आज कृष्ण भगवान जी की एक प्रचलित कहानी सुनाने जा रहे हैं!
एक सुबह कृष्ण अपने मित्रों के संग खेल रहे थे। बलराम ने देखा कि कृष्ण ने मिट्टी खा ली है। वे और उनके मित्र माँ यशोदा से इसकी शिकायत करने पहुँचे। बलराम ने कहा, "जल्दी चलो माँ, कृष्णा ने मिट्टी खा रहा है।"
यशोदा माता तुरंत दौड़ कर गयीं और कृष्ण का हाथ पकड़कर करीब लाकर पूछा, "क्या तुमने मिट्टी खायी?"
कृष्ण ने माँ की ओर देखा और मासूमियत से कहा, "नहीं तो! बलराम भैया और उनके मित्र झूठ बोल रहे हैं। आप देखो मेरा मुँह, क्या मैंने मिट्टी खाई है?"
ऐसा कहकर कृष्ण ने अपना मुँह खोल दिया। माता यशोदा को मिट्टी तो नज़र नहीं आई, इसके स्थान पर कृष्ण के मुँह में यशोदा माता को संपूर्ण ब्रह्मांड के दर्शन हो गए, 'पर्वत, द्वीप, समुद्र, ग्रह, तारे' सम्पूर्ण सृष्टि दिखाई दी।
माता यशोदा ने कृष्ण के मुख में, स्वयं को कृष्ण के मुँह को देखते हुए भी देखा। यह भी देखा कि वे कृष्ण को गोद में उठाए दूध पिला रही हैं।
"यह सब देखकर वह आश्चर्यचकित हो गई कि क्या ऐसा वास्तव में हो रहा है?" वे अचम्भित थीं।
कृष्ण ने अपना मुँह बंद कर लिया और मीठी मुस्कान भर माँ की ओर देखने लगा।
अपने नन्हे पुत्र के मुँह में वह विस्मय से भर देने वाला चमत्कारी दृश्य देखने के बाद भी, माँ यशोदा के लिए तो वह नन्हा घुटने चलता लल्ला ही था।
माँ यशोदा का हृदय अपने गोपाल के लिए प्रेम से भर गया था। उन्होंने बड़ी ही ममता के साथ कृष्ण को अपनी गोद में भर लिया।
आशा करती हूं कि आपको यह कहानी पसंद आई होगी। इस जन्माष्टमी में अपने घरवालों को और अपने बच्चों को यह कहानी जरूर सुनाइएगा।
अगर आपके पास भी कोई जन्माष्टमी की कहानी हो तो हमें जरूर भेजें। आप सभी को जन्माष्टमी की बहुत-बहुत बधाई। अपना ध्यान रखिए और खुश रहिए। हम जल्द ही एक नई कहानी के साथ आपसे मिलते हैं।
Story By - Mythological Krishna Stories
Post By - Khushi
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