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चैनी चिड़िया की पोटली | Kids Story

एक खूबसूरत जंगल में एक चैनी नाम की चिड़िया रहती थी। उसे खूब ऊंचा उड़ना पसंद था, हर दिन वह नई जगह पर जाती, खूबसूरत पेड़ों की टहनियों पर बैठती और दिन भर चहचहाती रहती।

चैनी इसी तरह अपना हर दिन बिताया करती थी। परंतु चैनी की एक विशेष आदत थी जो वह हर दिन करा करती थी। हर दिन चैनी चिड़िया के साथ जो भी होता अच्छा या बुरा वह उतने पत्थर (काले और सफेद रंग के) उठाकर अपनी छोटी सी पोटली में बांध लेती।




हर रोज रात में वह अपने पत्थरों को देखकर पुराना समय याद करती। सफेद रंग के पत्थरों को देखकर वह अपना अच्छा समय याद करती और खुश होती। काले रंग के पत्थरों को देखकर वह अपना बुरा समय याद कर कर दुखी होती।

हर दिन वह इसी तरह अपने पास पत्थर इकट्ठे करा करती और अपने पोटली में डालती जाति। चैनी चिड़िया को अपनी पोटली से बहुत लगाव था, वह जहां भी जाती अपनी पोटली को साथ में बांट कर ले जाती।

ऐसा कई समय तक चलता गया, धीरे-धीरे चैनी चिड़िया की पोटली भारी होती जा रही थी। उसे साथ लेकर उड़ना मुश्किल होता जा रहा था।

चैनी चिड़िया को समझ नहीं आ रहा था कि वह क्या करें? उसे अपने पोटली से बहुत प्यार था, वह पोटली को अपने आप से दूर नहीं करना चाहती थी। परंतु चैनी को उड़ने में भी बहुत परेशानी हो रही थी।

अब चैनी पूरे समय परेशान रहती। फिर भी हर रात को वह अपनी पोटली में से अपने पत्थर निकालती और अपना बीता हुआ समय याद करती।

थोड़ा समय और बीत गया और अब चैनी की पोटली बहुत ज्यादा भारी हो चुकी थी। उड़ना तो दूर की बात है अब चैनी के लिए चलना भी बहुत मुश्किल हो गया था। उसकी पोटली उससे भी ज्यादा बड़ी और भारी हो चुकी थी।

उसके लिए अपना खाना पीना तलाशना मुश्किल हो गया था। वह दिन-प्रति-दिन कमजोर और बीमार होती जा रही थी।

यहां सब कुछ बहुत समय से टीटू तोता देख रहा था, वह चैनी चिड़िया के पास वाले पेड़ पर रहता था। टीटू तोते को चैनी चिड़िया की हालत देख कर बहुत दुख हुआ और उसने चैनी चिड़िया से बात करने के बारे में सोचा।

वह चैनी चिड़िया के पास जाकर बैठा और उससे कहा - "नमस्ते चैनी बहन! कैसी हो तुम? मैं काफी समय से तुम्हें देख रहा हूं, तुम दिन-ब-दिन बीमार होती जा रही हो? आजकल तो तुम आकाश में उड़ती भी नहीं हो और ना ही पेड़ के ऊपर जाकर अपने घोंसले में बैठती हो? क्या हो गया है?" 

टीटू तोते की बात सुनकर चैनी चिड़िया उसके सामने जोर-जोर से रोने लगी और अपनी परेशानी बताते हुए उसने कहा - "भैया टीटू! मुझे हर दिन अपनी पोटली में पत्थर इकट्ठे करना पसंद है। काले पत्थर अपने बुरे समय के लिए और सफेद पत्थर अपने अच्छे समय के लिए मैं खट्टे करती हूं और हर दिन उन्हें देखकर अपना बीता हुआ वक्त याद करती हूं। परंतु अब मेरी पोटली बहुत भर चुकी है और वह भारी भी बहुत ज्यादा हो गई है। मेरे लिए अपनी पोटली को साथ लेकर कहीं भी जाना मुश्किल हो गया है। उड़ना तो दूर की बात है, मैं तो आजकल चल भी नहीं पाती हूं। मैं बहुत परेशान हूं और मुझे समझ नहीं आ रहा है कि मैं क्या करूं।" 

टीटू तोते ने शांति से चैनी चिड़िया की सारी बातें सुनी। उसने कहा - "बुरा मत मानना चैनी बहन पर मुझे बताओ कि तुम यह पत्थर क्यों इकट्ठा करा करती हो? इसलिए ना ताकि वह तुम्हें अपने भूतकाल की याद दिलाते रहे। पर क्या तुमने यह सोचा है कि अपने भूतकाल को याद करने के चक्कर में तुम्हारा वर्तमान में जीना मुश्किल हो गया है। अगर ऐसा ही चलता रहा तो हो सकता है कि तुम्हारे लिए कोई भविष्य बचे ही ना। मैं मानता हूं कि हमें अपने भूतकाल की याद आती है, हम सभी उसे याद कर के कभी खुश होते हैं तो कभी दुखी होते हैं। परंतु क्या भूतकाल के चक्कर में अपने भविष्य में परेशानी उठाना सही है? भूतकाल कभी वापस नहीं आएगा परंतु हमारा वर्तमान हमेशा हमारे सामने रहता है। अच्छा यही है कि हम उस का आनंद लें।"

"अपनी पोटली को अपने आप से हटा दो। तुम फिर से आसानी से चल पाओगी और उड़ पाओगी।" 

चैनी ने समझते हुए टीटू की सारी बातें सुनी और कहा- " भैया! आप सही कह रहे हैं। मुझे अपने भूतकाल को जाने देना होगा तभी मैं वर्तमान में ठीक से जी पाऊंगी। इस पोटली के चक्कर में मेरा तो खाना पीना ही दुश्वार हो गया। अब से मैं हमेशा वर्तमान में जिऊंगी और अपने जीवन का पूरा आनंद लूंगी।" 

चैनी ने अपनी पोटली अपने आप से हटा दी। वह तुरंत ही हल्का महसूस करने लगी। उस में ताकत आने लगी। उसने जल्द ही पास की नदी में से पानी पिया और थोड़ा सा खाना खाया। अब उसने और ताकत आ गई थी और वहां फिर से उड़ने के लिए तैयार थी।

फिर से चैनी चिड़िया हर दिन सैर पर जाती, नए-नए पेड़ों पर बैठती और खूब मजे करती, परंतु अब वह हर दिन पत्थर इकट्ठे कर के नहीं लाती और ना ही वह उससे अपनी पोटली भर्ती। वह खुशहाल जीवन जीने लगी।

शिक्षा - 

प्यारे दोस्तों! "हमारे जीवन में भी ऐसा ही होता है, हम सब अपनी पुरानी बातों को पत्थरों के रूप में अपनी पोटली में भरते जाते हैं। कई बार तो हम अपने वर्तमान का आनंद ही नहीं ले पाते हैं और अपने भूतकाल की बातों में ही सोचा बिचारी करते रहते हैं। ऐसा करने से हम अपना वर्तमान का कीमती समय भी व्यर्थ कर देते हैं और उसका आनंद भी नहीं उठा पाते। अब समय आ गया है कि हम लोग भी अपने भूतकाल से सीख ले परंतु अपने वर्तमान को हर दिन जिए, अन्यथा हमें भी चैनी चिड़िया के जैसे परेशानी उठानी पड़ेगी।"

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"धन्यवाद।"

Story By - Khushi
Inspired By - Internet
Post By - Khushi

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