Search Any Story

करण और अर्जुन की प्रतियोगिता | Kids Story

एक खूबसूरत जंगल में करण नाम का कछुआ रहता था। उसी जंगल में अर्जुन नाम का खरगोश भी रहता था।
करण कछुआ अपने धीमी चाल के लिए जाना चाहता था, वही अर्जुन खरगोश को सबसे रफ्तार से दौड़ने के लिए जाना चाहता था।

दोनों करण और अर्जुन दोस्त थे। जब भी उन लोगों को कहीं घूमने जाना होता था, तो अर्जुन खरगोश तेजी से दौड़ते हुए पहुंच जाता था, वहीं कारण कछुआ धीरे-धीरे चलते हुए काफी देर में पहुंचता था।



अर्जुन खरगोश, करण कछुए का बहुत मजाक उड़ा था। साथ ही दूसरे जानवरों के साथ मिलकर यह कहता है कि कछुए से सुस्त और धीमा जानवर तो पूरे जंगल में कोई नहीं। सभी जानवर खरगोश के साथ मिलकर कछुए का हर दिन मजाक उड़ाते।

बहुत समय से यह सब चल रहा था कछुआ हमेशा सोचता कि खरगोश उसका दोस्त है इसलिए वह उसकी बातों का बुरा नहीं मानता परंतु एक समय खरगोश ने हद पार कर दी। उसने सभा में सारे जंगल के जानवरों के सामने कछुए की बहुत बेइज्जती की और उसका बहुत मजाक उड़ाया।

करण कछुए को बहुत गुस्सा आया। वह सभा में खड़ा हुआ और खरगोश से बोला- "मैं मानता हूं कि तुम बहुत रफ्तार से दौड़ते हो पर इसका मतलब यह नहीं कि मैं कोई आलसी जानवर हूं।"
"तुम खरगोश हो इसलिए तुम्हारी चाल खरगोश कैसी है और मैं कछुआ हूं इसलिए मेरी चाल कछुए जैसी है। हम दोनों में कोई तुलना नहीं है।"

इतना सुनने के बाद भी खरगोश नहीं माना। उसने फिर से कछुए का मजाक उड़ाया। इस पर करण कछुए ने अर्जुन खरगोश को पूरी सभा के सामने दौड़ की प्रतियोगिता की चुनौती दी।

अर्जुन खरगोश बोला- "ओ करण कछुए! तुम मजाक कर रहे हो ना। तुम तो सपने में भी मुझसे नहीं जीत सकते। क्यों सबके सामने अपना मजाक बनाना चाहते हो।"

करण कछुआ बोला- "नहीं खरगोश भाई! मैं सच में तुम्हें दौड़ की प्रतियोगिता की चुनौती दे रहा हूं। कल हम मैदान में पूरे जंगल के सभी जानवरों के सामने दौड़ लगाएंगे। जो जीतेगा वही सिकंदर कहलाएगा।"

खरगोश ने कछुए के चुनौती को स्वीकार कर लिया। सभा में मौजूद सारे जानवर हैरान थे। सब जानते थे कि कछुआ, खरगोश से नहीं जीत सकता।

अगले दिन सुबह-सुबह सभी जानवर मैदान में आ गए। कछुआ और खरगोश भी वहां पर उपस्थित थे। दोनों पूरे जोश में नजर आ रहे थे। दौड़ की प्रतियोगिता 1 घंटे की थी। प्रतियोगिता को शुरू करने के लिए हाथी ने अपने सूंड से आवाज निकाली और रेस शुरू हो गई।

रेस शुरू होते ही, अर्जुन खरगोश तेजी से दौड़ते हुए आगे निकल गया। वहीं करण कछुआ धीरे-धीरे आगे बढ़ रहा था।

सभी जानवर करण कछुए को देख कर हंस रहे थे। वह बहुत पीछे रह गया था और खरगोश इतने तेज दौड़ते हुए आगे निकल गया कि वह देखना भी बंद हो गया।

20 मिनट तक दौड़ने के बाद अर्जुन खरगोश ने पीछे मुड़कर देखा। उसने पाया कि कछुआ तो अभी दूर-दूर नहीं दिख रहा है, इसका मतलब है कि वह भी बहुत पीछे हैं। खरगोश ने सोचा कि क्यों ना मैं कुछ देर आराम कर लूं, वैसे भी कछुए को यहां तक पहुंचने में एक-दो घंटे लग जाएंगे। और वैसे भी खरगोश प्रतियोगिता की अंतिम रेखा (Finishing Line) से बस 5 मिनट ही दूर था।

इतना सोच कर खरगोश वहां मौजूद पेड़ के नीचे आराम करने लगा। कुछ ही समय में उसकी नींद लग गई।

दूसरी तरफ करण कछुआ धीरे-धीरे चलते हुए करीबन आधे घंटे बाद उस पेड़ तक पहुंचा जहां पर खरगोश सो रहा था। कछुए ने देखा कि खरगोश तो आराम से खर्राटे ले कर सो रहा है।
वह वहां से बिना आवाज किए धीरे-धीरे आगे बढ़ने लगा। बहुत समय से चलते हुए कछुआ काफी थक गया था फिर भी उसने हार नहीं मानी थी वह धीरे-धीरे आगे बढ़ रहा था।

