उसी तालाब में एक चिंटू नाम का मगरमच्छ भी रहता था। वह रोज मोंटी बंदर को देखता और सोचता कि बंदर की कितनी अच्छी जिंदगी है, यह तो रोज मज़े से जैसे मीठे फल खाता है। एक दिन चिंटू मगरमच्छ ने मोंटी बंदर के पास आकर कहा, "भाई तुम कितने नसीब वाले हो तुम्हें मेहनत करें बिना ही रोज इतने मीठे फल मिल जाते हैं और मैं सारा दिन भोजन की तलाश करता हूं फिर भी घर पर बिना भोजन लिए ही जाता हूं। काश मैं भी बंदर होता तो मज़े से पेड़ पर बैठकर मीठे सेब खाता।"
मोंटी बंदर ने चिंटू मगरमच्छ से कहा, "यदि तुम भी सेब खाना चाहते हो तो मैं तुम्हें दे सकता हूं मेरे पास बहुत सेब है।" यह कहकर उसने थोड़े सेब मगरमच्छ को डाल दिए। मगरमच्छ बहुत खुश हुआ और उसे धन्यवाद कहते हुए सारे सेब ले गया। धीरे-धीरे उन दोनों मगरमच्छ और बंदर के बीच में दोस्ती हो गई। अब हर दिन मगरमच्छ वहां आता और दोनों मिलकर खूब बातें करते हैं और सेब खाते।
एक दिन मोंटी बंदर ने चिंटू मगरमच्छ से कहा,"भाई मैं तो बहुत दिनों से तुम्हें सेब खिला रहा हूं, परंतु तुमने कभी नहीं बताया कि तुम कहां रहते हो और तुम्हारे घर पर कौन-कौन है।" तब चिंटू मगरमच्छ ने बताया कि वह तालाब के दूसरे किनारे अपनी पत्नी के साथ रहता है।
मोंटी बंदर ने कहा कि भाई तुम अपनी पत्नी के लिए भी थोड़े सेब लेकर जाया करो यह बहुत स्वादिष्ट सेब है उन्हें भी अच्छे लगेंगे। उस दिन चिंटू मगरमच्छ अपनी पत्नी के लिए भी खूब सारे सेब लेकर गया। उसकी पत्नी ने जब सेब खाए तो वह अपने पति से बोली, तुम्हारा दोस्त रोज यह सेब खाता है अगर यह इतने स्वादिष्ट और मीठे हैं तो तुम्हारे दोस्त का कलेजा कितना मीठा होगा। मैं तो इस बंदर का कलेजा खाना चाहती हूं।
चिंटू मगरमच्छ ने अपनी पत्नी को बहुत समझाया कि बंदर उसका दोस्त है वह रोज उसे अपने मीठे फल देता है उसके साथ ऐसा नहीं करना चाहिए। पर उसकी पत्नी नहीं मानी और उसने कहा कि कल तुम उसे मेरे पास लाना, मैं उसका कलेजा खाना चाहती हूं।
चिंटू मगरमच्छ अपनी पत्नी की बात मान गया और उसने अपनी पत्नी से वादा किया कल वह अपने दोस्त बंदर को जरूर लाएगा। पर उसे समझ नहीं आ रहा था कि वह बंदर से क्या कहेगा तब उसकी पत्नी ने कहा कि तुम उससे कहना कि मैंने उसे दावत पर आमंत्रित किया है।
अगले दिन चिंटू मगरमच्छ मोंटी बंदर के पास पहुंचा और उससे कहा कि भाई तुमने मुझे आज तक बहुत सारे सेब खिलाएं पर मैंने तुम्हें कुछ नहीं खिलाया इसलिए आज तुम मेरे घर चलो मेरी पत्नी तुम्हारे लिए बहुत स्वादिष्ट खाना बना रही है। यह सुनकर मोंटी बंदर बहुत खुश हुआ😃 और मगरमच्छ के साथ चलने के लिए राजी हो गया।
परंतु बंदर को तैरना नहीं आता था इसलिए वह मगरमच्छ की पीठ पर बैठ गया और दोनों एक साथ मगरमच्छ के घर जाने लगे। दोनों दोस्त रास्ते में बातें करने लगे और बातों ही बातों में चिंटू मगरमच्छ ने बताया, कि वह अपने दोस्त बंदर को इसलिए ले जा रहा है क्योंकि उसकी पत्नी उस बंदर का कलेजा खाना चाहती है।
बंदर उसी क्षण समझ गया उसकी पत्नी तो उसे मारना चाहती है। उसने आस पास देखा कि वह दोनों इस वक्त तालाब के बीचो-बीच। बंदर ने एक क्षण सोचा और मगरमच्छ से कहा अरे दोस्त अगर तुम्हारी पत्नी मेरा कलेजा खाना चाहती थी तो तुम्हें मुझे पहले बताना चाहिए था मैंने तो उसे अपने सेब के पेड़ पर ही छोड़ दिया है। अपना कलेजा लेने के लिए मुझे फिर से उस सेब के पेड़ पर जाना होगा।
चिंटू मगरमच्छ नासमझ था, वह बंदर की बात में आ गया और उसके साथ वापस से सेब के पेड़ पर जाने के लिए राजी हो गया। जैसे ही वह दोनों सेब के पेड़ पर पहुंचे। मोंटी बंदर फटाक से पेड़ पर चढ़ गया। चिंटू मगरमच्छ ने पूछा क्या तुम्हें अपना कलेजा मिल गया है?? इस पर मोंटी बंदर बोला "अरे धूर्त मगरमच्छ, भला कोई अपना कलेजा शरीर से बाहर निकाल कर रख सकता है??
यह बात तो मैंने तुमसे इसलिए कही थी ताकि तुम मुझे मेरे घर पर ले आओ "मैंने तुम्हें अपना दोस्त समझा, तुम्हारे साथ अपने सेब भी बांटे| परंतु तुम मुझे ही खाने चले थे।" आज से तुम्हारी और मेरी दोस्ती खत्म।
मगरमच्छ को अपने किए पर पछतावा हुआ और वह खाली हाथ अपने घर पर लौट गया। इसके बाद कभी भी मगरमच्छ और बंदर ने आपस में बात नहीं की और ना ही एक दूसरे से मिले। इस तरह मोंटी बंदर ने अपनी चतुराई से अपनी जान बचा ली।
शिक्षा :-
प्यारे बच्चों! "कभी भी जीवन में कोई कठिनाई आए, तो एकदम से घबराए ना। थोड़ा समय लें और ध्यान से सोचें। हर समस्या का कोई ना कोई समाधान जरूर होता है। जिस तरह बंदर ने अपनी चतुराई से अपनी जान बचाई उसी तरह आप भी अपनी सूझबूझ से हर मुसीबत से बच सकते हैं।"बंदर और मगरमच्छ की कहानी बहुत ही प्रसिद्ध है और सालों से चली आ रही है। मैंने यह कहानी अपने शब्दों में लिखी है और कोशिश की है की आसान शब्दों में समझ में आए।
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"धन्यवाद।"
Story By :- Khushi
Post By :- Khushi
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