एक दिन पार्वती माता को स्नान करने जाना था। परंतु वहां पर कोई भी रखवाली के लिए नहीं था। इसलिए उन्होंने स्वयं ही चंदन के लेप द्वारा एक बालक को उत्पन्न किया। माता पार्वती ने उस बालक का नाम गणेश रखा और साथ ही उसे अपना पुत्र माना।
माता पार्वती ने गणेश जी को आदेश दिया कि "मैं स्नान करने जा रही हूं। जब तक मैं स्नान करके ना आऊं, मेरी अनुमति के बिना तुम किसी को भी घर के अंदर मत आने देना।"
गणेश जी ने माता पार्वती से कहा कि वह उनके इस आदेश का पालन करेंगे और किसी को भी घर के अंदर नहीं आने देंगे।
जब शिवजी अपने घर वापस लौटे तो उन्होंने देखा की द्वार पर एक बालक खड़ा है। शिवजी ने घर के अंदर जाने की कोशिश की, तो उस बालक ने उन्हें रोक दिया और कहा कि आप अभी घर के अंदर नहीं जा सकते। शिव जी ने बालक को समझाया कि यह उनका ही घर है, परंतु फिर भी उस बालक ने उनकी बात ना सुनी और उन्हें घर के अंदर नहीं जाने दिया।
यह सब देख शिवजी बहुत क्रोधित हुए। शिवजी ने अपनी सवारी बैल जिन्हें नंदी कहते थे, उनसे कहा वह उस बालक से युद्ध करें और उसे वहां से हटा दें ताकि वह घर के अंदर जा सके। नंदी और गणेश जी दोनों में युद्ध हुआ और गणेश जी ने नंदी को हरा दिया।
यह सब देख शिव भगवान जी बहुत अधिक क्रोधित हो गए और उन्होंने उस बालक का सर काट दिया।
जब माता पार्वती जी स्नान करके वापस लौटी, तब उन्होंने देखा कि उन्होंने जिस बालक को जन्म दिया था, उन्हें शिवजी ने मार दिया| यह देख वह बहुत जोर जोर से रोने लगी।
उन्होंने शिव जी को बताया कि वह बालक उन्हीं का पुत्र है, जिन्हें उन्होंने चंदन के लिए लेप से उत्पन्न किया है। जब शिवजी को यह पता चला तो उन्हें बहुत दुख हुआ कि उन्होंने स्वयं ही अपने पुत्र को मार दिया।
उन्होंने पार्वती जी को समझाने की बहुत कोशिश की, परंतु पार्वती जी ने कहा कि मुझे मेरा पुत्र वापस जीवित चाहिए। माता पार्वती को दुखी देख वहां पर और भी भगवान उपस्थित हो गए। उन्होंने भी माता पार्वती जी को बहुत समझाने की कोशिश की।
अपने पुत्र की मृत्यु देखकर पार्वती जी बहुत क्रोधित हो गई और उन्होंने शिवजी से कहा कि उनके पुत्र को तुरंत जीवित कर दें।
शिवजी ने पार्वती जी से कहा- "हे पार्वती! मैं तुम्हारे पुत्र गणेश को जीवित कर सकता हूं। परंतु मुझे किसी अन्य जीवित प्राणी के सीर को जोड़ने पड़ेगा।"
इस पर माता पार्वती ने रोते हुए कहा- "मुझे अपना पुत्र किसी भी हाल में जीवित चाहिए।"
यह सुनकर शिव जी ने नंदी जी को आदेश दिया- "जाओ नंदी! इस संसार में जो भी तुम्हें पहला जीवित प्राणी मिले उसका सर लेकर आ जाओ। नंदी जी जैसे ही सर की तलाश में निकले, उन्हें सबसे पहले एक हाथी दिखा। वह उस हाथी का ही सर लेकर आ गए।"
भगवान शिव ने उस हाथी के सर को बालक गणेश जी के शरीर से जोड़ दिया। और गणेश जी को फिर से जीवनदान दिया।
शिव जी ने गणेश जी को आशीर्वाद देते हुए उनका नाम गणपति रखा और साथ ही वहां पर उपस्थित सभी देवी देवताओं ने गणेश जी को यह वरदान दिया कि "इस दुनिया में जो भी कुछ नया कार्य करेगा, उसे सबसे पहले श्री गणेश को याद करना होगा।"
माता पार्वती अपने पुत्र गणेश को देखकर खुश हो गए। और आगे चलकर गणेश जी सबसे बुद्धिमान देवता के रूप में जाने गए। आज भी हर हिंदू नए कार्य में सबसे पहले श्री गणेश जी को याद किया जाता है।
इस तरह गणेश जी का जन्म हुआ और उन्हें हाथी का सर मिला।
आशा है आप सभी लोगों को गणेश जी की यह कहानी पसंद आई होगी, यदि हां!! तो नीचे कमेंट करके हमें जरूर बताएं साथ ही हमारी यह पोस्ट को लाइक और शेयर भी कीजिएगा। यदि आपके पास भी कोई कहानी है आपकी तो हमें जरूर लिख भेजिए।
"धन्यवाद।"
Story By :- Khushi
Inspired By :- Ganeshji Ki Kahaniya
