पिंकी एक तीसरी कक्षा में पढ़ने वाली लड़की थी। उसे स्केटिंग का बहुत शौक था इसलिए उसकी मम्मी ने उसे उसके बर्थडे पर नए स्केट्स ला कर दिए। पिंकी की खुशी का ठिकाना ना था, वह जल्द से जल्द स्केटिंग करने जाना चाहती थी।
पिंकी स्वभाव से काफी चंचल थी और इस कारण उसे हर चीज जल्दी-जल्दी करने की आदत थी। अगले दिन जब वह स्केटिंग करने गई तो सड़क पर स्केटिंग करते वक्त वह जोर-जोर से और तेजी से स्केटिंग कर रही थी। उसकी मम्मी ने यह सब खिड़की से देखा, और उन्हें पिंकी की काफी चिंता हुई। उसकी मम्मी को चिंता थी कि कहीं पिंकी अपने आप को घायल ना कर ले।शाम को जब पिंकी घर वापस आई तो उसकी मम्मी ने समझाते हुए कहा, "बेटा! तुम्हें इतनी तेजी से स्केटिंग नहीं करनी चाहिए। तुमने अभी तो सीखना शुरू किया है अगर तुम्हारा नियंत्रण नहीं रहा और तुम गिर गई तो तुम्हें काफी चोट लग सकती है।"
पिंकी ने मां की बातों को नजरअंदाज करते हुए कहा, "मम्मी! आप फालतू में ही चिंता कर रहे हो। मुझे स्केटिंग अच्छे से आती है, मैं नहीं गिरूंगी।"
मां ने फिर पिंकी से कहा, "पर बेटा तुमने अभी-अभी तो सीख शुरू किया है। आखिर सावधानी बरतने में क्या दिक्कत है।"
पिंकी ने फिर मां से कहा, "ओ मम्मी आपको कुछ नहीं पता,मैं पिछले 1 महीने से स्केटिंग कर रही हूं मुझे अब वह अच्छे से आती है। मैं भी अब बड़े बच्चों की तरह तेजी से स्केटिंग कर सकती हूं।"
मां ने पिंकी को एक बार फिर समझाते हुए कहा, "बेटा! बड़े बच्चों को देखकर उनकी नकल करना सही नहीं। मैं समझती हूं कि तुम्हें स्केटिंग करना बहुत अच्छा लगता है, पर उसके साथ अपना ध्यान रखना भी उतना ही जरूरी है।"
पिंकी ने मां की बात सुनकर बस सिर हिला दिया। उसने मन में सोचा कि मां को कुछ नहीं पता, आख़िर मैं भी तो 1 महीने से स्केटिंग कर रही हूं। मैं भी अब बड़े बच्चों की तरह तेजी से स्केटिंग करने के लिए तैयार हूं।
अगले दिन जब पिंकी स्केटिंग करने गई तो शुरुआत में तो उसने अपनी मां की बात को याद कर के ध्यान से स्केटिंग की। परंतु वहीं पर कुछ बड़े बच्चे भी स्केटिंग कर रहे थे। उन्हें देखते से ही पिंकी मां की बातों को भूल गई और उसने भी तेजी से स्केटिंग करना शुरू कर दिया। उसे अपने ऊपर गर्व हो रहा था कि वह कितनी तेजी से स्केटिंग कर रही है, जैसे कि बड़े बच्चे करते हैं।
पर यह क्या! तेजी से स्केटिंग करने के कारण पिंकी को सड़क पर मौजूद एक छोटा सा गड्ढा दिखाई नहीं दिया। वह उससे टकराकर जोर से गिर गई और उसका पैर पास वाली दीवार से टकरा गया। उसके पैर मैं बहुत जोर से चोट लग गई, काफी खून आने लगा। पिंकी जोर-जोर से रोने लगी।
पिंकी की मां उसी वक्त सब्जी लेने के लिए बाहर आई थी। उन्होंने पिंकी की आवाज सुनी और तुरंत वहां पहुंची। उन्होंने पिंकी को गोद में उठाया और अपने घर ले आए।
मां ने पिंकी की चोट साफ की और उसे अच्छे से पट्टी लगाई। फिर मां ने पिंकी को सहलाते हुए समझाया, बेटा मैंने तुमसे कहा था कि जोर-जोर से स्केटिंग मत करना, फिर भी तुमने मेरी बात नहीं सुनी।
पिंकी ने भोलेपन से कहा, "मां मैं पहले ध्यान देकर स्केटिंग कर रही थी पर जब मैंने बड़े बच्चों को देखा तो मेरा भी मन हुआ कि मैं तेजी से स्केटिंग करूं।"
मां ने फिर पिंकी को समझाते हुए कहा, "तुमने कभी सोचा है कि अगर तुमने बड़े बच्चों की नकल नहीं की होती, तो आज तुम्हें चोट नहीं लगती।"
पिंकी को मां की बात समझ आ गई थी। उसने मां से वादा किया कि अगली बार से वह सावधानी बरतेगी और ध्यान से स्केटिंग करेगी।
मां ने पिंकी को प्यार से गले लगा लिया और उससे आइसक्रीम खाने को दी।
जब पिंकी ठीक हो गई, तब उसने फिर से स्केटिंग करना चालू किया, पर इस बार उसे अपना सबक याद था। उसने स्केटिंग करते वक्त अपना ध्यान रखा और बड़े बच्चों की नकल नहीं की। खूब महीनों तक लगातार स्केटिंग प्रैक्टिस करने से अब पिंकी स्केटिंग में बहुत अच्छी हो गई थी। जैसे-जैसे वह बड़ी होती गई, वह स्केटिंग में और भी अच्छी होती चली गई। अब वह इंटर-स्कूल कंपटीशन में भी पार्टिसिपेट करती थी।
शिक्षा -
प्यारे दोस्तों! "बिना सोचे समझे दूसरों की नकल करने से हमें हमेशा नुकसान ही होता है, इसलिए नकल करने से बचें और अपने आप को निपुण बनाने में ध्यान दें।"
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Story By - Khushi
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