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कैसे बचाई मुकेश ने अपनी जान जादुई जिन से | Kids Story

एक समय की बात है एक गांव में मुकेश नाम का मछुआरा रहता था। वह हर दिन मछलियां पकड़ने के लिए समुद्र में जाता। आज भी मुकेश मछलियां पकड़ने के लिए समुद्र में अपनी नाव लेकर पहुंच गया था, लेकिन गलती से वह दूर निकल गया। वहां पर उसे बहुत सारी बड़ी-बड़ी मछलियां तो मिली, साथ ही एक बोतल भी मिली।

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गोलू गधे की नासमझी | Kids Story

एक समय की बात है, एक खूबसूरत जंगल में गब्बर शेर का राज चलता था। गब्बर शेर ने पूरी उम्र खूब शिकार किए, परंतु अब वह बूढ़ा हो गया था और शिकार नहीं कर पाता था। इसलिए उसने एक चालाक लोमड़ी को अपना मंत्री बनाया और उससे कहा कि वह रोज उसके लिए शिकार ढूंढ कर लाए।

लोमड़ी बहुत ही चालाक थी, वह रोज अलग-अलग जानवरों को बहला-फुसलाकर शेर के पास शिकार करने के लिए ले आती। आज भी लोमड़ी गब्बर शेर के लिए खाना ढूंढने निकल पड़ी थी। चलते-चलते उसे रास्ते में ही गोलू गधा दिखा।

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मोनू बंदर की शरारत का परिणाम | Kids Story

एक खूबसूरत गांव था, उस गांव में बहुत सारे वृक्ष लगे थे। उन खूबसूरत वृक्षों के ऊपर बहुत सारे बंदर रहते थे, वह दिन भर वहां उछल कूद करते।

उन बंदरों में से एक बंदर बहुत शरारती था, उसका नाम था मोनू! वह हर दिन गांव के सभी घरों में उधम मचाता। कभी उनके घर में घुसकर चीजें तोड़ देता, कभी छत पर सूखते हुए कपड़े फाड़ देता, कभी बच्चों की किताबें फाड़ देता, तो कभी किचन में रखा हुआ खाना चुरा लेता। कभी-कभी खेलते हुए बच्चों को चोट भी पहुंचाता।

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इर्षा का फल | Kids Story

एक समय की बात है चार मित्र थे, जो हमेशा एक साथ रहते थे। वह चारों मित्रों ने सोचा कि क्यों ना हम भगवान की तपस्या करें और उनसे आशीर्वाद में अपनी मनोकामनाएं पूरी करने का वरदान मांगा जाए।
यह सोचकर चारों मित्र जंगल में चले गए और वहां जाकर कड़ी तपस्या करने लगे।

कुछ समय बाद चारों मित्रों की तपस्या से भगवान खुश हुए और उनके सामने प्रकट हुए। भगवान ने कहा कि मैं तुम चारों की तपस्या उसे बहुत प्रसन्न हूं, मांगो क्या मांगते हो वह तुम्हें अवश्य मिलेगा।

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नारद जी की समस्या | Mythological Story

एक बार देवर्षि नारद अपने पिता ब्रम्हा जी के सामने “नारायण-नारायण” का जप करते हुए उपस्थित हुए और पूज्य पिताजी को दंडवत प्रणाम किया। नारद जी को सामने देख ब्रम्हा जी ने पुछा, “नारद! आज कैसे आना हुआ? तुम्हारे मुख के भाव कुछ कह रहे हैं! कोई विशेष प्रयोजन है अथवा कोई नई समस्या?”

नारद जी ने उत्तर देते हुए कहा, “पिताश्री ऐसा कोई विशेष प्रयोजन तो नहीं है, कई दिनों से एक प्रश्न मन में खटक रहा है। आज आपसे इसका उत्तर जानने के लिए उपस्थित हुआ हूँ।”



जब माता दुर्गा जी ने तोड़ा देवताओं का घमंड | Mythological Story

एक बार देवताओं और दैत्यों में भयंकर युद्ध छिड़ गया। इस युद्ध में देवता विजयी हुए जिससे उनके मन में अहंकर उत्पन्न हो गया। सभी देवता स्वयं को श्रेष्ठ कहने लगे। जब माता दुर्गा ने देवताओं को इस प्रकार अहंकार से ग्रस्त होते देखा तो वे तेजपुंज के रूप में देवताओं के समक्ष प्रकट हुई। इतना विराट तेजपुंज देखकर देवता भी घबरा गए।

असली वर कौन? | पांचवीं कहानी | विक्रम-बैताल

हर बार की तरह राजा विक्रम ने बेताल को पेड़ से उतारकर, अपने कंधे पर लटका लिया और अपने राज्य की तरफ चलने लगे। चलते समय बेताल ने एक बार फिर राजा से कहा कि मैं तुम्हें एक कहानी सुनाऊंगा जिसका तुम्हें सही उत्तर देना है। यदि तुमने गलत उत्तर दिया तो मैं तुम्हारे सिर के दो टुकड़े कर दूंगा और अगर तुम कुछ बोले तो मैं फिर से उड़ जाऊंगा।

यह कहते हुए बेताल ने अपनी कहानी शुरू की -
उज्जैन में महाबल नाम का एक राजा रहता था। उनका हरिदास नाम का एक दूत था, जिसको महादेवी नाम की बड़ी सुन्दर कन्या थी। जब वह विवाह योग्य हुई तो हरिदास को बहुत चिन्ता होने लगी।
इसी बीच राजा ने उसे एक दूसरे राजा के पास भेजा। कई दिन चलकर हरिदास वहाँ पहुँचा। राजा ने उसे बड़ी अच्छी तरह से रखा। एक दिन एक ब्राह्मण हरिदास के पास आया। बोला, “तुम अपनी लड़की मुझे दे दो।”

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