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मीकू की शरारत का परिणाम! | Kid's Bedtime Story

चीकू-मीकू नाम के दो चूहे थे, वह दोनों गहरे मित्र थे। दोनों जंगल में रहते थे, वहां उन्हें आसानी से खाना नहीं मिलता था, इसलिए उन दोनों ने फैसला किया कि हम शहर जाएंगे और किसी के घर में जाकर रहेंगे। अगली सुबह चीकू-मीकू दोनों शहर पहुंच गए।


शहर में खूबसूरत बड़ी-बड़ी इमारतें थी, लोगों के बड़े घर थे, खूबसूरत दुकानें थी और खाने का ढेर सारा सामान था। चीकू-मीकू ने एक खूबसूरत सा लाल घर देखा, जिसमें बहुत सुंदर पीले और लाल फूल लगे हुए थे। उन दोनों ने उसी घर में रहने का सोचा। घर के बगीचे में उन दोनों ने अपना छोटा सा बिल बना लिया।

उन दोनों ने यह तय किया कि हर सुबह वह उस घर के किचन में जाकर अपने लिए खाने का सामान लेकर आ जाया करेंगे और फिर अपने बिल में ही आकर खाना खाएंगे। घर में मस्ती नहीं करेंगे ताकि किसी की नजर उन पर नहीं पढ़े। चीकू और मीकू दोनों अगली सुबह किचन में पहुंचे। किचन में ढेर सारा खाना देखकर उन दोनों की आंखें खुली रह गई, उन दोनों की खुशी का ठिकाना न था, उन दोनों ने इतना सारा खाना कभी नहीं देखा था। दोनों ने फटाफट अपने लिए खाना उठाया और अपने बिल में आ गए।

चीकू ने मीकू से कहा, "इतना स्वादिष्ट खाना तो हमने कभी नहीं खाया है यह कितना स्वादिष्ट है। अब तो हर दिन हमें इतना स्वादिष्ट खाना मिला करेगा।"
इस पर मीकू बोला, "हां! खाना तो बहुत ही स्वादिष्ट है। पर तुमने पास के कमरे को देखा था वहां कितने सारे तकिए पड़े हुए थे, और उस घर में सोफे भी कितने बड़े थे। मैं सोच रहा हूं कि कल जाकर मैं उस घर में मस्ती करूं।"

इस पर चीकू बोला, "यह क्या बोल रहे हो दोस्त! क्या तुम भूल गए कि हमें वहां छुप कर जाना है ताकि किसी की नजर हम पर ना पड़े। अगर उन लोगों ने हमें देख लिया तो हमें मार-मार के भगा देंगे।
इस पर मीकू बोला, "अरे तुम यूं ही डर रहे हो! जरा सोचो जंगल में हमें इन चीजों के साथ खेलने के लिए कभी नहीं मिला। मैं तो उन सब चीजों के साथ खेलना चाहता हूं, उन पर सोना चाहता हूं, मस्ती करना चाहता हूं।"

चीकू ने मीकू को समझाते हुए कहा, "मैं समझता हूं कि तुम उन सब चीजों को देखकर आकर्षित हो गए हो और उन सब के साथ मस्ती करना चाहते हो, पर यह मत भूलो कि तुम चूहे हो और वह घर हमारा नहीं है। कहीं ऐसा ना हो कि मस्ती-मजाक में लेने के देने पड़ जाए। बेहतर यही होगा कि हम अपनी सूझबूझ से काम ले। वैसे भी शरारत का परिणाम अच्छा नहीं होता।"

मीकू ने चीकू की बात सुनकर उस वक्त तो हां कर दिया, पर उसके मन में शरारत की भावना अभी भी थी। उसने मन ही मन सोचा कि चीकू तो फालतू में इतना डर रहा है आखिर हम जैसे इतने छोटे से जानवर को कौन देख पाएगा और अगर थोड़ी मस्ती कर भी ली तो उससे क्या बुरा हो जाएगा। मैं तो कल जाकर किसी ना किसी बहाने से चीकू को घर भेज दूंगा और खुद वहां रहकर मस्ती करूंगा।

अगली सुबह फिर से चीकू मीकू दोनों किचन में पहुंचे और वहां से खाने का सामान लेने लगे। खाना लेने के बाद जब उनकी वापस जाने की बारी आई तो मीकू ने चीकू से कहा अरे भाई मैं किचन में कुछ भूल आया हूं, तुम आगे चलो मैं आता हूं। चीकू ने मीकू से कहा ठीक है पर संभल कर रहना।

