by Internet
Post By - Khushi
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