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साधु राम और साधु घनश्याम | Inspirational Story

बहुत समय पहले की बात है एक छोटे से गांव में नदी किनारे दो साधुओं की झोपड़ी थी; एक का नाम था राम और दूसरे का घनश्याम। वह दोनों साधु सुबह उठकर मंदिर में जा कर पूजा करते और फिर भिक्षा मांगने के लिए गांव के हर घर जाते। उनका जीवन इसी तरह पूजा-पाठ और भिक्षा मांग कर चल रहा था। 

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दोनों साधु हमेशा राम-राम जपते रहें। दोनों को पौधे लगाने का बहुत शौक था इसलिए उन दोनों ने अपनी-अपनी झोपड़ी के सामने छोटे-छोटे फूल और पेड़ लगाए हुए थे। दोनों को अपनी झोपड़ी से प्यार था। वह दोनों हर शाम को अपने-अपने घर के सामने बैठते, नदी को निहारते, और राम-राम जपते। 

साधु राम हमेशा हर चीज में अच्छा देखता, वही साधु घनश्याम जीवन से इतना खुश नहीं था। साधु घनश्याम को हमेशा लगता कि उसके झोपड़ी कितने छोटी है, वह दिन भर भगवान की पूजा करता है फिर भी उसे खाने के लिए सिर्फ दो वक्त की रोटी ही मिल पाती थी। 

एक बार गांव में बाढ़ आई! दोनों साधुओं का घर नदी के एकदम नजदीक था इस कारण से उनका घर टूट गया, पेड़-पौधे भी तहस-नहस हो गए। जिस वक्त बाढ़ आई थी उस वक्त गांव के सभी लोग पहाड़ की चोटी पर जाकर बैठ गए थे, ताकि पानी में डूबे नहीं। अगली सुबह जब मौसम ठीक हुआ तो सब लोग अपने-अपने घर पहुंचे।

जब साधु घनश्याम ने अपना घर देखा तो जोर-जोर से रोने लगा। उसने कहा, "हे भगवान! मैंने हमेशा तुम्हारी प्रार्थना की फिर भी आज बाढ़ में तुमने मेरा घर तहस-नहस कर दीया।"

वही जब साधु राम ने अपना घर देखा तो कहा, "हे भगवान! तुम कितने अच्छे हो! इतनी भयानक बाढ़ में भी मेरा आधा घर ही टूटा, तुमने मेरा आधा घर बचा लिया। मेरे आधे पेड़-पौधों को बचा लिया। सबसे बड़ी बात कि तुमने मेरी जान बचा ली। अगर मैं भी घर के अंदर मौजूद होता तो बाढ़ में बह जाता। तुम्हारा बहुत-बहुत धन्यवाद!" 

जब पूरा गांव सूख गया और मौसम पूरी तरीके से ठीक हो गया तो साधु राम ने अपना घर पुनः बनाना शुरू कर दिया। एक ही महीने में उसने खुश मन से और कड़ी मेहनत कर के अपनी झोपड़ी फिर से बना ली। अपने खराब हुए पेड़-पौधों को भी उसने सही करना शुरू कर दिया। 

वहीं दूसरी ओर साधु घनश्याम अभी भी इस बात से बहुत नाराज था कि उसका घर टूटा क्यों। उसने सोचा कि मेहनत करने का क्या मतलब है जब वह खराब ही होना है। एक महीना होने के बाद भी उसके पास अभी तक उसकी झोपड़ी नहीं थी क्योंकि उसने अब दूसरी बार मेहनत करने से मना कर दिया था।

शिक्षा - 


प्यारे दोस्तों! "कभी-कभी जिंदगी में बहुत मेहनत करने के बाद भी हमारा काम बिगड़ जाता है या नहीं हो पाता। इससे हमें हार नहीं माननी चाहिए। अपने मन में आशा की ज्योत जलानी चाहिए और फिर से कड़ी मेहनत करनी चाहिए। साथ में जो भी हमारे पास है उसके लिए हमेशा ईश्वर को धन्यवाद देना चाहिए।" 

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Story By - Khushi
Inspired By - Internet

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