एक समय की बात है, एक जंगल में कक्कड़ नाम का कौवा रहता था। वह अपने जीवन से बहुत ही असंतुष्ट था। उसी जंगल में मोरों का झुंड रहता था। कक्कड़ कौवा जब भी मोरों को देखता तो वहां मन ही मन में सोचता कि "भगवान ने मोरों को कितना खूबसूरत बनाया है। उनके पंख कितने खूबसूरत है। यदि मैं भी उनके जैसा खूबसूरत लिखने लगूं तो कितना मजा आएगा।"
एक दिन कक्कड़ नदी के पास घूम रहा था, तभी उसकी नजर पास में बिखरे हुए पंखों पर पड़ी। उसने देखा कि वह तो खूबसूरत मोरों के पंख हैं। उन्हें देखकर वहां बहुत प्रसन्न हो गया और कहने लगा कि - "है भगवान! आपका बहुत-बहुत शुक्रिया। आपने मेरी प्रार्थना सुन ली और मुझे इतनी खूबसूरत पंख दे दिए। अब मैं भी इन्हें लगाकर मोरों की तरह खूबसूरत देखूंगा और कौवे से मोर बन जाऊंगा।"
कक्कड़ कौवे ने अपने ऊपर मोरों के पंख चिपका लिए। उन पंखों को लगाने के बाद वह बहुत ही अभिमान करने लगा। उसे लगने लगा कि वह भी अब एक मोर की तरह खूबसूरत दिख रहा है।
कक्कड़ अभिमान के साथ मोरों के सामने पहुंचा। उसने मोरों से कहा कि - "मैं भी अब तुम लोगों की तरह खूबसूरत हो गया हूं और मैं भी आज से एक मोर बन गया हूं।"
इतना सुनते ही सारे मोर ठहाके लगाकर हंसने लगे। एक मोर ने कहा - "इस नासमझ कौवे को तो देखो, इसे लगता है कि यह हमारे फेंके हुए पंख लगा लेगा और मोर बन जाएगा।"
सारे मोरों ने हां भरी और एक साथ कहने लगे कि चलो इस कौवे को मजा चखाते हैं। इतना बोलते ही सारे मोरों ने उस पर हमला कर दिया और उसे मार-मार के वहां से भगा दिया।
कक्कड़ कौवा बड़ी मुश्किल से अपनी जान बचाते हुए वहां से निकला। वह बड़ी मुश्किल से अपने पेड़ के पास पहुंचा जहां पर अन्य कौवे रहते थे।
उसे घायल देख अन्य कौवे ने पूछा कि आखिर क्या हुआ है, तो कक्कड़ ने अपनी सारी व्यथा सुनाई। उसने बताया कि कैसे उसे मोरों के पंख मिले और उन्हें लगाने के बाद जब वह मोरों के पास गया तो उन सब ने उसे मार-मार कर भगा दिया गया।
यह सब बातें सारे कौवे सुन रहे थे तभी उनमें से एक बुजुर्ग कौवे ने कहा - "यह नासमझ कौवा पहले तो अपने आप को पसंद नहीं करता था और ना ही कौवे की कदर करता था। हमेशा बावला हो कर मोरों की तरह बनना चाहता था। आज जब मोरों ने इसे भगा दिया तो या रोते-रोते हमारे पास आया है।"
"इसे तो यह भी ज्ञान नही कि जो प्राणी अपनी जाती और स्वरूप से संतुष्ट नही रहता, वह हर जगह अपमान पाता है। इस धोखेबाज को तो अपने दल से निकाल देना चाहिए।"
इतना सुनते ही बाकी कौवे ने भी कक्कड़ पर हमला कर दिया और उसे मार-मार के वहां से भी भगा दिया।
अब कक्कड़ कौवा पूरी तरह से अकेला हो गया था, ना उसे मोरों ने स्वीकार किया और ना ही कोई कौवा उससे दोस्ती रखना चाहता था। कक्कड़ को एहसास हो चुका था कि पूरी जिंदगी दूसरों की तरह बनने के चक्कर में, उसके पास जो था वह भी चला गया।
आखिरकार उसे अपना जंगल छोड़कर दूसरी जगह जाना पड़ा।
प्यारे दोस्तों! "ईश्वर ने हम सभी को अलग-अलग स्वरूप दिया है। हमें ईश्वर की बनाई हुई इस रचना का आदर करना चाहिए और अपने स्वरुप को जैसा है वैसे ही स्वीकार कर के संतुष्ट रहना चाहिए। यदि हम दूसरे के स्वरूप को देखकर असंतुष्ट होंगे तो जिंदगी में कभी खुश नहीं रह पाएंगे। आखिरकार इंसान की खूबसूरती उसके रूप से भी ज्यादा उसके व्यक्तित्व से होती है।"
