तू शबरी बन कर तो दिखा, राम तेरे घर आयेगे।
प्रेम अगर सचा है तो, झूठे वेर भी खायेगे।
तू शबरी बन कर तो दिखा, राम तेरे घर आयेगे।।
रघुनंद को करके वंदन, पल को पट खोला कर।
अपनी वाणी में ओ प्राणी, राम नाम रस गोला कर।
तेरी भावना के चन्दन का, राघव तिलक लगाये गे।
तू शबरी बन कर तो दिखा, राम तेरे घर आयेगे।।
भगती के अमृत से जब तू, मन का दर्पण धो लेंगा।
तेरी सांसो का इक तारा, राम राम जब बोले गा।
तेरी आत्मा के आंगन में, डेरा राम लगायेगे।
तू शबरी बन कर तो दिखा, राम तेरे घर आयेगे।।
Lyricist - Ravi Chopra
Bhajan From - (Ram Tere Ghar Aayenge) T-Series
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