आज तो करण कछुए ने ठान ली थी कि चाहे कुछ भी हो जाए वहां दौड़ की प्रतियोगिता खत्म कर कर के ही मानेगा। वह धीरे-धीरे आगे बढ़ता रहा और अंतिम रेखा तक पहुंचने ही वाला था।

सभी जानवर के देख कर हैरान थे कि कछुआ, खरगोश से भी पहले पहुंच रहा है। जानवरों ने एकदम से कछुए के लिए ताली बजाना शुरू कर दिया। तालियों की आवाज सुनकर पास में ही सो रहे खरगोश की नींद खुली।
उसने देखा कि कछुआ तो अंतिम रेखा तक पहुंच रहा है। वह एकदम से हैरान रह गया कि आखिर वह इतनी देर कैसे सो गया। मैं तुरंत दौड़ लगाना शुरू कर दी।

दूसरी और कछुआ भी अपने पूरे हिम्मत के साथ आगे बढ़ रहा था। खरगोश जब तक कछुए के पास पहुंचता कछुए ने अंतिम रेखा पार कर ली और प्रतियोगिता जीत ली।

सभी जानवर कछुए की हिम्मत को देखकर हैरान थे। उन्हें दुख था कि वह इतने समय से कछुए के साथ बुरा व्यवहार कर रहे थे और अब इस वक्त सभी कछुए की तालियां बजाकर अभिनंदन कर रहे थे। सभी की नजर में करण कछुए की इज्जत बढ़ गई थी।

यह सब देख अर्जुन खरगोश को बहुत पछतावा हुआ। उसे अपने किए पर बहुत शर्म आ रही थी और अब वह बाकी सारे जानवरों के नजर में भी अच्छा नहीं रहा। इन सब के अलावा उसे लगा कि उसने अपने एक अच्छा दोस्त, कछुए को खो दिया था।

वहां मौजूद जंगल के राजा शेर ने खड़े होकर करण कछुए को प्रतियोगिता का विजेता घोषित किया और साथ में इनाम दिया। पूरे मैदान में जोर जोर से तालियों की बारिश होने लगी। सभी कछुए के लिए बहुत खुश थे।

अर्जुन खरगोश ने करण कछुए से माफी मांगी। कछुए ने खरगोश से कहा कि भाई आगे से कभी भी किसी का मजाक नहीं उड़ाना। अगर तुम्हारे पास कोई अच्छी चीज है इसका मतलब यह तो नहीं कि तुम दूसरों का मजाक उड़ा सकते हो। भगवान ने हम सभी को अलग बनाया है।

खरगोश और बाकी सभी जानवर अपना सबक सीख चुके थे। अब वह कछुए का मजाक नहीं उड़ाते थे और उसके साथ हमेशा सम्मान के साथ बातें करते थे। जंगल में सारे जानवर एक साथ खुश रहने लगे थे।

शिक्षा - 

प्यारे दोस्तों! इस कहानी से हमें 4 शिक्षाएं मिलती हैं -
1. भगवान ने हम सभी को अलग रंग-रूप और जीवन दिया है। आपस में एक दूसरे से तुलना कर के या एक दूसरे की कमी निकालना अच्छी बात नहीं। 
2. यदि हम किसी चीज में अच्छे हैं तो इसका मतलब यह नहीं कि हम दूसरों का मजाक उड़ाने लगे। हर एक में कुछ ना कुछ खास होता है और हर कोई हर चीज में परफेक्ट नहीं होता।
3. जिस तरह कछुआ ठान लेता है उसी तरह अगर हम भी ठान लें और बिना रुके आगे बढ़ते जाए तो सफलता मिल ही जाती है। 
4. धैर्य और लगन के साथ कोई भी काम पूरा कर सकते हैं। भले ही धीरे-धीरे चलें परंतु आगे बढ़ते चले।

आशा करती हूं कि आप सभी को कछुए और खरगोश की यह कहानी पसंद आई होगी। बचपन में सुनी हुई सारी कहानियों में से यह कहानी मेरी सबसे पसंदीदा कहानी है। इससे हम में सबसे ज्यादा शिक्षाएं मिलती हैं। यदि आपके पास भी आप की बचपन की बढ़िया-बढ़िया कहानियां है, तो हमें लिखना ना भूलें। यदि आपको यह कहानी पसंद आई तो हमें कमेंट में लिखकर जरूर बताएं और साथ ही ने अपने दोस्तों और परिवार के सदस्यों के साथ शेयर करना ना भूले।
हम जल्द ही आपसे एक नई कहानी के साथ मिलेंगे। तब तक खुश रहिए और स्वस्थ रहिए।
"धन्यवाद"

Story By - Khushi
Inspired By - Childhood Memories
Post By - Khushi

No comments:

Post a Comment

Note: Only a member of this blog may post a comment.