यदि आपको यह कहानी पसंद आई हो तो हमें नीचे कमेंट सेक्शन में लिख कर जरूर बताएं, साथ ही इसे लाइक और शेयर भी कीजिएगा। अगर आप लोगों के पास भी कोई कहानी हो तो हमें लिख भेजिए। अपना ध्यान रखिए और खुश रहिए।
"धन्यवाद।"
Story By - Khushi
Inspired By - Old Tales
Post By - Khushi
एक दिन कक्कड़ नदी के पास घूम रहा था, तभी उसकी नजर पास में बिखरे हुए पंखों पर पड़ी। उसने देखा कि वह तो खूबसूरत मोरों के पंख हैं। उन्हें देखकर वहां बहुत प्रसन्न हो गया और कहने लगा कि - "है भगवान! आपका बहुत-बहुत शुक्रिया। आपने मेरी प्रार्थना सुन ली और मुझे इतनी खूबसूरत पंख दे दिए। अब मैं भी इन्हें लगाकर मोरों की तरह खूबसूरत देखूंगा और कौवे से मोर बन जाऊंगा।"
कक्कड़ कौवे ने अपने ऊपर मोरों के पंख चिपका लिए। उन पंखों को लगाने के बाद वह बहुत ही अभिमान करने लगा। उसे लगने लगा कि वह भी अब एक मोर की तरह खूबसूरत दिख रहा है।
कक्कड़ अभिमान के साथ मोरों के सामने पहुंचा। उसने मोरों से कहा कि - "मैं भी अब तुम लोगों की तरह खूबसूरत हो गया हूं और मैं भी आज से एक मोर बन गया हूं।"
इतना सुनते ही सारे मोर ठहाके लगाकर हंसने लगे। एक मोर ने कहा - "इस नासमझ कौवे को तो देखो, इसे लगता है कि यह हमारे फेंके हुए पंख लगा लेगा और मोर बन जाएगा।"
सारे मोरों ने हां भरी और एक साथ कहने लगे कि चलो इस कौवे को मजा चखाते हैं। इतना बोलते ही सारे मोरों ने उस पर हमला कर दिया और उसे मार-मार के वहां से भगा दिया।
कक्कड़ कौवा बड़ी मुश्किल से अपनी जान बचाते हुए वहां से निकला। वह बड़ी मुश्किल से अपने पेड़ के पास पहुंचा जहां पर अन्य कौवे रहते थे।
उसे घायल देख अन्य कौवे ने पूछा कि आखिर क्या हुआ है, तो कक्कड़ ने अपनी सारी व्यथा सुनाई। उसने बताया कि कैसे उसे मोरों के पंख मिले और उन्हें लगाने के बाद जब वह मोरों के पास गया तो उन सब ने उसे मार-मार कर भगा दिया गया।
यह सब बातें सारे कौवे सुन रहे थे तभी उनमें से एक बुजुर्ग कौवे ने कहा - "यह नासमझ कौवा पहले तो अपने आप को पसंद नहीं करता था और ना ही कौवे की कदर करता था। हमेशा बावला हो कर मोरों की तरह बनना चाहता था। आज जब मोरों ने इसे भगा दिया तो या रोते-रोते हमारे पास आया है।"
"इसे तो यह भी ज्ञान नही कि जो प्राणी अपनी जाती और स्वरूप से संतुष्ट नही रहता, वह हर जगह अपमान पाता है। इस धोखेबाज को तो अपने दल से निकाल देना चाहिए।"
इतना सुनते ही बाकी कौवे ने भी कक्कड़ पर हमला कर दिया और उसे मार-मार के वहां से भी भगा दिया।
अब कक्कड़ कौवा पूरी तरह से अकेला हो गया था, ना उसे मोरों ने स्वीकार किया और ना ही कोई कौवा उससे दोस्ती रखना चाहता था। कक्कड़ को एहसास हो चुका था कि पूरी जिंदगी दूसरों की तरह बनने के चक्कर में, उसके पास जो था वह भी चला गया।
आखिरकार उसे अपना जंगल छोड़कर दूसरी जगह जाना पड़ा।
शिक्षा -
प्यारे दोस्तों! "ईश्वर ने हम सभी को अलग-अलग स्वरूप दिया है। हमें ईश्वर की बनाई हुई इस रचना का आदर करना चाहिए और अपने स्वरुप को जैसा है वैसे ही स्वीकार कर के संतुष्ट रहना चाहिए। यदि हम दूसरे के स्वरूप को देखकर असंतुष्ट होंगे तो जिंदगी में कभी खुश नहीं रह पाएंगे। आखिरकार इंसान की खूबसूरती उसके रूप से भी ज्यादा उसके व्यक्तित्व से होती है।"
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"धन्यवाद।"
Story By - Khushi
Inspired By - Old Tales
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