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आंखों वाले अंधे | अकबर-बीरबल

एक बार राजा अकबर ने अपनी राज्य सभा के सभी दरबारियों से पूछा - "हमारे राज्य में आंख वाले अधिक हैं या अंधे, इनमें से किस की संख्या अधिक है?"
सभी दरबारी चिंतित थे। वह एक दूसरे से पूछने लगे, "दोनों में से कौन ज्यादा है यह कैसे बताएं?"

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उसी समय बीरबल भी दरबार में पहुंचे। जैसे ही वह बैठने लगे, राजा अकबर ने बीरबल से भी यही सवाल पूछा, "बताओ हमारे राज्य आंखों वाले अधिक है या अंधे?"
बीरबल ने कहा "हुजूर! मैं आपको ऐसे लोगों की संख्या तो नहीं बता सकता, लेकिन यह सच है कि अपने राज्य में अंधों की बजाए आंखों वाले अंधे ज्यादा है।"

"आंखों वाले अंधे यह क्या होता है? और तुम यह किस आधार पर कह रहे हो। क्या तुम अपनी बात साबित कर सकते हो?", अकबर ने कहा।
"जी हां हुजूर! आप मुझे कुछ दिनों की मोहलत दे, मैं आपको आंखों वाले अंधों की संख्या बता दूंगा", बीरबल ने कहा।

दूसरे दिन बीरबल ने अपने घर के सामने चारपाई बिछा दी। चारपाई बनी हुई नहीं थी, इसलिए बीरबल वहीं बैठ कर उसकी बुनाई करने लगे। उन्होंने एक आदमी को अपने पास किताब और कलम देकर बिठा लिया।

थोड़ी देर में पूरे शहर में यह बात हवा की तरह फ़ैल गई की बीरबल रास्ते में बैठकर चारपाई की बुनाई कर रहे हैं। नगर के लोग एक-एक करके वहां आने लगे। जो भी आता वह बीरबल से पूछता, "अरे! आप यह क्या कर रहे हैं?"
जो भी बीरबल से सवाल पूछता, उसका नाम बीरबल अपने पास बैठे हुए आदमी को किताब में लिखने को कहते। किताब के पन्ने में शाम तक एक लंबी सूची बन गई, जिसमें काफी लोगों के नाम शामिल थे।
बीरबल रास्ते में बैठकर चारपाई की बुनाई जारी राखी। अब तो यह बात दरबार में भी पहुंच गई। दूसरों की तरह राजा को भी यह जानकर आश्चर्य हुआ। वह बीरबल को देखने पहुंचे।

"अरे बीरबल! तुम यह क्या कर रहे हो?", राजा अकबर ने पूछा।
बीरबल ने प्रश्न सुनकर भी कोई जवाब नहीं दिया, लेकिन अपने पास बैठे हुए आदमी से कह दिया की वह राजा का नाम भी सूची में सबसे पहले लिख दे।

दूसरे दिन बीरबल दरबार पहुंचे, उन्होंने आंखों वाले अंधे लोगों के नाम की सूची राजा को दे दी।
राजा ने जब सबसे ऊपर अपना नाम पड़ा तो वह बौखला गए कि यह क्या है?
बीरबल ने कहा, " आपने मुझसे जो आंखों वाले अंधों के संख्या जानने के लिए काम दिया था, यह उसी काम की सूची है। यह सारे लोग हमारी प्रजा में आंखें होते हुए भी अंधे हैं।"
"क्या, तो फिर तुमने मेरा नाम क्यों लिखा? हम कुछ समझे नहीं", अकबर ने कहा।

बीरबल ने समझाते हुए कहा -
"महाराज! मैं घर के बाहर बैठकर चारपाई की बुनाई कर रहा था। जो भी वहां आ-जा रहा था, वह मेरा यह काम देख रहा था, फिर भी हर कोई मुझसे पूछ रहा था कि तुम यह क्या कर रहे हो? इनमें से हर कोई देख सकता था फिर भी बार-बार यह सवाल पूछते गए की आखिर में क्या कर रहा हूं?"
"यह आखों वाले अंधे नहीं हुए तो क्या हुआ? इसलिए इन सभी का नाम मैंने सूची में लिखा है।"
"जब आप वहां आए तो आपने भी मुझे देख कर यही सवाल पूछा इसलिए सबसे ऊपर आपका नाम लिखा है।"
"मेरी नजर में यह सभी लोग आंखों वाले अंधे हैं और इनकी संख्या हमारे राज्य के अंधों से ज्यादा है।"

राजा अकबर यह सब सुनकर जोर जोर से हंसने लग, उन्होंने पूरे दरबार में सभी के सामने बीरबल की प्रशंसा की और उन्हें इनाम दिया।

शिक्षा -


प्यारे दोस्तों! "यह वाकई सच है! कुछ लोग आंखें होते हुए भी अंधों के जैसे व्यवहार करते हैं। बेहतर यही होगा की हर चीज में आश्चर्यचकित होने की जगह, हम उसे ध्यान से देखें और समझें कि क्या हो रहा है।"

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Story By - Akbar Birbal Stories
Post By - Khushi

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