इतना बोलकर चीकू अपने बिल की तरफ चला गया और मीकू किचन में जाने की जगह घर में सभी जगहों पर उछल-कूद करने लगा। घर के बिस्तर पर, सोफे पर, तकिए पर, इन सब जगहों पर उसे बहुत मजा आ रहा था। उसने खूब उछल-कूद की। अपनी मस्ती करने पर उसने इतना भी ध्यान नहीं दिया कि उसके उछल-कूद के कारण घर का सामान गिरता और टूटता जा रहा था। उसने बिस्तरओं में छेद कर दिए थे और सोफे को कुतर दिया था। यह सब मस्ती करने पर उसे बहुत मजा आया, काफी देर उछल-कूद करने के बाद वह अपने बिल में चला गया।

जैसे ही वह बिल में गया तो चीकू ने उससे पूछा- "आखिर तुम्हें इतनी देर कैसे हो गई, तुम इतनी देर से कहां थे। कहीं तुम मस्ती तो नहीं कर रहे थे न?"
मीकू ने चीकू से झूठ बोल दिया कि उसका पेट दुखने लगा था इसलिए वह थोड़ी देर वहीं रुक गया और फिर आ गया।

मीकू को मन ही मन प्रसंता हो रही थी कि उसके मस्ती का रहस्य उसके दोस्त चीकू को पता नहीं चला और ना ही घर में किसी भी सदस्य ने उसे मस्ती करने से रोका। अब से वह हर दिन जाकर वहां मस्ती करा करेगा और किसी को पता भी नहीं चलेगा।

रात में घर के सदस्य जब लौट कर आए तो वहां अपने घर का हर सामान को टूटा देख घबरा गए, उन्हें समझ नहीं आ रहा था कि यह किसने किया। थोड़ी देर तक जांच पड़ताल करने के बाद उन्हें समझ आया कि यह किसी चूहे का काम है। उन सब ने निश्चय किया कि कल हम लोग घर पर ही रहेंगे और उस शरारती चूहे को पकड़ लेंगे जिसका यह काम है।

अगले दिन फिर से चीकू मीकू खाना लेने के लिए किचन में पहुंचे, खाना लेने के पश्चात मीकू ने चीकू से फिर से कहा, भाई तुम आगे चलो मैं आता हूं। चीकू को शक हो गया था कि मीकू उससे कुछ छुपा रहा है। चीकू ने मीकू को फिर से एक बार समझाते हुए कहा, "दोस्त तुम मेरे साथ ही चलो यहां पर ज्यादा देर तक रहना ठीक नहीं है और शरारत का परिणाम अच्छा नहीं होता।" इस पर मीकू ने हंसकर बोला, "अरे दोस्त तुम चलो ना मैं आता हूं।" चीकू वहां से चला गया।

मीकू एक बार फिर से घर के सब जगहों पर उछल-कूद करने लगा, चीजें तोड़ने लगा। यह सब घर के सदस्य छुप कर देख रहे थे। उन लोगों ने एकदम से मीकू पर हमला कर दिया और उसे झाड़ू से मारने लगे। उसकी बहुत पिटाई की और उसके बाद उसे दूर ले जाकर कूड़ेदान में फेंक दिया।

मीकू के हाथ-पैर टूट गए, उसे बहुत चोट लग गई थी, वह चल भी नहीं पा रहा था। उसे अपने दोस्त की याद आ रही थी, उसे इस बात का अफसोस था कि उसने चीकू से झूठ बोला, अगर उसने चीकू को सच बता दिया होता तो आज चीकू उसकी सहायता करता। अपनी शरारत के कारण उसने अपने हाथ-पाव गवा दिए, अपने दोस्तों से अलग हो गया और अब उसे हमेशा कूड़ेदान के पास ही रहना पड़ेगा जहां पर खाना भी नहीं है।

वहीं दूसरी ओर चीकू, अपने दोस्त मीकू की राह देख रहा था, अगली सुबह तक भी जब मीकू नहीं आया तो चीकू समझ गया कि जरूर मीकू ने शरारत की होगी और उसे उसके परिणाम का दंड मिल गया है। उसे इस बात का दुख था कि काश मीकू ने उसकी बात मान ली होती तो हर रोज वह दोनों साथ मिलकर स्वादिष्ट भोजन करते और आराम से रहते।

शिक्षा - 


प्यारे दोस्तों! "जिस तरह से मीकू अपने दोस्त चीकू की बात को अनसुना कर के शरारत करते रहता है और आखरी में अपने हाथ-पैर गवा देता है। ठीक उसी तरीके से जरूरत से ज्यादा शरारत करने वालों को हमेशा दंड का सामना करना पड़ता है। हमें हमेशा वही कार्य करने चाहिए जो सही हो, मस्ती करने के चक्कर में अगर हम दूसरों का नुकसान करेंगे तो एक न एक दिन हमें उस नुकसान का भुगतान करना ही पड़ेगा।" 

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Story By - Khushi
Post By - Khushi

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