एक खूबसूरत गांव था, उस गांव में बहुत सारे वृक्ष लगे थे। उन खूबसूरत वृक्षों के ऊपर बहुत सारे बंदर रहते थे, वह दिन भर वहां उछल कूद करते।
उन बंदरों में से एक बंदर बहुत शरारती था, उसका नाम था मोनू! वह हर दिन गांव के सभी घरों में उधम मचाता। कभी उनके घर में घुसकर चीजें तोड़ देता, कभी छत पर सूखते हुए कपड़े फाड़ देता, कभी बच्चों की किताबें फाड़ देता, तो कभी किचन में रखा हुआ खाना चुरा लेता। कभी-कभी खेलते हुए बच्चों को चोट भी पहुंचाता।
इस तरह हर दिन शैतानी कर कर मोनू बंदर ने पूरे गांव में आतंक फैला दिया था। गांव में रहने वाले सभी लोग मोनू से बहुत परेशान थे। गांव के लोगों ने निश्चय कर लिया था कि अब वह इस मोनू बंदर को इस गांव में नहीं रहने दे सकते और वक्त आ गया है कि वह उससे छुटकारा पाएं।
मोनू बंदर से छुटकारा पाने के लिए गांव के सभी लोगों ने पंचायत रखी। हर दिन वह सब मिलकर नए-नए उपाय सोचते क्या आखिर कैसे वह मोनू बंदर को इस गांव से भगाएं।
एक दिन गांव में रहने वाले एक श्याम नाम के आदमी को एक उपाय सुझा। श्याम ने सभी गांव वालों से बोला कि उसे पता चल गया है कि इस बंदर को सबक कैसे सिखाएं।
अगले दिन श्याम कुम्हार के पास गया। उसने कुम्हार से एक ऐसा घड़ा मांगा जिसका मुंह बहुत छोटा हो। कुम्हार ने उसे ऐसा ही घड़ा ढूंढ कर दिया जिसका मुंह बहुत छोटा था।
श्याम वह घड़ा लेकर अपने घर आया और उसे अपने घर के आंगन में मिट्टी में गाड़ दिया। सर उसके ऊपर उसने ताजे भुने हुए चने रखे। मोनू बंदर को चने बहुत पसंद थे वह हमेशा लोगों के घर से उसे चुराकर खाता रहता। उसे चने की खुशबू दूर से ही पता चल जाती।
जैसे ही श्याम ने चने रखे, मोनू बंदर को उसकी खुशबू आ गई और वहां तुरंत भागता हुआ वहां पहुंचा। मोनू को श्याम के आंगन में चने रखे हुए दिखे। श्याम वही अपने घर में छुपकर यह सब देख रहा था
मोनू तेजी से चने की तरफ बढ़ा और जोर से अपना हाथ उस पर मार दिया। जैसे ही उसने अपना हाथ चने के अंदर डाला वैसे ही उसका हाथ छोटे मुंह वाले घड़े मैं फस गया। मोनू ने घड़े मैं से हाथ निकालने की बहुत कोशिश की, उसने जोर जोर से आवाज लगाई उछल कूद की परंतु सफल नहीं हुआ। उसका हाथ पूरी तरीके से फंस चुका था।
मोनू को फंसा हुआ देख श्याम तुरंत ही गांव वालों के साथ वहां पहुंचा। उसने मोनू बंदर को रस्सी से बांध दिया। सारे गांव वालों ने मोनू बंदर की बहुत पिटाई लगाई और फिर उसे मदारी को दे दिया। मदारी मोनू को लेकर गांव से चला गया।
सभी गांव वाले अब बहुत प्रसन्न थे, उन सभी को मोनू बंदर के आतंक से छुटकारा मिल गई था और मोनू बंदर को अपनी की गई शरारत की सजा।
अब मोनू बंदर को समझ आ गया था कि अधिक शरारत करने का परिणाम भुगतना पड़ता है। उसे अपने किए पर पछतावा हो रहा था।
प्यारे दोस्तों! "कभी भी जरूरत से ज्यादा शैतानी नहीं करनी चाहिए और ना ही किसी को नुकसान पहुंचाना चाहिए, ज्यादा शैतानी करने का परिणाम हमेशा बुरा ही होता है।"
यदि आपको यह कहानी पसंद आई हो तो हमें नीचे कमेंट सेक्शन में लिख कर जरूर बताएं, साथ ही इसे लाइक और शेयर भी कीजिएगा। अगर आप लोगों के पास भी कोई कहानी हो तो हमें लिख भेजिए। अपना ध्यान रखिए और खुश रहिए।
