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साधु और ठग | पंचतन्त्र

प्राचीन समय की बात है, एक छोटे से गाँव के मंदिर में देव शर्मा नाम का एक प्रतिष्ठित साधु रहता था। गाँव में सभी साधु का सम्मान करते थे। गांव के लोग उन्हें दान में वस्त्र, उपहार, खाद्य सामग्री और पैसे देते थे। धीरे-धीरे साधु के पास काफी धन इकट्ठा हो गया था। उस धन को वह एक बड़ी सी पोटली में बांधकर हमेशा अपने साथ रखते थे।

धन काफी बढ़ गया था, साधु को चिंता होने लगी थी। साधु कभी किसी पर विश्वास नहीं करते थे और हमेशा अपने धन की सुरक्षा के लिए चिंतित रहते थे। दूसरे गांव जाने से उन्हें डर लगता कि कहीं कोई उनकी पोटली चुरा ना ले।

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उसी गाँव में एक ठग रहता था। बहुत दिनों से उसकी निगाह साधु के धन पर थी। ठग हमेशा साधु का पीछा किया करता था, लेकिन साधु उस पोटली को कभी अपने से अलग नहीं करते थे।

आखिरकार उस ठग को एक उपाय सूझा। उसने एक छात्र का वेश धारण किया और उस साधु के पास गया। उसने साधु से विनती की कि वह उसे अपना शिष्य बना ले क्योंकि वह ज्ञान प्राप्त करना चाहता था। साधु तैयार हो गया और इस तरह से वह ठग साधु के साथ ही मंदिर में रहने लगा।

ठग मंदिर की साफ सफाई से लेकर अन्य सारे कम करता था। ठग ने साधु की भी खूब सेवा की और जल्दी ही उसका विश्वासपात्र बन गया।

एक दिन साधु को पास के गाँव में एक अनुष्ठान के लिए आमंत्रित किया गया, साधु ने वह आमंत्रण स्वीकार किया और निश्चित दिन साधु अपने शिष्य के साथ अनुष्ठान में भाग लेने के लिए निकल पड़ा।

रास्ते में एक नदी पड़ी और साधु ने स्नान करने की इच्छा जाहिर की। उसने पैसों की गठरी को एक कम्बल के भीतर रखा और उसे नदी के किनारे रख दिया। साधु ने ठग से सामान की रखवाली करने को कहा और खुद नहाने चले गए। ठग को तो कब से इसी पल का इंतज़ार था। जैसे ही साधु नदी में डुबकी लगाने गया, वह रुपयों की गठरी लेकर चम्पत हो गया।

साधु स्नान कर के आए और यह देखकर आश्चर्यचकित हो गए कि ठग वहां नहीं है और ना ही उनकी पोटली है। साधु को बहुत पछतावा हुआ कि वह उस ठग की बातों में आ गए और उस पर विश्वास कर के अपनी पोटली दे दी।

शिक्षा -


प्यारे दोस्तों! "ठग लोगों की बातों में नहीं आना चाहिए, वह पहले तो मीठी-मीठी बातें करते हैं और फिर ठग लेते हैं। इसलिए अगली बार किसी पर विश्वास करने से पहले 2 बार जरूर सोचें।"

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Story By - Panchatantra Ki Kahaniya
Post By - Khushi

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