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नंदी जी कैसे बने भगवान शिव के वाहन? | Mythological Story

आज हम आपको भगवान शिव और नंदी जी की कहानी बताने जा रहे हैं! 

पुराणों के अनुसार नंदी असल में शिलाद ऋषि के पुत्र थे और शिलाद ऋषि ब्रह्मचारी थे। ब्रह्मचारी व्रत का पालन करते-करते शिलाद ऋषि के मन में एक भय बैठ गया। भय था कि बिना संतान उनकी मृत्यु के बाद उनका वंश समाप्त हो जाएगा। इसलिए, उन्होंने अपने वंश को आगे बढ़ाने के लिए एक बच्चा गोद लेने का मन बनाया। मन तो ऋषि शिलाद ने बना लिया, लेकिन दुविधा यह थी कि ऋषि ऐसे बालक को गोद लेना चाहते थे, जिस पर भगवान शिव की असीम कृपा हो।

नंदी जी कैसे बने भगवान शिव के वाहन? | Mythological Story

भगवान शिव को तीसरी आंख कैसे मिली? | Mythological Story

आज हम आपको भगवान शिव जी के एक प्रसिद्ध कहानी बताने जा रहे हैं कि उन्हें अपनी तीसरी आंख कैसे मिली? आइए पढ़ते हैं! 

भगवान शिव जी की हर प्रतिमा में उनके मस्तक पर एक आंख दिखाई देती है। इसे भोलेनाथ की तीसरी आंख कहते हैं! भगवान शिव के मस्तक पर तीसरी आंख है, इसलिए उन्हें त्रिलोचन भी कहा जाता है। वैसे क्या आप जानते हैं कि शिव जी को यह तीसरी आंख कैसे मिली? इस घटना के पीछे एक कहानी है, जिसमें शिव जी की तीसरी आंख का रहस्य और महत्व दोनों पता चलता है।

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श्री हनुमान क्यों हुए सिंदूरी | Mythological Story

आपने देखा होगा कि हनुमान जी के मंदिर में अक्सर उन्हें सिंदूर चढ़ाया जाता है। कई मंदिरों में हनुमान जी की मूर्ति सिंदूरी रंग की ही होती हैं। आज हम आपको एक कहानी बताते हैं जिससे आपको पता चलेगा कि कैसे हुए हनुमान जी सिंदूरी रंग के और क्यों पसंद है उन्हें सिंदूर चढ़ाना!

एक बार हनुमाजी ने माता सीता को अपनी मांग में सिंदूर भरते हुए देखा। तब हनुमान जी को यह नहीं पता था कि माता सीता ऐसा क्‍यों कर रही हैं। उन्‍हें यह जानने की जिज्ञासा हुई कि सिंदूर को मांग में भरने का क्‍या लाभ है। 

श्री हनुमान क्यों हुए सिंदूरी | Mythological Story

भगवान विष्णु को कैसे मिला सुदर्शन चक्र? | भगवान विष्णु को किसने दिया था सुदर्शन चक्र? | Mythological Story

अगर आपने भगवान विष्णु का चित्र देखा है तो आपने देखा होगा कि उनके एक हाथ की उंगली में हमेशा 'सुदर्शन चक्र' रहता है। कहा जाता है कि सुदर्शन चक्र उनका एक ऐसा शस्त्र है जिसे वह जब दानवों पर चलाते थे, तो वह दानवों को मार कर वापस भगवान विष्णु की उंगली में आ जाता था। आइए जानते हैं कि आखिर कैसे भगवान विष्णु उनका यह "सुदर्शन चक्र" मिला!

