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दिन की दीपावली | तेनालीराम

दीपावली पास थी, राजा कृष्णदेव राय चाहते थे कि इस बार की दीपावली कुछ विशेष हो। इसके लिए चर्चा जोरों पर थी कि क्या किया जाए जो उत्सव यादगार बन जाए। राजपुरोहित ने कहा, "महाराजा, विशाल धार्मिक कथा का आयोजन किया जाए।" एक मंत्री ने कहा- "महाराजा, खेल उत्सव आयोजित करें।" किसी ने कहा- "जादूगरों का करतब रखा जाए।" 

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राजा ने तेनाली से पूछा तो वो बोले- "महाराजा रात के दीपक कि रोशनी से मन प्रसन्न हो जाता है। यदि दिन का उजाला भी दीपों से हो जाए तो इस बार दीपावली यादगार हो जाए।"

"हम कुछ समझे नहीं।" महाराज ने आश्चर्य से पूछा। 
"महाराज, घर के दीपक होते हैं बच्चे। इसलिए इन बच्चों के लिए ऐसा मेला लगाया जाए जिसका हर प्रबंध बच्चों के हाथों में हो। वो अपनी मर्जी से जो चाहे करें। बड़े उसमें हस्तक्षेप न करें, बच्चों का राज हो। बड़े भी मेले में जाएं, मगर बच्चे बनकर!" तेनाली ने कहा।

"इससे तो बड़ा मजा आएगा" कृष्णदेव भी उत्साह से बोले। जी महाराज! और सभी बच्चों को आपकी ओर से पुरस्कार भी मिलें। राज्य के खेल मंत्री ने कहा- तो ठीक है। इस बार घर के दीपक यानि बच्चे ही दीपावली कि तैयारी करेगें। राजा ने सहमति दी।

राज्य के बच्चों कि तैयारी से मेला भरपूर मनोरंजक व रंगीन साबित हुआ। महाराजा ने तेनाली को देखकर कहा- " तुम्हारे सुझाव से ही हमें अपने दिन के उजाले कि ताकत पता चली।" तेनाली ने मुस्कराकर राजा को धन्यवाद किया।

शिक्षा - 

प्यारे दोस्तों! "हमें अक्सर लगता है कि सिर्फ हमसे बड़ी उम्र वाले लोग ही समझदार होते हैं, पर कई बार छोटे बच्चे भी हमें जीवन में आनंद और समझदारी का अनुभव दे जाते हैं। इसलिए कभी भी किसी को कम मत समझिए!"

आशा करते हैं कि आपको यह तेनालीराम की कहानी अच्छी लगी होगी। यदि आपके पास भी उनकी कुछ कहानियां हैं तो हमें जरुर लिख भेजिए। साथ ही हमें कमेंट सेक्शन में लिखकर जरूर बताइएगा कि आपको यह कहानी कैसी लगी और प्लीज हमारी इस पोस्ट को जरूर शेयर कीजिएगा। हम जल्द ही एक नई कहानी के साथ लौटेंगे तब तक आप अपना ध्यान रखना ना भूलें और खुश रहिए।
"धन्यवाद।"

Story By - Tenali Ram Tales

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