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आखिर भगवान पंडित जी को बचाने क्यों नहीं आए? | Inspirational Story

बहुत समय पहले की बात है। एक गांव में एक खूबसूरत कृष्ण भगवान जी का मंदिर था, उस मंदिर की सेवा एक पंडित जी करते थे। पंडित जी भगवान के बड़े भक्त थे और दिन-रात भगवान की पूजा किया करते थे। उस गांव के सभी लोग पंडित जी की बहुत इज्जत करते थे।

पंडित जी दिन-रात सुबह-शाम भगवान की पूजा किया करते थे और भक्ति में लीन रहते थे। उनका मानना था कि जब तक भगवान उनके साथ हैं उन्हें किसी चीज का डर नहीं। अगर कोई मुसीबत आ भी गई तो भगवान उन्हें बचा लेंगे। इसी तरह से सब कुछ कुशल-मंगल चल रहा था।

आखिर भगवान पंडित जी को बचाने क्यों नहीं आए? | Inspirational Story

एक समय, बारिशों का मौसम चल रहा था और जरूरत से ज्यादा बारिश होने के कारण गांव में बाढ़ आ गई थी। चारों और पानी भरने लगा, गांव के सभी लोगों ने अपनी जान बचाने के लिए गांव छोड़कर पहाड़ के ऊपर जाने का सोचा।

उन सब लोगों ने पंडित जी से भी अपने साथ चलने को कहा। उस पर पंडित जी बोले, "आप लोग जाइए मुझे तो भगवान बचा लेंगे!"
लोग पंडित जी से आग्रह करने लगे कि पंडित जी पानी बहुत बढ़ गया है, कृपा हमारे साथ चले और अपनी जान बचाएं।
इस पर पंडित जी बोले, "आप लोग मेरी चिंता ना करें मुझे अपने भगवान पर पूरा भरोसा है वह मुझे बचा लेंगे। आखिर मैंने उनकी दिन-रात पूजा की है।"

पानी तेजी से गांव में बढ़ता जा रहा था और गांव के लोग पहाड़ की तरफ बढ़ने लगे। जब उन्होंने पीछे मुड़कर देखा तो पंडित जी अभी भी मंदिर में ही बैठे हुए थे। गांव वालों ने पंडित जी को आवाज लगा कर बोला कि आइए पंडित जी हमारे साथ पहाड़ पर चलिए।

इस पर पंडित जी फिर बोले, "आप लोग जाइए मुझे तो मेरा भगवान आकर बचा लेगा।" लोगे यह सुनकर एक-एक कर के पहाड़ के ऊपर चढ़ने लगे।

मंदिर पानी में डूबना शुरू हो गया था और पंडित जी भी डूबने लगे थे, यह देख कुछ लोग दौड़कर आए पंडित जी को बचाने के लिए और उन्हें अपने साथ चलने को कहा।
पंडित जी ने उन लोगों के साथ चलने के लिए मना कर दिया और कहा कि मैं कहीं नहीं जाऊंगा, मुझे तो मेरा भगवान आकर बचा लेगा, तुम सब जाओ।
पंडित जी का हट देख, सभी लोग वहां से लौट गए और अपनी जान बचाने के लिए जल्दी-जल्दी पहाड़ पर चढ़ गए।

देखते ही देखते मंदिर पानी में पूरा डूब गया और पंडित जी भी डूब गए और उनकी मृत्यु हो गई। गांव के सभी लोगों को यह देख बहुत बुरा लगा और उन्होंने सोचा कि काश पंडित जी हमारी बात मान लेते तो आज उन्हें अपनी जान नहीं गवानी पड़ती।

मरने के बाद पंडित जी स्वर्ग पहुंचे और भगवान से शिकायत करने लगे, "भगवान जी! मैंने पूरी जिंदगी सच्चे मन से आप की पूजा अर्चना की, फिर भी जब मैं मुसीबत में था तो आप मुझे बचाने क्यों नहीं आए। सब लोग मुझे अपने साथ चलने के लिए बोलते रहे, पर मैंने फिर भी सब से यही कहा कि भगवान आकर मुझे बचा लेंगे। परंतु आप नहीं आए और मुझे अपनी जान गवानी पड़ी।"

यह सब सुनकर भगवान ने मुस्कुराते हुए पंडित जी से कहा, "पंडित! तुमने दिल से मेरी सेवा की और मैं भी तुम्हें बेहद पसंद करता करता हूं। जब तुम मुसीबत में थे तो मैंने बार-बार तुम्हें मदद भेजी। हर बार जब लोग तुम्हें आकर उनके साथ चलने के लिए कहते थे तो वह मदद मेरे ही द्वारा भेजी गई हुई होती थी। पर हर बार जब मैं तुम्हें बचाने का अवसर देता था तो तुम यह बोल कर टाल देते थे कि भगवान आकर मुझे बचाएंगे। दुनिया में इतने सारे लोग हैं तो आखिर में एक वक्त पर सबके पास कैसे जा सकता हूं। मैं तो अलग-अलग रूप में इंसान की मदद के लिए अवसर भेजता हूं, अब तो यह इंसान पर निर्भर करता है कि वह उस अवसर का लाभ उठाता है या नहीं।"

भगवान की बात सुनकर पंडित जी को अपनी गलती का एहसास हुआ और उन्हें समझ आ गया कि हमें कोई भी अवसर अपने हाथ से छोड़ना नहीं चाहिए। उन्हें समझ आ गया था कि भगवान ने उन्हें बचाने की बहुत कोशिश की पर उन्होंने ही अपने अवसरों पर ध्यान नहीं दिया।

शिक्षा -


प्यारे दोस्तों! "जिस तरह पंडित जी अपने अवसरों को देखकर उन्हें पहचान नहीं पाते, ठीक उसी तरह कई बार जिंदगी में आए हुए अवसरों को हम नहीं पहचान पाते और वह हमारे हाथ से निकल जाते हैं। अवसर उस समय के तरह होते हैं जिसका काटा लगातार चलता रहता है, एक बार वह हमारे हाथ से निकल गए तो फिर वह वापस नहीं आते। अगली बार जब भी आपके सामने अवसर रूपी समय का कांटा आए तो उसे अपने हाथ से निकलने ना दे। याद रखें भगवान उन्हीं की सहायता करता है जो खुद स्वयं की सहायता करने के लिए मेहनत करते हैं।"

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Story By - Khushi
Inspired By - Old Tales
Post By - Khushi

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