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आजादी का महत्त्व | Inspirational Story

आज 15 अगस्त के अवसर पर हम आपको एक बहुत ही प्रचलित कहानी सुनाने जा रहे हैं जो कि हमें आजादी का महत्व बताती है।

एक तालाब में बहुत सारे मेंढक रहते थे। उन सभी मेंढक को के पास भरपुर आजादी थी, कोई रोक-टोक करने वाला नहीं था और ना ही कोई उन पर शासन करने वाला था। पर मेंढक खुश नहीं थे, वह सभी हमेशा असंतोष में रहते थे। एक दूसरे से लड़ाई करते थे, एक दूसरे की बुराई करते थे, उनकी जिंदगी बस शिकायत करने पर ही बीत रही थी। उन सभी मेंढक को की नजर में उनकी आजादी की कोई कीमत नहीं थी। बल्कि उन सबको अपनी आजादी खलने लगी थी। उन्हें लगता था कि अगर कोई ओर हम पर राज्य करेगा तो जिंदगी ज्यादा आसानी से बीतेगी।

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एक बार उसी तालाब में भगवान प्रकट हुए। सभी मेंढक भगवान के पास जाकर जोर जोर से टर-टर करने लगे। उन सब ने भगवान से विनती की कि "हे प्रभु! आप किसी को हमारा राजा बना दीजिये जो हम पर शासन करें और इस तालाब को संभाल ले।"

मेढ़को की बात को सुनकर भगवान को आश्चर्य हुआ। उन्होंने मन में सोचा कि इन मूर्ख मेंढक को अपनी आजादी की कोई कदर नहीं है, इसलिए राजा मांग रहे हैं जो उन पर शासन करें।

भगवान ने सोचा कि मेंढको को मजा चखाना चाहिए ताकि इन्हें अपनी आजादी की कीमत समझ आए। तालाब के पास एक पेड़ था, उस पेड़ में से भगवान ने एक लकड़ी दिखाते हुए कहा कि यह लो आज से यह तुम्हारा राजा है। मेढक राजा को पाकर बहुत ही खुश हो गए और अब वो लकड़ी को राजा समझ कर उसकी पूजा करते और उससे दूर-दूर रहते।

कुछ दिन यूं ही बीत गए, पर राजा अपनी जगह से न हिला न डुला। ये सब देख मेंढक सोच में पढ़ गए कि यह आखिर कैसा राजा है, जो ना हिलता है ना डुलता है, ना कुछ खाता है और ना ही कुछ पीता है।

कुछ मेंढक हिम्मत कर के पेड़ के पास पहुंचे, उन्होंने ध्यान से अपने राजा को देखा। पर अभी भी राजा न हिलाना ना कुछ बोला। यह देख मेंढको का डर कम हो गया। अब उन्होंने राजा के और पास तक जाकर देखा तो उन्हें समझ आया कि "यह तो एक लकड़ी है।"

ये सब देख वो सब मेंढक मिल कर भगवान के पास गए और बोले – "हे प्रभु! आपने हमे ये कैसा राजा दिया है, यह तो न हिलता है, न ही डुलता है, न कुछ भोजन करता है, न ही अपराधी को सजा देता है, और न ही किसी बहादुर को कोई इनाम देता है। आप कृपया कर हमे एक ऐसा राजा दीजिये, जो हम पर राज्य करें, हमसे बात करें, जो चालक हो, हमारी रक्षा करें। जिसमें राजा के सारे गुण हो।"

यह सब सुनकर भगवान समझ गए कि इन मेंढको को मजा चखाने का कोई मतलब नहीं है, इन्हें तो अब सबक सिखाना ही होगा ताकि य समझ सके की आजादी का क्या महत्व होता है। भगवान ने मेढ़को से कहा कि आज से यह सारस तुम्हारा राजा है।

जैसे ही सारस मेढ़को के तालाब में पंहुचा, तालाब में हाहाकार मच गया। सभी मेढक यहाँ वह भागने लगे, क्योकि सारस ने मेंढको को खाना शुरू कर दिया था। मेढ़क इससे बहुत ही ज्यादा चिंतित हो गए। वे सभी फिर से भगवान के पास गए और वहां जाकर विनती की, "हे प्रभु! आपने जो राजा बनाया है, वह एक-एक कर के हमें खा रहा है। कृपा हमसे हमारा राजा वापस ले लीजिए, वह अत्याचारी है। हमें वापस से मुक्ति दिलाई है।"

यह सब सुनकर भगवान बोले, "जब तुम आजाद थे, तब तुम्हें आजादी का मतलब समझ नहीं आता था। तुम एक दूसरे से लड़ते थे, हमेशा आशांति बनाकर रखते थे। तब तुम्हें एक राजा चाहिए था जो तुम्हें रोके-टोके।"

यह सब सुन मेढ़को ने भगवान से इस गलती के लिए क्षमा मांगी और वादा किया कि आज से वह अपनी आजादी का दुरुपयोग नहीं करेंगे। उन्होंने भगवान से विनती की क्या आप कृपा करके हमेशा हमारे राजा से बचाइए। उन्हें अपनी आजादी का महत्व समझ में आ गया था।

भगवान समझ गए की अब इन मेढ़को को आजादी का असली महत्व समझ आ गया है, भगवान ने सारस को वापस बुला लिया। उस दिन के बाद से सारे मेंढक अच्छे से रहने लगे, अब वह न लड़ते झगड़ते थे और एक दूसरे के साथ अच्छे से रहते थे।

शिक्षा -


प्यारे दोस्तों! "आज-कल कुछ लोग यह भूल गए हैं कि आज़ादी का क्या महत्व होता है, वह अपनी आजादी का दुरुपयोग करने लगे हैं। याद रखें आजादी का दुरुपयोग करने से स्वयं की हानि होती है साथ ही आसपास का माहौल बिगड़ता है।"

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हम जल्द ही आपसे अगली कहानी के साथ मिलेंगे। तब तक अपना ध्यान रखिए और खुश रहें।

Story By - Khushi
Inspired By - Old Popular Tales
Post By - Khushi

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