भगवान विष्णु को कैसे मिला सुदर्शन चक्र? | Mythological Story

क्यों दिया गणेश जी ने चंद्रमा को श्राप ?? | Mythological Story

आज हम आपको भगवान गणेश जी की एक और प्रसिद्ध कहानी सुनाने जा रहे हैं। पौराणिक कथाओं के अनुसार एक बार धन के देवता कुबेर भगवान शिव और माता पार्वती के पास अपने यहां भोजन करने के लिए आमंत्रित करने कैलाश पर्वत पहुंचे। लेकिन शिवजी कुबेर की मंशा को समझ गए थे कि वे सिर्फ अपनी धन-संपत्ति का दिखावा करने के लिए उन्हें अपने महल में आमंत्रित कर रहे हैं। इसीलिए उन्होंने कुछ महत्वपूर्ण कार्य में उलझे होने का कारण बताते हुए आने से मना कर दिया। अब जहां भगवान शंकर नहीं जाएंगे जाहिर सी बात है, वहां माता पार्वती का क्या काम तो माता पार्वती ने उन्हें ये बोलकर मना कर दिया कि अगर उनके पतिदेव नहीं जाएंगे तो वो भी नहीं जाएंगी। ऐसे में कुबेर दुखी हो गए और भगवान शिव से प्रार्थना करने लगे। तब शिव जी मुस्कुरा कर बोले कि आप मेरे पुत्र गणेश को ले जाएं। 

क्यों दिया गणेश जी ने चंद्रमा को श्राप ?? | Mythological Story

श्री कृष्ण और घमंडी कालिया नाग की कहानी | Mythological Story

आज हम आपको श्रीकृष्ण की पौराणिक कहानी सुनाने जा रहे हैं। कहानी कुछ इस तरह से हैं!

बचपन में जब श्री कृष्णा गोकुल में रहा करते थे, गोकुल के पास ही युमना नदी बहती थी। एक बार यमुना को कालिया नाग ने अपना घर बना लिया और नदी के पानी को अपने विष से जहरीला कर दिया। उस पानी को पीकर पशु-पक्षी और गांव के लोग मरने लगे थे।
श्री कृष्ण और कालिया नाग की कहानी

भगवान शिव जी के जन्म की कथा! | Mythological Story

हिंदू धर्म में हर भगवान का जन्म की अलग-अलग कहानियां है किंतु शिव भगवान जी का जन्म कैसे हुआ यह बहुत ही कम लोग जानते हैं। आइए जानते हैं शिव भगवान जी के जन्म की पौराणिक कहानी।

आपको यह जानकर आश्चर्य होगा कि शिव भगवान का का जन्म नहीं हुआ है वे 'स्वयंभू' हैं। लेकिन पुराणों में उनकी उत्पत्ति का विवरण मिलता है। विष्णु पुराण के अनुसार ब्रह्मा भगवान विष्णु की नाभि कमल से पैदा हुए जबकि शिव भगवान विष्णु के माथे के तेज से उत्पन्न हुए बताए गए हैं। विष्णु-पुराण के अनुसार माथे के तेज से उत्पन्न होने के कारण ही शिव हमेशा योगमुद्रा में रहते हैं।

KWStoryTime_भगवान शिव जी के जन्म की कथा!

जब भगवान शिव जी ने मगरमच्छ बनकर ली थी मां पार्वती जी की परीक्षा! | Mythological Story

आज हम आपको शिव और पार्वती जी की एक पौराणिक कहानी सुनाने जा रहे हैं।

माता पार्वती शिव जी को पति रूप में प्राप्त करने के लिए घोर तप कर रही थीं। उनके तप को देखकर देवताओं ने शिव जी से देवी की मनोकामना पूर्ण करने की प्रार्थना की। इस पर शिव जी ने पार्वती जी की परीक्षा लेने सप्तर्षियों को भेजा। सप्तर्षियों ने शिव जी के सैकड़ों अवगुण गिनाए पर पार्वती जी को महादेव के अलावा किसी और से विवाह मंजूर न था। विवाह से पहले सभी वर अपनी भावी पत्नी को लेकर आश्वस्त होना चाहते हैं। इसलिए शिव जी ने स्वयं भी पार्वतीजी की परीक्षा लेने की ठानी।

लक्ष्मी, सरस्वती और गंगा का परस्पर श्राप देना | Mythological Story

आज हम आपको एक बहुत ही प्रचलित पौराणिक कथा सुनाने जा रहे हैं।

पौराणिक कथा के अनुसार भगवान विष्णु की तीन पत्नियाँ- लक्ष्मी, गंगा और सरस्वती थीं। एक बार विष्णुजी ने गंगा के प्रति विशेष अनुराग और लगाव दिखाया जिसके फलस्वरूप सरस्वती के मन में ईर्ष्या भाव उत्पन्न हो गया। सरस्वती, तीनों पत्नियों के प्रति समान अनुरक्ति रखने के आर्योचित सिद्धांत की उपेक्षा करके गंगा के प्रति आसक्ति दिखाने के लिए अपने पति विष्णुजी को खरी-खोटी बातें सुनाने लगीं। सरस्वती ने गंगा को भी आड़े हाथों लेकर दुर्वचन कहे।