"धन्यवाद।"
Story By - Khushi
Inspired By - Old Tales
Post By - Khushi
उन बंदरों में से एक बंदर बहुत शरारती था, उसका नाम था मोनू! वह हर दिन गांव के सभी घरों में उधम मचाता। कभी उनके घर में घुसकर चीजें तोड़ देता, कभी छत पर सूखते हुए कपड़े फाड़ देता, कभी बच्चों की किताबें फाड़ देता, तो कभी किचन में रखा हुआ खाना चुरा लेता। कभी-कभी खेलते हुए बच्चों को चोट भी पहुंचाता।
इस तरह हर दिन शैतानी कर कर मोनू बंदर ने पूरे गांव में आतंक फैला दिया था। गांव में रहने वाले सभी लोग मोनू से बहुत परेशान थे। गांव के लोगों ने निश्चय कर लिया था कि अब वह इस मोनू बंदर को इस गांव में नहीं रहने दे सकते और वक्त आ गया है कि वह उससे छुटकारा पाएं।
मोनू बंदर से छुटकारा पाने के लिए गांव के सभी लोगों ने पंचायत रखी। हर दिन वह सब मिलकर नए-नए उपाय सोचते क्या आखिर कैसे वह मोनू बंदर को इस गांव से भगाएं।
एक दिन गांव में रहने वाले एक श्याम नाम के आदमी को एक उपाय सुझा। श्याम ने सभी गांव वालों से बोला कि उसे पता चल गया है कि इस बंदर को सबक कैसे सिखाएं।
अगले दिन श्याम कुम्हार के पास गया। उसने कुम्हार से एक ऐसा घड़ा मांगा जिसका मुंह बहुत छोटा हो। कुम्हार ने उसे ऐसा ही घड़ा ढूंढ कर दिया जिसका मुंह बहुत छोटा था।
श्याम वह घड़ा लेकर अपने घर आया और उसे अपने घर के आंगन में मिट्टी में गाड़ दिया। सर उसके ऊपर उसने ताजे भुने हुए चने रखे। मोनू बंदर को चने बहुत पसंद थे वह हमेशा लोगों के घर से उसे चुराकर खाता रहता। उसे चने की खुशबू दूर से ही पता चल जाती।
जैसे ही श्याम ने चने रखे, मोनू बंदर को उसकी खुशबू आ गई और वहां तुरंत भागता हुआ वहां पहुंचा। मोनू को श्याम के आंगन में चने रखे हुए दिखे। श्याम वही अपने घर में छुपकर यह सब देख रहा था
मोनू तेजी से चने की तरफ बढ़ा और जोर से अपना हाथ उस पर मार दिया। जैसे ही उसने अपना हाथ चने के अंदर डाला वैसे ही उसका हाथ छोटे मुंह वाले घड़े मैं फस गया। मोनू ने घड़े मैं से हाथ निकालने की बहुत कोशिश की, उसने जोर जोर से आवाज लगाई उछल कूद की परंतु सफल नहीं हुआ। उसका हाथ पूरी तरीके से फंस चुका था।
मोनू को फंसा हुआ देख श्याम तुरंत ही गांव वालों के साथ वहां पहुंचा। उसने मोनू बंदर को रस्सी से बांध दिया। सारे गांव वालों ने मोनू बंदर की बहुत पिटाई लगाई और फिर उसे मदारी को दे दिया। मदारी मोनू को लेकर गांव से चला गया।
सभी गांव वाले अब बहुत प्रसन्न थे, उन सभी को मोनू बंदर के आतंक से छुटकारा मिल गई था और मोनू बंदर को अपनी की गई शरारत की सजा।
अब मोनू बंदर को समझ आ गया था कि अधिक शरारत करने का परिणाम भुगतना पड़ता है। उसे अपने किए पर पछतावा हो रहा था।
शिक्षा -
प्यारे दोस्तों! "कभी भी जरूरत से ज्यादा शैतानी नहीं करनी चाहिए और ना ही किसी को नुकसान पहुंचाना चाहिए, ज्यादा शैतानी करने का परिणाम हमेशा बुरा ही होता है।"
यदि आपको यह कहानी पसंद आई हो तो हमें नीचे कमेंट सेक्शन में लिख कर जरूर बताएं, साथ ही इसे लाइक और शेयर भी कीजिएगा। अगर आप लोगों के पास भी कोई कहानी हो तो हमें लिख भेजिए। अपना ध्यान रखिए और खुश रहिए।
"धन्यवाद।"
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