बहुत समय पहले की बात है, एक बहुत ही भयंकर असुर राजा था जिसका नाम था गजमुख। वह बहुत ही शक्तिशाली बनना चाहता था और साथ ही बहुत सारा धन प्राप्त करना चाहता था। इसके साथ वह सभी देवी देवताओं को अपने वश में करना चाहता था और सब पर राज करना चाहता था।
इस कारण से उसने भगवान शिवजी की तपस्या करने का निश्चय किया। ताकि शिवजी खुश होकर उसे उसका मन चाहा वरदान दे।
शिवजी से वरदान प्राप्त करने के लिए उसने अपना राज्य छोड़ दिया और जंगल में जाकर तपस्या करने लगा। तपस्या करने के लिए उसने भोजन लेना और पानी पीना भी बंद कर दिया।
तपस्या करते हुए कुछ साल बीत गए। शिवजी की तपस्या देखकर बहुत प्रभावित हुए और उसे वरदान देने के लिए प्रकट हो गए। शिवजी नें खुश हो कर उसे दैविक शक्तियाँ प्रदान करी जिससे वह बहुत शक्तिशाली बन गया। सबसे बड़ी ताकत जो शिवजी नें उसे प्रदान किया वह यह था की उसे किसी भी शस्त्र से नहीं मारा जा सकता।
शिवजी के वरदान पारकर असुर गजमुख को अपनी शक्तियों पर बहुत गर्व हो गया। वह अपनी शक्तियों का दुर्पयोग करने लगा। वह निर्दयी बन गया और सभी देवी-देवताओं पर आक्रमण करने लगा।
सभी देवी-देवता उस के आतंक से परेशान हो गए। मात्र शिव, विष्णु, ब्रह्मा और गणेश ही उसके आतंक से बचे हुए थे। असुर गजमुख चाहता था कि सभी देवी-देवता उसकी पूजा करें।
इन सब से परेशान होकर सभी देवी-देवता भगवान शिव, विष्णु और ब्रह्मा जी की शरण में पहुंचे। वह सब अपने जीवन की रक्षा करने के लिए निवेदन करने लगे।
यह सब देखकर शिव जी ने गणेश जी को आदेश दिया कि वह असुर गजमुख को रोकें।
गणेश जी गजमुख को रोकने के लिए गए, उन्होंने उसके साथ युद्ध किया और असुर गजमुख को बुरी तरीके से घायल कर दिया। लेकिन इसके बावजूद भी वह अपनी हार नहीं माना।
असुर गजमुख ने अपने आपको एक मूषक के रूप में बदल लिया और गणेश जी पर आक्रमण करने के लिए दौड़ा।
जैसे ही वह गणेश जी के पास पहुंचा तो तुरंत गणेश जी कूद कर उसके ऊपर बैठ गए और गणेश जी ने गजमुख को जीवन भर के लिए एक मूषक में बदल दिया और उसे अपने वाहन के रूप में जीवन भर के लिए रख लिया।
आशा है आप सभी लोगों को गणेश जी की यह कहानी पसंद आई होगी, यदि हां!! तो नीचे कमेंट करके हमें जरूर बताएं साथ ही हमारी यह पोस्ट को लाइक और शेयर भी कीजिएगा। यदि आपके पास भी कोई कहानी है आपकी तो हमें जरूर लिख भेजिए।
गणेश चतुर्थी की आप सभी को बहुत-बहुत बधाई।
"धन्यवाद।"
Story By :- Khushi
Inspired By :- Ganeshji Ki Kahaniya
Post By :- Khushi
इस कारण से उसने भगवान शिवजी की तपस्या करने का निश्चय किया। ताकि शिवजी खुश होकर उसे उसका मन चाहा वरदान दे।
शिवजी से वरदान प्राप्त करने के लिए उसने अपना राज्य छोड़ दिया और जंगल में जाकर तपस्या करने लगा। तपस्या करने के लिए उसने भोजन लेना और पानी पीना भी बंद कर दिया।
तपस्या करते हुए कुछ साल बीत गए। शिवजी की तपस्या देखकर बहुत प्रभावित हुए और उसे वरदान देने के लिए प्रकट हो गए। शिवजी नें खुश हो कर उसे दैविक शक्तियाँ प्रदान करी जिससे वह बहुत शक्तिशाली बन गया। सबसे बड़ी ताकत जो शिवजी नें उसे प्रदान किया वह यह था की उसे किसी भी शस्त्र से नहीं मारा जा सकता।
शिवजी के वरदान पारकर असुर गजमुख को अपनी शक्तियों पर बहुत गर्व हो गया। वह अपनी शक्तियों का दुर्पयोग करने लगा। वह निर्दयी बन गया और सभी देवी-देवताओं पर आक्रमण करने लगा।
सभी देवी-देवता उस के आतंक से परेशान हो गए। मात्र शिव, विष्णु, ब्रह्मा और गणेश ही उसके आतंक से बचे हुए थे। असुर गजमुख चाहता था कि सभी देवी-देवता उसकी पूजा करें।
इन सब से परेशान होकर सभी देवी-देवता भगवान शिव, विष्णु और ब्रह्मा जी की शरण में पहुंचे। वह सब अपने जीवन की रक्षा करने के लिए निवेदन करने लगे।
यह सब देखकर शिव जी ने गणेश जी को आदेश दिया कि वह असुर गजमुख को रोकें।
गणेश जी गजमुख को रोकने के लिए गए, उन्होंने उसके साथ युद्ध किया और असुर गजमुख को बुरी तरीके से घायल कर दिया। लेकिन इसके बावजूद भी वह अपनी हार नहीं माना।
असुर गजमुख ने अपने आपको एक मूषक के रूप में बदल लिया और गणेश जी पर आक्रमण करने के लिए दौड़ा।
जैसे ही वह गणेश जी के पास पहुंचा तो तुरंत गणेश जी कूद कर उसके ऊपर बैठ गए और गणेश जी ने गजमुख को जीवन भर के लिए एक मूषक में बदल दिया और उसे अपने वाहन के रूप में जीवन भर के लिए रख लिया।
बाद में गजमुख भी अपने इस रूप में खुश रहने लगा और थोड़े समय बाद गणेश जी का प्रिय मित्र बन गया।
इस तरह गणेश जी और उनकी सवारी मूषक आपस में मिले।
शिक्षा :-
प्यारे दोस्तों!! "जिस तरह गणेश जी ने अपने बुद्धि से गजमुख की समस्या को समाप्त कर दिया उसी तरह हम भी अपनी बुद्धि से अपनी समस्या समाप्त कर सकते हैं।"आशा है आप सभी लोगों को गणेश जी की यह कहानी पसंद आई होगी, यदि हां!! तो नीचे कमेंट करके हमें जरूर बताएं साथ ही हमारी यह पोस्ट को लाइक और शेयर भी कीजिएगा। यदि आपके पास भी कोई कहानी है आपकी तो हमें जरूर लिख भेजिए।
गणेश चतुर्थी की आप सभी को बहुत-बहुत बधाई।
"धन्यवाद।"
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