आज हम आपके साथ एक ऐसी कथा शेयर करने जा रहे हैं जो दिवाली की पूजा पर और लक्ष्मी जी के त्योहारों पर अक्सर पढ़ी जाती है। आइए पढ़ते हैं!
एक गांव में एक साहूकार था, उसकी बेटी प्रतिदिन पीपल पर जल चढ़ाने जाती थी। जिस पीपल के पेड़ पर वह जल चढ़ाती थी, उस पेड़ पर लक्ष्मी जी का वास था। एक दिन लक्ष्मी जी ने साहूकार की बेटी से कहा, "मैं तुम्हारी मित्र बनना चाहती हूँ"। लड़की ने कहा की "मैं अपने पिता से पूछ कर आपको बताऊंगी।" यह बात उसने अपने पिता को बताई, तो पिता ने "हां" कर दी। दूसरे दिन से साहूकार की बेटी और लक्ष्मी जी एक दूसरे की सहेली बन गए।
दोनों अच्छी सहेलियों की तरह आपस में बातचीत करती और साथ में समय बिताती। एक दिन लक्ष्मीजी साहूकार की बेटी को अपने घर ले गई। अपने घर में लक्ष्मी जी ने दिल खोल कर साहूकार की बेटी का स्वागत किया। उसकी खूब खातिर की, उसे अनेक प्रकार के भोजन परोसे। मेहमान नवाजी के बाद जब साहूकार की बेटी लौटने लगी तो, लक्ष्मी जी ने प्रश्न किया कि अब तुम मुझे कब अपने घर बुलाओगी। साहूकार की बेटी ने लक्ष्मी जी को अपने घर बुला तो लिया, परन्तु अपने घर की आर्थिक स्थिति देख कर वह उदास हो गई। उसे डर लग रहा था कि क्या वह, लक्ष्मी जी का अच्छे से स्वागत कर पायेगी।
साहूकार ने अपनी बेटी को उदास देखा तो वह समझ गया, उसने अपनी बेटी को समझाया, कि तुम फौरन मिट्टी से चौका लगा कर साफ-सफाई करो, चार बत्ती के मुख वाला दिया जलाओ और लक्ष्मी जी का नाम लेकर प्रार्थना करो। उसी समय एक चील किसी रानी का नौलखा हार लेकर उसके साधु कार की बेटी के पास डाल गया। साहूकार की बेटी बहुत खुश हुई, उसने उस हार को बेचकर भोजन की तैयारी की।
थोड़ी देर में श्री गणेश के साथ लक्ष्मी जी उसके घर आ गई। साहूकार की बेटी ने दोनों की खूब सेवा की, उन्हें भोजन कराया। साहूकार की बेटी की खातिरदारी से लक्ष्मी जी बहुत प्रसन्न हुई। लक्ष्मी जी और गणेश जी ने अपना आशीर्वाद से साहूकार और उसकी बेटी को अमीर बना दिया और सुखद जीवन का आशीर्वाद दिया।
आशा करती हूं कि आपको यह कथा पसंद आई होगी। इस दिवाली पूजा करते वक्त इस कथा को अपने घर वालों के साथ जरूर पढ़े और सुने।
अगर आपके पास भी कोई दिवाली की कहानी हो तो हमें जरूर भेजें। आप सभी को दिवाली की बहुत-बहुत बधाई। अपना ध्यान रखिए और खुश रहिए। हम जल्द ही एक नई कहानी के साथ आपसे मिलते हैं।
Story By - Mythological Diwali Stories
Post By - Khushi
एक गांव में एक साहूकार था, उसकी बेटी प्रतिदिन पीपल पर जल चढ़ाने जाती थी। जिस पीपल के पेड़ पर वह जल चढ़ाती थी, उस पेड़ पर लक्ष्मी जी का वास था। एक दिन लक्ष्मी जी ने साहूकार की बेटी से कहा, "मैं तुम्हारी मित्र बनना चाहती हूँ"। लड़की ने कहा की "मैं अपने पिता से पूछ कर आपको बताऊंगी।" यह बात उसने अपने पिता को बताई, तो पिता ने "हां" कर दी। दूसरे दिन से साहूकार की बेटी और लक्ष्मी जी एक दूसरे की सहेली बन गए।
दोनों अच्छी सहेलियों की तरह आपस में बातचीत करती और साथ में समय बिताती। एक दिन लक्ष्मीजी साहूकार की बेटी को अपने घर ले गई। अपने घर में लक्ष्मी जी ने दिल खोल कर साहूकार की बेटी का स्वागत किया। उसकी खूब खातिर की, उसे अनेक प्रकार के भोजन परोसे। मेहमान नवाजी के बाद जब साहूकार की बेटी लौटने लगी तो, लक्ष्मी जी ने प्रश्न किया कि अब तुम मुझे कब अपने घर बुलाओगी। साहूकार की बेटी ने लक्ष्मी जी को अपने घर बुला तो लिया, परन्तु अपने घर की आर्थिक स्थिति देख कर वह उदास हो गई। उसे डर लग रहा था कि क्या वह, लक्ष्मी जी का अच्छे से स्वागत कर पायेगी।
साहूकार ने अपनी बेटी को उदास देखा तो वह समझ गया, उसने अपनी बेटी को समझाया, कि तुम फौरन मिट्टी से चौका लगा कर साफ-सफाई करो, चार बत्ती के मुख वाला दिया जलाओ और लक्ष्मी जी का नाम लेकर प्रार्थना करो। उसी समय एक चील किसी रानी का नौलखा हार लेकर उसके साधु कार की बेटी के पास डाल गया। साहूकार की बेटी बहुत खुश हुई, उसने उस हार को बेचकर भोजन की तैयारी की।
थोड़ी देर में श्री गणेश के साथ लक्ष्मी जी उसके घर आ गई। साहूकार की बेटी ने दोनों की खूब सेवा की, उन्हें भोजन कराया। साहूकार की बेटी की खातिरदारी से लक्ष्मी जी बहुत प्रसन्न हुई। लक्ष्मी जी और गणेश जी ने अपना आशीर्वाद से साहूकार और उसकी बेटी को अमीर बना दिया और सुखद जीवन का आशीर्वाद दिया।
आशा करती हूं कि आपको यह कथा पसंद आई होगी। इस दिवाली पूजा करते वक्त इस कथा को अपने घर वालों के साथ जरूर पढ़े और सुने।
अगर आपके पास भी कोई दिवाली की कहानी हो तो हमें जरूर भेजें। आप सभी को दिवाली की बहुत-बहुत बधाई। अपना ध्यान रखिए और खुश रहिए। हम जल्द ही एक नई कहानी के साथ आपसे मिलते हैं।
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