Post By :- Khushi
माता पार्वती ने गणेश जी को आदेश दिया कि "मैं स्नान करने जा रही हूं। जब तक मैं स्नान करके ना आऊं, मेरी अनुमति के बिना तुम किसी को भी घर के अंदर मत आने देना।"
गणेश जी ने माता पार्वती से कहा कि वह उनके इस आदेश का पालन करेंगे और किसी को भी घर के अंदर नहीं आने देंगे।
जब शिवजी अपने घर वापस लौटे तो उन्होंने देखा की द्वार पर एक बालक खड़ा है। शिवजी ने घर के अंदर जाने की कोशिश की, तो उस बालक ने उन्हें रोक दिया और कहा कि आप अभी घर के अंदर नहीं जा सकते। शिव जी ने बालक को समझाया कि यह उनका ही घर है, परंतु फिर भी उस बालक ने उनकी बात ना सुनी और उन्हें घर के अंदर नहीं जाने दिया।
यह सब देख शिवजी बहुत क्रोधित हुए। शिवजी ने अपनी सवारी बैल जिन्हें नंदी कहते थे, उनसे कहा वह उस बालक से युद्ध करें और उसे वहां से हटा दें ताकि वह घर के अंदर जा सके। नंदी और गणेश जी दोनों में युद्ध हुआ और गणेश जी ने नंदी को हरा दिया।
यह सब देख शिव भगवान जी बहुत अधिक क्रोधित हो गए और उन्होंने उस बालक का सर काट दिया।
जब माता पार्वती जी स्नान करके वापस लौटी, तब उन्होंने देखा कि उन्होंने जिस बालक को जन्म दिया था, उन्हें शिवजी ने मार दिया| यह देख वह बहुत जोर जोर से रोने लगी।
उन्होंने शिव जी को बताया कि वह बालक उन्हीं का पुत्र है, जिन्हें उन्होंने चंदन के लिए लेप से उत्पन्न किया है। जब शिवजी को यह पता चला तो उन्हें बहुत दुख हुआ कि उन्होंने स्वयं ही अपने पुत्र को मार दिया।
उन्होंने पार्वती जी को समझाने की बहुत कोशिश की, परंतु पार्वती जी ने कहा कि मुझे मेरा पुत्र वापस जीवित चाहिए। माता पार्वती को दुखी देख वहां पर और भी भगवान उपस्थित हो गए। उन्होंने भी माता पार्वती जी को बहुत समझाने की कोशिश की।
अपने पुत्र की मृत्यु देखकर पार्वती जी बहुत क्रोधित हो गई और उन्होंने शिवजी से कहा कि उनके पुत्र को तुरंत जीवित कर दें।
शिवजी ने पार्वती जी से कहा- "हे पार्वती! मैं तुम्हारे पुत्र गणेश को जीवित कर सकता हूं। परंतु मुझे किसी अन्य जीवित प्राणी के सीर को जोड़ने पड़ेगा।"
इस पर माता पार्वती ने रोते हुए कहा- "मुझे अपना पुत्र किसी भी हाल में जीवित चाहिए।"
यह सुनकर शिव जी ने नंदी जी को आदेश दिया- "जाओ नंदी! इस संसार में जो भी तुम्हें पहला जीवित प्राणी मिले उसका सर लेकर आ जाओ। नंदी जी जैसे ही सर की तलाश में निकले, उन्हें सबसे पहले एक हाथी दिखा। वह उस हाथी का ही सर लेकर आ गए।"
भगवान शिव ने उस हाथी के सर को बालक गणेश जी के शरीर से जोड़ दिया। और गणेश जी को फिर से जीवनदान दिया।
शिव जी ने गणेश जी को आशीर्वाद देते हुए उनका नाम गणपति रखा और साथ ही वहां पर उपस्थित सभी देवी देवताओं ने गणेश जी को यह वरदान दिया कि "इस दुनिया में जो भी कुछ नया कार्य करेगा, उसे सबसे पहले श्री गणेश को याद करना होगा।"
माता पार्वती अपने पुत्र गणेश को देखकर खुश हो गए। और आगे चलकर गणेश जी सबसे बुद्धिमान देवता के रूप में जाने गए। आज भी हर हिंदू नए कार्य में सबसे पहले श्री गणेश जी को याद किया जाता है।
इस तरह गणेश जी का जन्म हुआ और उन्हें हाथी का सर मिला।
शिक्षा :-
प्यारे दोस्तों!! "इंसान को कभी भी क्रोधित होकर अपना आपा नहीं खोना चाहिए।"आशा है आप सभी लोगों को गणेश जी की यह कहानी पसंद आई होगी, यदि हां!! तो नीचे कमेंट करके हमें जरूर बताएं साथ ही हमारी यह पोस्ट को लाइक और शेयर भी कीजिएगा। यदि आपके पास भी कोई कहानी है आपकी तो हमें जरूर लिख भेजिए।
"धन्यवाद।"
Story By :- Khushi
Inspired By :- Ganeshji Ki Kahaniya
Post By :- Khushi
No comments:
Post a Comment
Note: Only a member of this blog may post a comment.