एक समय की बात है। एक राजा के राज्य में महामारी फैल गई थी और उसके कारण कई लोग बीमार पड़ गए। राज्य में चारों और दुख का माहौल था।
राजा ने महामारी को रोकने के लिए कई उपाय करवाएं मगर कोई असर नहीं हुआ। दुखी राजा को लगा कि अब बस ईश्वर ही मदद कर सकते हैं और वह ईश्वर की प्रार्थना करने लगा। तभी आकाश में अचानक से आकाशवाणी हुई। "हे राजन तुम्हारे राज्य के बीचो-बीच एक पुराना सुखा कुआं है। यदि अमावस्या की रात को तुम्हारे राज्य के प्रत्येक घर से एक-एक बाल्टी दूध उस कुएं में डाला जाएगा तो अगली सुबह यह महामारी समाप्त हो जाएगी और सारे लोग स्वस्थ हो जाएंगे।"
राजा ने यह बात सुनते ही तुरंत राज्य में घोषणा करवाई कि "महामारी से बचने के लिए अमावस्या की रात को हर घर से कुएं में एक-एक बाल्टी दूध डाला जाना अनिवार्य है।
राज्य के लोग अमावस्या की रात की राह देखने लगे। सभी घर से एक बाल्टी दूध उन्हें अमावस्या की रात में कुएं में डालना था।
उसी राज्य में एक चालाक एवं कंजूस बुढ़िया रहती थी। उसने सोचा कि सारे लोग कुएं में दूध डालेंगे ही, यदि वह दूध की जगह एक बाल्टी पानी डाल दे तो किसे पता चलेगा। इससे उसका दूध भी बच जाएगा और उस पर कोई दोष भी नहीं आएगा।
उस बुढ़िया ने अमावस्या की रात में दूध की जगह एक बाल्टी पानी कुएं में चुपचाप डाल दिया।
अगले दिन सुबह होते ही राजा बहुत खुश थे। उन्हें लग रहा था कि आज से महामारी खत्म हो जाएगी। मगर ऐसा नहीं हुआ लोग अभी भी बीमार हो रहे थे। राजा को समझ नहीं आ रहा था कि जब आकाशवाणी के मुताबित सबने एक बाल्टी दूध कुएं में डाल दिया है तो महामारी क्यों नहीं खत्म हुई।
राजा ने निश्चय किया कि वह खुद कुएं के पास जाकर देखेंगे कि आखिर क्या कारण है कि अभी तक महामारी खत्म नहीं हुई। जब राजा कुएं के पास पहुंचे तो वह यह देख कर हैरान हो गए कि कुआं दूध से नहीं बल्कि पूरा का पूरा पानी से भरा हुआ था। उस कुएं में एक भी बूंद दूध की मौजूद नहीं थी और राजा को समझ आ गया इसी कारण से महामारी खत्म नहीं हुई है।
दरअसल ऐसा इसलिए हुआ था क्योंकि जो विचार उस कंजूस बुढ़िया के मन में आया था। वही विचार पूरे राज्य के लोगों के मन में आ गया था। सभी लोगों ने दूध की जगह उस कुएं में पानी डाल दिया था। किसी भी घर से एक बाल्टी दूध भी उस कुएं में नहीं गया।
दोस्तों! अगर आपको यह कहानी पसंद आई हो तो प्लीज हमें कमेंट सेक्शन में लिखकर बताएं और साथ ही इसे शेयर भी कीजिएगा। हम जल्द ही आपसे एक नई कहानी के साथ मिलेंगे। आपके प्यार और योगदान के लिए बहुत-बहुत धन्यवाद।
अपना ध्यान रखिए और खुश रहिए।
Story By :- Khushi
Inspired By :- Old Tales
Post By :- Khushi
राजा ने महामारी को रोकने के लिए कई उपाय करवाएं मगर कोई असर नहीं हुआ। दुखी राजा को लगा कि अब बस ईश्वर ही मदद कर सकते हैं और वह ईश्वर की प्रार्थना करने लगा। तभी आकाश में अचानक से आकाशवाणी हुई। "हे राजन तुम्हारे राज्य के बीचो-बीच एक पुराना सुखा कुआं है। यदि अमावस्या की रात को तुम्हारे राज्य के प्रत्येक घर से एक-एक बाल्टी दूध उस कुएं में डाला जाएगा तो अगली सुबह यह महामारी समाप्त हो जाएगी और सारे लोग स्वस्थ हो जाएंगे।"
राजा ने यह बात सुनते ही तुरंत राज्य में घोषणा करवाई कि "महामारी से बचने के लिए अमावस्या की रात को हर घर से कुएं में एक-एक बाल्टी दूध डाला जाना अनिवार्य है।
राज्य के लोग अमावस्या की रात की राह देखने लगे। सभी घर से एक बाल्टी दूध उन्हें अमावस्या की रात में कुएं में डालना था।
उसी राज्य में एक चालाक एवं कंजूस बुढ़िया रहती थी। उसने सोचा कि सारे लोग कुएं में दूध डालेंगे ही, यदि वह दूध की जगह एक बाल्टी पानी डाल दे तो किसे पता चलेगा। इससे उसका दूध भी बच जाएगा और उस पर कोई दोष भी नहीं आएगा।
उस बुढ़िया ने अमावस्या की रात में दूध की जगह एक बाल्टी पानी कुएं में चुपचाप डाल दिया।
अगले दिन सुबह होते ही राजा बहुत खुश थे। उन्हें लग रहा था कि आज से महामारी खत्म हो जाएगी। मगर ऐसा नहीं हुआ लोग अभी भी बीमार हो रहे थे। राजा को समझ नहीं आ रहा था कि जब आकाशवाणी के मुताबित सबने एक बाल्टी दूध कुएं में डाल दिया है तो महामारी क्यों नहीं खत्म हुई।
राजा ने निश्चय किया कि वह खुद कुएं के पास जाकर देखेंगे कि आखिर क्या कारण है कि अभी तक महामारी खत्म नहीं हुई। जब राजा कुएं के पास पहुंचे तो वह यह देख कर हैरान हो गए कि कुआं दूध से नहीं बल्कि पूरा का पूरा पानी से भरा हुआ था। उस कुएं में एक भी बूंद दूध की मौजूद नहीं थी और राजा को समझ आ गया इसी कारण से महामारी खत्म नहीं हुई है।
शिक्षा :-
प्यारे दोस्तों! "जिस तरह से इस कहानी में सभी लोगों ने यह सोचकर अपना काम नहीं करा कि कोई और उनका काम कर लेगा। ठीक उसी तरह से वास्तविक जीवन में भी जब भी कोई कार्य सामूहिक होता है। अक्सर लोग यही सोच कर अपना काम पूरा नहीं करते, कि कोई ना कोई उनका काम कर ही देगा और इसी कारण से कार्य सफल नहीं होते। हर इंसान को अपने कार्य की जिम्मेदारी खुद लेनी चाहिए। यदि हर कोई अपना कार्य पूरी ईमानदारी के साथ करेगा तो कभी कोई कार्य असफल नहीं होगा।"दोस्तों! अगर आपको यह कहानी पसंद आई हो तो प्लीज हमें कमेंट सेक्शन में लिखकर बताएं और साथ ही इसे शेयर भी कीजिएगा। हम जल्द ही आपसे एक नई कहानी के साथ मिलेंगे। आपके प्यार और योगदान के लिए बहुत-बहुत धन्यवाद।
अपना ध्यान रखिए और खुश रहिए।
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