यह कहानी जो मैं आज आपके साथ शेयर कर रही हूं, यह वास्तव में एक कथा है जो कि वैभव लक्ष्मी व्रत में पढ़ी जाती है। बचपन से ही मेरी माँ हर शुक्रवार को यह व्रत करती थी और यह कहानी पढ़ती थी इस कारण से आज भी यह कहानी मेरे लिए बहुत ही विशेष है। हमने इस कहानी में कोई भी परिवर्तन नहीं किया है, जैसा पुस्तक में दी हुई थी एकदम वैसी की वैसी ही यह कहानी हमने लिखी है।