कहानी बालक ध्रुव के ध्रुव तारा बनने की | Mythological Story

आज हम आपको बालक ध्रुव की कहानी सुनाने जा रहे हैं।

स्वयंभुव मनु और शतरुपा के दो पुत्र थे - प्रियवत और उत्तानपाद। उत्तानपाद की सुनीति और सुरुचि नामक दो पत्नियां थीं। राजा उत्तानपाद को सुनीति से ध्रुव और सुरुचि से उत्तम नामक दो पुत्र उत्पन्न हुए। यद्पि सुनीति बड़ी रानी थी परन्तु उत्तानपाद का प्रेम सुरुचि के प्रति अधिक था। एक बार सुनीति का पुत्र ध्रुव अपने पिता की गोद में बैठा खेल रहा था। इतने में सुरुचि वहां आ पहुंची।

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लक्ष्मी जी और साहूकार की बेटी की कथा | Mythological Story

आज हम आपके साथ एक ऐसी कथा शेयर करने जा रहे हैं जो दिवाली की पूजा पर और लक्ष्मी जी के त्योहारों पर अक्सर पढ़ी जाती है। आइए पढ़ते हैं!

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कैसे शेर माँ दुर्गा का वाहन बना? | Mythological Story

नवरात्रि आने वाली है, चलिए आज हम आपको ऐसे अवसर पर एक धार्मिक कहानी सुनाते हैं।

पौराणिक कथा के अनुसार, माँ पार्वती नें भगवान शिव को पाने के लिए कठोर तपस्या की थी। हजारों वर्षों तक चली इस कठोर तपस्या के फल स्वरूप माँ पार्वती नें शिवजी को तो पा लिया, पर तप के प्रभाव से वह खुद सांवली पड़ गयी।

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कैसे बने गणेश जी बुद्धि के देवता | Mythological Story

एक बार की बात है, सभी देवता बहुत ही मुश्किल में थे। सभी देव गण शिवजी के शरण में अपनी मुश्किलों के हल के लिए पहुंचे। उस समय भगवान शिवजी के साथ गणेश और कार्तिकेय भी वहीँ बैठे थे।

देवताओं की मुश्किल को देखकर शिवजी नें गणेश और कार्तिकेय से प्रश्न पुछा, 'तुममें से कौन देवताओं की मुश्किलों को हल करेगा और उनकी मदद करेगा।' दोनों भाई देवताओं की मदद करना चाहते थे इसलिए शिवजी नें उनके सामने एक प्रतियोगिता रखें। इस प्रतियोगिता के अनुसार दोनों भाइयों में जो भी सबसे पहले पृथ्वी की परिक्रमा करके लौटेगा वही देवताओं की मुश्किलों को हल करने में मदद करेगा।

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यशोदा मां ने देखा कृष्ण के मुँह में संपूर्ण ब्रह्मांड | Mythological Story

आज कृष्ण भगवान जी की एक प्रचलित कहानी सुनाने जा रहे हैं!
एक सुबह कृष्ण अपने मित्रों के संग खेल रहे थे। बलराम ने देखा कि कृष्ण ने मिट्टी खा ली है। वे और उनके मित्र माँ यशोदा से इसकी शिकायत करने पहुँचे। बलराम ने कहा, "जल्दी चलो माँ, कृष्णा ने मिट्टी खा रहा है।"

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गणेश जी के टूटे दांत की कहानी | Mythological Story

जब महर्षि वेदव्यास महाभारत लिखने के लिए बैठे, तो उन्हें एक ऐसे व्यक्ति की जरूरत थी, जो उनके मुख से निकले हुए महाभारत की कहानी को लिखे। इस कार्य के लिए उन्होंने श्री गणेश जी को चुना।

