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बीरबल और तीन गुडि़यां | अकबर-बीरबल

एक बार एक कलाकार तीन सुन्दर गुडि़यों को लेकर बादशाह अकबर के दरबार में आया। ये गुडि़यां बिल्कुल एक समान थी। उनमें इतनी समानता थी कि उनके बीच अंतर करना बहुत मुश्किल था। बादशाह अकबर को गुडि़यां बहुत प्यारी लगी। उन्होंने कहा, "ये गुडि़यां मुझे बेच दो और मैं तुम्हें इनकी अच्छी कीमत दूंगा।"

बीरबल और तीन गुडि़यां | अकबर-बीरबल | KW Story Time

कलाकार ने कहा, "जहांपनाह! ये गुडि़यां बेचने के लिए नहीं हैं। बेशक मैं आपको ये उपहार के रूप में दे दूंगा यदि आपके दरबार में कोई यह बता दे कि तीनों में से अच्छी कौन सी है।" 
यह एक अजीब पहेली थी। 
अकबर ने गुडि़यों को उठाया और करीब से देखा। किंतु तीनों गुडि़यों में इतनी समानता थी कि अकबर यह नहीं कह सके कि कौन सी अच्छी है। तब उसके प्रत्येक मंत्री ने इस पहेली को सुलझाने की कोशिश की, परंतु वे असफल रहे।

बादशाह अकबर ने बीरबल को बुलाकर कहा, "बीरबल तुम क्यों नहीं कोशिश करते। मुझे विश्वास है कि तुम इस पहेली को हल कर लोगे।" 

बीरबल बादशाह अकबर की ओर सम्मान से झुका और गुडि़यों के पास गए। उन्होंने प्रत्येक गुडि़या को हाथ में उठाया और बड़ी बारीकी से उनको देखा। हर कोई आश्चर्यचकित था। बीरबल ने एक गुडि़या के कान में फूंक मारी। हवा उसके दूसरे कान से बाहर आ गई। फिर उन्होंने दूसरी गुडि़या के कान में फृंक मारी, किंतु इस बार हवा उसके मुंह से निकली। जब बीरबल ने तीसरी गुडि़या के कान में फूंक मारी तो हवा कहीं से भी बाहर नहीं निकली।

बीरबल ने कहा, "जहांपनाह! यह तीसरी गुडि़या ही इन तीनों में सबसे अच्छी है।" बादशाह अकबर हैरान हो गए! उसने कहा, "तुमने यह कैसे जान लिया?"

बीरबल ने कहा, "यह तीनों गुडि़यां तीन व्यक्तियों की तरह हैं।" 

"जब मैंने पहली गुडि़या के कान में फूंक मारी, तो यह दूसरे कान से बाहर आ गई। ऐसे ही जब हम एक रहस्य किसी दूसरे व्यक्ति को बताते हैं तो वह अगले ही पल उसे भूल जाता है।"

"जब मैंने दूसरी गुडि़या के कान में फूंक मारी, तो वह उसके मुंह से बाहर निकल गयी। ऐसे ही कुछ व्यक्ति जो कुछ सुनते हैं, उसे शीघ्र ही दूसरे व्यक्ति को बता देते हैं। ऐसे व्यक्ति कभी रहस्य को छुपाकर नहीं रख सकते।" 

"किंतु जब तीसरी गुडि़या के कान में फूंक मारी, तो हवा कहीं से भी बाहर नहीं आई। इस तरह के व्यक्ति अच्छे होते हैं, जो रहस्य को छुपाकर रखते हैं। आप इन्हें कोई भी रहस्य की बात बता सकते हैं।"

कलाकार ने कहा, "मैंने अभी तक केवल बीरबल के ज्ञान के बारे में सुना था, किन्तु आज मैंने इसे देख भी लिया। बादशाह, ये गुडि़यां आपकी हैं।"

बादशाह अकबर ने प्रशंसा करते हुए कहा "प्रिय बीरबल! तुम्हारी बुद्धि का कोई मुकाबला नहीं है।" 

शिक्षा -

प्यारे दोस्तों! "हमें भी उस तीसरी गुड़िया की तरह होना चाहिए, जो लोगों की बातें ध्यान से सुनती है और अपने अंदर ही रखती है। अगर कोई हमसे अपनी मन की बात बोलते है तो इसका मतलब है कि वह हम पर भरोसा करते हैं, हमें उनका भरोसा नहीं तो होना चाहिए।"

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Story By - Akbar Birbal Stories

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