तेजपुंज का रहस्य जानने के लिए इंद्र ने वायुदेव को भेजा। अहंकार में चूर होकर वायुदेव तेजपुंज के समीप पहुंचे। तेज ने उनसे उनका परिचय पूछा। वायुदेव ने स्वयं को प्राणस्वरूप तथा अतिबलवान देव बताया। तब तेजस्वरूप माता ने वायुदेव के सामने एक तिनका रखा और कहा कि यदि तुम सचमुच इतने श्रेष्ठ हो तो इस तिनके को उड़ाकर दिखाओ। समस्त शक्ति लगाने के बाद भी वायुदेव उस तिनके को हिला नहीं पाए।
उन्होंने वापस आकर यह बात इंद्र को बताई। तब इंद्र ने अग्निदेव को उस तिनके को जलाने के लिए भेजा लेकिन अग्निदेव भी असफल रहे।
यह देख इंद्र का अभिमान चूर-चूर हो गया। उन्होंने उस तेजपुंज की उपासना की तब तेजपुंज से माता शक्ति का स्वरूप प्रकट हुआ।
उन्होंने ही इंद्र को बताया कि मेरी ही कृपा से तुमने असुरों पर विजय प्राप्त की है। इस प्रकार झूठे अभिमान में आकर तुम अपना पुण्य नष्ट मत करो। देवी के वचन सुनकर सभी देवताओं को अपनी गलती का अहसास हुआ और सभी ने मिलकर देवी की उपासना की।
शिक्षा -
प्यारे दोस्तों! "कई बार जीवन में सफलता पाने के बाद लोगों को अभिमान होने लगता है। अपना अभिमान छोड़ कर हमें हमेशा ईश्वर का आभार मानना चाहिए कि उन्होंने हमें अपने जीवन में सफलता पाने के मौके दिए।"
आशा करती हूं कि आपको मां दुर्गा जी की यह कहानी पसंद आई होगी। इस नवरात्रि अपने घरवालों को और अपने बच्चों को यह कहानी जरूर सुनाइएगा। आप सभी को नवरात्रि की हार्दिक शुभकामनाएं।
यदि आपके पास भी ऐसी ही पौराणिक कहानियां है तो हमें लिखकर जरूर भेजिए। अपना और अपने परिवार वालों का ध्यान रखें और खुश रहिए। हम जल्द ही एक नई कहानी के साथ आपसे मिलते हैं।
Story By - Mythological Durga Stories
Post By - Khushi
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