गणेश जी भी इस बात के लिए मान गए पर उनकी एक शर्त थी कि पूरा महाभारत लेखन को एक पल ले लिए भी बिना रुके पूरा करना होगा। गणेश जी बोले – "अगर आप एक बार भी रुकेंगे तो मैं लिखना बंद कर दूंगा।"

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महाशिवरात्रि की कथा | Mythological Story

एक बार पार्वती जी ने भगवान शिवशंकर से पूछा, "ऐसा कौन सा श्रेष्ठ तथा सरल व्रत-पूजन है, जिससे मृत्यु लोक के प्राणी आपकी कृपा प्राप्त कर लें?"
उत्तर में शिवजी ने पार्वती को "शिवरात्रि" के व्रत का विधान बताकर यह कथा सुनाई -

एक गाँव में एक शिकारी रहता था। पशुओं की हत्या करके वह अपने कुटुम्ब को पालता था। वह एक साहूकार का ऋणी था, लेकिन उसका ऋण समय पर न चुका सका। क्रोधवश साहूकार ने शिकारी को शिवमठ में बंदी बना लिया। संयोग से उस दिन शिवरात्रि थी।


नारद जी की समस्या | Mythological Story

एक बार देवर्षि नारद अपने पिता ब्रम्हा जी के सामने “नारायण-नारायण” का जप करते हुए उपस्थित हुए और पूज्य पिताजी को दंडवत प्रणाम किया। नारद जी को सामने देख ब्रम्हा जी ने पुछा, “नारद! आज कैसे आना हुआ? तुम्हारे मुख के भाव कुछ कह रहे हैं! कोई विशेष प्रयोजन है अथवा कोई नई समस्या?”

नारद जी ने उत्तर देते हुए कहा, “पिताश्री ऐसा कोई विशेष प्रयोजन तो नहीं है, कई दिनों से एक प्रश्न मन में खटक रहा है। आज आपसे इसका उत्तर जानने के लिए उपस्थित हुआ हूँ।”



जब माता दुर्गा जी ने तोड़ा देवताओं का घमंड | Mythological Story

एक बार देवताओं और दैत्यों में भयंकर युद्ध छिड़ गया। इस युद्ध में देवता विजयी हुए जिससे उनके मन में अहंकर उत्पन्न हो गया। सभी देवता स्वयं को श्रेष्ठ कहने लगे। जब माता दुर्गा ने देवताओं को इस प्रकार अहंकार से ग्रस्त होते देखा तो वे तेजपुंज के रूप में देवताओं के समक्ष प्रकट हुई। इतना विराट तेजपुंज देखकर देवता भी घबरा गए।

कैसे मिले गणेश जी अपनी सवारी मूषक से | Mythological Story

बहुत समय पहले की बात है, एक बहुत ही भयंकर असुर राजा था जिसका नाम था गजमुख। वह बहुत ही शक्तिशाली बनना चाहता था और साथ ही बहुत सारा धन प्राप्त करना चाहता था। इसके साथ वह सभी देवी देवताओं को अपने वश में करना चाहता था और सब पर राज करना चाहता था।

इस कारण से उसने भगवान शिवजी की तपस्या करने का निश्चय किया। ताकि शिवजी खुश होकर उसे  उसका मन चाहा वरदान दे।
शिवजी से वरदान प्राप्त करने के लिए उसने अपना राज्य छोड़ दिया और जंगल में जाकर तपस्या करने लगा। तपस्या करने के लिए उसने भोजन लेना और पानी पीना भी बंद कर दिया।

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भगवान श्रीकृष्ण के जन्म की कहानी | Mythological Story

हमारे देश में जन्माष्टमी बहुत धूमधाम से मनाई जाती है। इस दिन श्री कृष्ण जी का जन्म हुआ था। इस दिन व्रत किया जाता है, खूब सारे व्रत के पकवान बनाए जाते हैं, मंदिर और घरों में पूजा की जाती है और उत्सव मनाया जाता है।

इस दिन मंदिरों में और घरों में एक दूसरे को भगवान श्री कृष्ण के जन्म की कहानी भी सुनी जाती है। आज हम आपको भी यह कहानी बताएंगे।

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