Search Any Story

शेखचिल्ली की खीर | शेखचिल्ली

आज हम आपको शेखचिल्ली की एक और कहानी बताएंगे। इस कहानी को "शेखचिल्ली की खीर" के नाम से जाना जाता है। आइए पढ़ते हैं!

शेखचिल्ली हमेशा बेवकूफी भरी बातें ही करता था, शेख चिल्ली की माँ उसकी बेवकूफी भरी बातों से बहुत परेशान रहती थी। एक बार शेखचिल्ली ने अपनी माँ से पूछा कि माँ! लोग मरते कैसे हैं? अब माँ सोचने लगी कि इस बेवक़ूफ़ को कैसे समझाया जाए कि लोग कैसे मरते हैं, माँ ने कहा कि बस आँखें बंद हो जाती हैं और लोग मर जाते हैं। शेखचिल्ली ने सोचा कि उसे एक बार मर कर देखना चाहिए। उसने गाँव के बाहर जाकर एक गड्ढा खोदा और उसमें आँखें बंद करके लेट गया।

शेखचिल्ली की खीर | शेखचिल्ली | KWStoryTime

रात होने पर उस रास्ते से दो चोर गुजरे। एक चोर ने दुसरे से कहा कि हमारे साथ एक साथी और होता तो कितना अच्छा होता, एक घर के आगे रहता दूसरा घर के पीछे रहता और तीसरा आराम से घर के अंदर चोरी करता। शेखचिल्ली यह बात सुन रहा था, वो अचानक बोल पड़ा "भाइयों मैं तो मर चुका हूँ, अगर जिन्दा होता तो तुम्हारी मदद कर देता।" चोर समझ गए कि यह बिलकुल बेवक़ूफ़ आदमी है।

एक चोर शेखचिल्ली से बोला, "भाई जरा इस गड्ढे में से बाहर निकल कर हमारी मदद कर दो, थोड़ी देर बाद आकर फिर मर जाना। मरने की ऐसी भी क्या जल्दी है।" शेखचिल्ली को गड्ढे में पड़े-पड़े बहुत भूख लगने लगी थी और ठंड भी, उसने सोचा कि चलो चोरों की मदद ही कर दी जाए। तीनों ने मिल कर तय किया की शेखचिल्ली अंदर चोरी करने जाएगा, एक चोर घर के आगे खड़ा रहकर ध्यान रखेगा और दूसरा चोर घर के पीछे ध्यान रखेगा।

शेखचिल्ली को बहुत अधिक भूख लगी थी इसलिए वो चोरी करने के बजाय घर में कुछ खाने पीने की चीजें ढूंढने लगा। रसोई में शेखचिल्ली को दूध, चीनी और चावल रखे हुए मिल गए। "अरे वाह! क्यों न खीर बनाकर खाई जाए!" शेखचिल्ली ने सोचा और खीर बनानी शुरू कर दी। रसोई में ही एक बुढ़िया ठण्ड से सिकुड़ कर सोई हुई थी। जैसे ही बुढ़िया को चूल्हे से आँच लगनी शुरू हुई तो गर्मी महसूस होने पर सही से खुल कर सोने के लिए उसने अपने हाथ फैला दिए।

शेखचिल्ली ने सोचा कि यह बुढ़िया खीर मांग रही है। शेखचिल्ली बोला, "अरी बुढ़िया! मैं इतनी सारी खीर बना रहा हूँ, सारी अकेला थोड़े ही खा लूंगा, शांति रख, तुझे भी खिलाऊंगा।" लेकिन बुढ़िया को जैसे-जैसे सेंक लगती रही तो वो और ज्यादा फ़ैल कर सोने लगी, उसने हाथ और भी ज़्यादा फैला दिए। शेखचिल्ली को लगा कि यह बुढ़िया खीर के लिए ही हाथ फैला रही है, उसने झुंझला कर गरम-गरम खीर बुढ़िया के हाथ पर रख दी। बुढ़िया का हाथ जल गया। चीखती चिल्लाती बुढ़िया एकदम हड़बड़ा कर उठ गई और शेखचिल्ली पकड़ा गया। शेखचिल्ली बोला, "अरे मुझे पकड़ कर क्या करोगे, असली चोर तो बाहर हैं। मुझे बहुत भूख लगी थी, मैं तो अपने लिए खीर बना रहा था।" इस तरह शेखचिल्ली ने अपने साथ-साथ असली चोरों को भी पकड़वा दिया।

उस दिन के बाद से यह किस्सा शेखचिल्ली की खीर के नाम से मशहूर हो गया। हर कोई इसे एक-दूसरे को सुनाता और शेखचिल्ली के मजे लेता।


यदि आपको यह शेखचिल्ली की कहानी पसंद आई हो तो हमें लिखकर कमेंट सेक्शन में जरूर बताइएगा, साथ ही हमारी इस कहानी को लाइक और शेयर भी कीजिएगा। आप हमें अपनी कहानियां भी ईमेल कर सकते हैं। अगली कहानी के साथ हम जल्द ही मिलते हैं तब तक अपना ध्यान रखिए और खुश रहिए।
"धन्यवाद दोस्तों"

Story By - Sheikh Chilli Stories
Post By - Khushi 

No comments:

Post a Comment

Note: Only a member of this blog may post a comment.