देवताओं की मुश्किल को देखकर शिवजी नें गणेश और कार्तिकेय से प्रश्न पुछा, 'तुममें से कौन देवताओं की मुश्किलों को हल करेगा और उनकी मदद करेगा।' दोनों भाई देवताओं की मदद करना चाहते थे इसलिए शिवजी नें उनके सामने एक प्रतियोगिता रखें। इस प्रतियोगिता के अनुसार दोनों भाइयों में जो भी सबसे पहले पृथ्वी की परिक्रमा करके लौटेगा वही देवताओं की मुश्किलों को हल करने में मदद करेगा।
प्रतियोगिता शुरू होते ही, कार्तिकेय अपनी सवारी मोर पर बैठ कर पृथ्वी की परिक्रमा करने चले गए। परन्तु गणेश जी वही अपनी जगह पर खड़े रहे और सोचने लगे की वह मूषक की मदद से पुरे पृथ्वी का चक्कर कैसे लगा सकते हैं?
उसी समय उनके मन में एक उपाय आया। वे अपने पिता शिवजी और माता पार्वती के पास गए, और उनकी सात बार परिक्रमा करके वापस अपनी जगह पर आकर खड़े हो गए।
कुछ समय बाद कार्तिकेय पृथ्वी का पूरा चक्कर लगा कर वापस पहुंचे और स्वयं को विजेता कहने लगे। तभी शिवजी नें गणेश जी की ओर देखा और उनसे प्रश्न किया, 'क्यों गणेश! तुम क्यों पृथ्वी की परिक्रमा करने नहीं गए?'
तभी गणेश जी ने उत्तर दिया, "माता पिता में ही तो पूरा संसार बसा है? चाहे में पृथ्वी की परिक्रमा करूँ या अपने माता-पिता की एक ही बात है।"
यह सुन कर शिवजी बहुत खुश हुए और उन्होंने गणेश जी को सभी देवताओं के मुश्किलों को दूर करने की आज्ञा दी।
साथ ही शिवजी नें गणेश जी को यह भी आशीर्वाद दिया कि आज से वह बुद्धि के देवता के रूप में जाने जाएंगे। जब भी कोई पूजा होगी तो सबसे पहले श्री गणेश को याद किया जाएगा, तभी नया काम शुरू होगा।
उस दिन के बाद से गणेश जी बुद्धि के देवता बन गए, आज भी जब कोई पूजा होती है तो सबसे पहले गणेश जी की पूजा की जाती है।
शिक्षा -
प्यारे दोस्तों!! "गणेशजी जानते थे कि मूषक बहुत छोटा है और वहां प्रतियोगिता नहीं जीत पाएंगे। फिर भी उन्होंने हार नहीं मानी और अपनी बुद्धि का इस्तेमाल किया और प्रतियोगिता जीत ली। हर परेशानी का हल निकल आता है बस अपने ईश्वर पर विश्वास रखें, और अपनी बुद्धि का इस्तेमाल करें।"
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"धन्यवाद।"
Story By - Ganeshji Ki Kahaniya
Post By - Khushi
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