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नटखट मोंटी खरगोश | Kid's Bedtime Story

बहुत समय पहले की बात है, एक छोटे से जंगल में बहुत सारे जानवर मिलजुल कर रहते थे। उस जंगल में ज्यादातर जानवर शाकाहारी थे, सब जानवर मिलकर घास, पौधे, सब्जियां और पेड़ की पत्तियां खाते थे। उस जंगल की घास और पेड़-पौधे काफी दयालु थे, वह जानवरों का पेट भरने के लिए अपनी पत्तियों को उन्हें खाने देते।


उसी जंगल में एक मोंटी नाम का खरगोश रहता था, वह काफी नटखट था। मोंटी खरगोश को गाजर बहुत पसंद थी, वह रोज जंगल में गाजर और घास खाता। उसका जीवन इसी तरीके से मजे में चल रहा था। पर मोंटी की एक बहुत ही खराब आदत थी। वह अपने खाने के बाद, बची हुई गाजर और आसपास लगी हुई घास उखाड़ देता और उन्हें खराब कर देता।

एक दिन एक गाजर ने अपने पास उगी घास से बात की, 'इस खरगोश को हम इतने स्वादिष्ट गाजर और घास खाने देते हैं, पर यह खाने के बाद हमारी बची हुई गाजरओ को खराब कर देता है, हमें इसे समझाना चाहिए।' घास ने सहमति दिखाते हुए गाजर से कहा कि कल सुबह हम मोंटी खरगोश को समझेंगे कि वह ऐसा ना करें।

अगले दिन जब मोंटी खरगोश गाजर और घास खाने के लिए पहुंचा तो वहां पर एक बड़ी सी गाजर और घास खड़ी हुई थी। वहां उन्हें देखकर आश्चर्यचकित हो गया कि क्या घास और गाजर भी बात कर सकती हैं।

घास और गाजर ने मोंटी खरगोश को समझाते हुए कहा, "तुम हमारे यहां से रोज घास और गाजर खाते हो और हम तुम्हें खाने भी देते हैं। जंगल के सभी जानवरों का पेट भरना, हमें अच्छा लगता है। परंतु तुम अपने खाने के बाद हमारी बची हुई घास और गाजर को उखाड़ कर फेंक देते हो। तुम्हारे ऐसा करने से हर दिन बहुत सारी गाजर और खास खराब हो जाती है। अपने खाने का नुकसान नहीं करना चाहिए, तुम्हें तो खुश होना चाहिए कि तुम्हें हर दिन खाना खाने को मिलता है।"

यह सब सुनकर मोंटी खरगोश बोला, "मुझे इस बात से कोई फर्क नहीं पड़ता कि तुम लोगों का नुकसान होता है, मुझे तो बस घास उखाड़ने में और गाजरओं को इधर-उधर फेखने में मजा आता है।"

गाजर और घास ने फिर से मोंटी खरगोश को समझाते हुए कहा, "जरा सोचो अगर तुम इसी तरीके से जंगल के सारे पेड़-पौधों को नष्ट करते रहोगे तो एक दिन ऐसा भी आएगा जब तुम्हें खाने को कुछ नहीं मिलेगा, ना तुम्हें छाया मिलेगी और ना ही इतना प्यारा वातावरण।"

यह सब सुनकर भी मोंटी खरगोश को कुछ समझ नहीं आया। उसने फिर से एक बार घास और गाजर खाई और बाकी बची हुई चीजों को उखाड़ दिया और इधर-उधर फेंक दिया। यह सब देख घास और गाजर काफी दुखी हुए।

अगले दिन पास के जंगल से एक लोमड़ी आई, उसने मोंटी खरगोश को गाजर खाते हुए देखा। लोमड़ी काफी भूखी थी, एक सुंदर खरगोश को देखकर उसके मुंह में पानी आ गया। उसने सोचा क्यों ना आज इस खरगोश को खा कर पेट भरा जाए। वह खरगोश के पास दौड़कर आ ही रही थी, इतने में गाजर और घास ने देख लिया। उन्होंने मोंटी खरगोश को आगाह किया कि लोमड़ी उसे खाने आ रही हैं।

मोंटी खरगोश को समझ नहीं आ रहा था कि वह कहां जाए, इतने में गाजर ने उसे बड़ी-बड़ी झाड़ियों के पीछे छिपने को कहा। मोंटी खरगोश पास में ही घास की बड़ी-बड़ी झाड़ियों के पीछे छिप गया। लोमड़ी ने मोंटी खरगोश को ढूंढने की बहुत कोशिश की, पर उसे खरगोश नहीं मिला और वह निराश होकर वहां से चली गई।

लोमड़ी के जाते ही मोंटी की जान में जान आई। उसने गाजर और घास को धन्यवाद दिया। गाजर और घाट में मोंटी को समझाते हुए कहा, "देखा आज जरूरत पड़ने पर यही पेड़-पौधों तुम्हारे काम आए, जिन्हें तुम अक्सर नष्ट कर देते थे।" मोंटी खरगोश को अपनी गलती का एहसास हुआ और उसने गाजर और घास से वादा किया कि आज के बाद वह कभी भी पेड़-पौधों को नुकसान नहीं पहुंचाएगा और ना ही अपना खाना फेकेगा।

उस दिन के बाद से मोंटी खरगोश अच्छे से रहने लगा, अब उसे जितनी जरूरत होती थी वह उतना ही खाना लेता था। वह सारे पेड़-पौधों की देखभाल करता था, उन्हें पानी देता था और उनके साथ खुशी-खुशी रहता था।

शिक्षा - 


प्यारे दोस्तों! "इस कहानी से हमें यह शिक्षा मिलती है कि हमें कभी भी अपना खाना बर्बाद नहीं करना चाहिए। अगर हमें रोज खाने को मिल रहा है तो यह बहुत ही खुशनसीबी की बात है, और ना ही हमें पेड़-पौधों को नष्ट करना चाहिए। अगर पेड़-पौधे नहीं होंगे तो हमें ऑक्सीजन कैसे मिलेगी। प्रकृति ने हमें जो कुछ भी दिया है उसका हमें खास ध्यान रखना चाहिए।" 

आशा करती हूं आपको यह कहानी पसंद आई होगी। यदि हां, तो हमें कमेंट बॉक्स में लिख कर जरूर बताएं और अगर आप लोगों के पास भी मजेदार कहानियां हो तो हमें लिखकर भेजना ना भूले। दोस्तों! हमारी वेबसाइट को आपके सहयोग और प्यार की जरूरत है, इसलिए हमारी पोस्ट को शेयर करना ना भूले। आप सभी के सहयोग का बहुत-बहुत धन्यवाद। हम जल्द ही आपसे अगली कहानी के साथ मिलेंगे। तब तक अपना ध्यान रखिए और खुश रहें।

Story By - Khushi
Inspired By - Internet
Post By - Khushi

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