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डर का सामना | स्वामी विवेकानंदा जी

यह कहानी स्वामी विवेकानंदा जी के अनुभव से प्रेरित है।
एक समय की बात है स्वामी विवेकानंदा जी बनारस में दुर्गा जी के मंदिर से निकल रहे थे। उस मंदिर के सामने बहुत सारे बंदर उपस्थित थे। स्वामी जी को देखते ही सारे बंदरों ने उन्हें घेर लिया। धीरे-धीरे सारे बंदर स्वामी जी के नजदीक आकर उन्हें डराने लगे।

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इतने सारे बंदरों को एक साथ देकर, स्वामी जी भयभीत हो गए और वहां से भागने लगे। स्वामी जी को दौड़ता हुआ देख सारे बंदर भी उनके पीछे पीछे दौड़ने लग गए। जहां-जहां विवेकानंदा जी जाते वहां वहां बंदर भी उनका पीछा करने लगते।

वहीं पास पर एक वृद्ध सन्यासी खड़े हुए थे। वह सब देख रहे थे, उन्होंने स्वामी जी से कहा "रुको! उन बंदरों से डर कर मत भागो, उनका सामना करो।" 

विवेकानंदा जी ने उस व्रत सन्यासी की बात सुनी। वह वहीं रुक कर तुरंत बंदरों की तरफ पलट कर खड़े हो गए। उन्होंने जैसे ही बंदरों की तरफ अपना कदम बढ़ाया तो सारे बंदर डर कर वहां से भाग गए।

इस घटना से स्वामी विवेकानंदा जी ने सीखा और कई सालों बाद उसे संबोधित भी किया। "यदि तुम कभी किसी चीज से भयभीत हो, तो उससे भागो मत, पलटो और उस समस्या का सामना करो।"

शिक्षा :- 

प्यारे दोस्तों! "समस्या से घबराकर भाग जाना कोई समाधान नहीं है। अपने समस्या को पूरी दृढ़ता के साथ सामना करें, समस्या अपने आप ही खत्म हो जाएगी।" 

आशा करते हैं दोस्तों, के आपको यह स्वामी विवेकानंदा जी की कहानी पसंद आई होगी। यदि हां तो प्लीज हमें नीचे कमेंट सेक्शन में जरूर बताएं, साथ ही हमारी इस पोस्ट को शेयर भी करना ना भूलें। अगर आप लोगों के पास भी स्वामी विवेकानंदा जी की कोई कहानी हो तो हमें जरूर भेजें। अपना ध्यान रखिए और हमेशा खुश रहिए, हम आपसे जल्द ही अगली कहानी में मिलते हैं।

Story By :- Khushi
Inspired By :- Swami Vivekananda Ji Life Events
Post By :- Khushi

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