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टिम्मी ने सिखाया पापा को समस्या का दूसरा पहलू देखना! | Inspirational Story

टिम्मी एक 7 साल की चंचल लड़की थी। उसकी गर्मियों की छुट्टियां बस शुरू हुई थी। उसके पापा नेवी में थे, जो ज्यादातर बाहर रहते थे और कुछ दिनों के लिए ही घर आ पाते थे। टिम्मी के पापा इन दिनों घर आए हुए थे, इस बात से टिम्मी बहुत खुश थी। वह दिन-भर अपने पापा से बात करा करती थी, उन्हें 1 मिनट के लिए भी अकेला नहीं छोड़ती थी।


एक सुबह उसके पापा को ऑफिस का कुछ काम करना था, वह अपने ऑफिस रूम में गए और एकांत में काम करने लगे। थोड़ी देर में ही टिम्मी पापा के ऑफिस रूम में पहुंचकर फिर से उनसे बातें करने लगी। उसके पापा ने उसे समझाते हुए कहा कि बेटा मुझे बहुत काम है, मैं तुमसे थोड़ी देर बाद बातें करूंगा। पर टिम्मी नहीं समझी, वह अभी भी पापा के रूम में खेल रही थी और बातें करे जा रही थी।

पापा समझ गए कि अगर वह काम करना चाहते हैं तो उन्हें टिम्मी को व्यस्त करना होगा। पापा ने टिम्मी से उसकी पुरानी कलरिंग बुक्स मंगाई। टिम्मी अपनी कलर की एक बुक लेकर आई, उस बुक में काफी सारे चित्र बने हुए थे, जानवरों के, घरों के, देश के, आदि।

पापा ने थोड़ी देर तक उस बुक को देखा फिर उसमें से एक पन्ना फाड़ा, और टिम्मी से कहा, "देखो बेटा! यह चित्र ताजमहल का है, मैं उसके छोटे-छोटे टुकड़े कर रहा हूं, इन सारे छोटे टुकड़ों को मैं एक कटोरी में डाल दूंगा और तुम्हें इन सब को जोड़कर फिर से ताजमहल की फोटो बनानी है।" पापा ने खूब सारे छोटे टुकड़े करें और उन्हें कटोरे में डालकर टिम्मी को दे दिया।

टिम्मी वह कटोरी लेकर अपने कमरे में चली गई। पापा इस बात से खुश थे कि उन्होंने टिम्मी को व्यस्त कर दिया था। अब वह 4-5 घंटे आराम से अपना काम कर सकते थे। पर यह क्या अभी आधा घंटा भी नहीं हुआ था और टिम्मी फिर से पापा के रूम में आ गई। "पापा देखे मैंने सारे टुकड़ों को जोड़कर ताजमहल की फोटो फिर से बना दी है", यह बोलते हुए टिम्मी ने पन्ना पापा के हाथ पर रख दिया।

पापा आश्चर्यचकित हो गए, आखिर टिम्मी ने इतनी जल्दी इस फोटो को कैसे बना लिया, उन्होंने तो काफी छोटे टुकड़े किए हुए थे और इसे बनाना इतना आसान भी ना था। उन्होंने टिम्मी से पूछा, "क्या तुम इस गेम को पहले भी खेल चुकी हो, तुमने इतना कठिन काम इतनी जल्दी से कैसे कर दिया।"
टिम्मी ने मुस्कुरा कर कहा, "क्या पापा! यह तो बहुत ही आसान सा गेम था। आपने जो मुझे ताजमहल की फोटो दी थी उसके पीछे वाले पन्ने में एक बिल्ली की फोटो बनी हुई थी। मैंने तो फटाफट उस बिल्ली के फोटो को जोड़ दिया और अपने आप ताजमहल की फोटो भी बन गई।"

इतना बोल कर टिम्मी वहां से चली गई और जाकर अपने दोस्तों के साथ गार्डन में खेलने लगी। पापा टिम्मी की बात सुनकर हैरान थे। आज उनकी छोटी सी बेटी ने उन्हें जिंदगी का बड़ा सबक बताया था। आज उनकी बेटी ने उन्हें सिखाया था कि हर चीज के दो पहलू होते हैं। अगर आपको कोई बड़ी समस्या आ जाए तो उसके दूसरे पहलू पर गौर करें और तुरंत आपको उसका रास्ता मिल जाएगा। पापा को आज अपनी बेटी पर गर्व था, उन्हें समझ आ गया था कि उनकी बेटी आगे चलकर बहुत तरक्की करेगी क्योंकि उसे समस्या का दूसरा पहलू भी देखना आता है।

शिक्षा -


प्यारे दोस्तों! "कई बार हमारी जिंदगी में जब बड़ी समस्या आ जाती है तो हमें ऐसा लगता है कि उस से निजात पाना तो असंभव है, पर अगर हम शांत मन से समस्या के दूसरे पहलू पर भी गौर करेंगे तो हमें कोई ना कोई रास्ता मिल ही जाएगा, जैसे टिम्मी ढूंढ लेती है। अब अगली बार कभी आपको किसी समस्या का सामना करना पड़े तो यह मत भूलिएगा की हर चीज के दो पहलू होते हैं।"

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Story By - Khushi
Inspired By - Internet
Post By - Khushi

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