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अशुभ चेहरा | अकबर-बीरबल

बहुत समय पहले, बादशाह अकबर के राज्य में यूसुफ नामक एक युवक रहता था। उसका कोई दोस्त नहीं था, सभी लोग उससे नफरत करते थे। सभी उसका मजाक उड़ाते थे और जब वह सड़क पर चलता तो सब उस पर पत्थर फेंकते थे। यूसुफ का जीवन दयनीय था, सभी सोचते थे कि वह बहुत ही बदनसीब है। लोग तो यहां तक कहते थे कि यूसुफ के चेहरे पर एक नजर डालने से, देखने वाले व्यक्ति पर भी बदनसीबी आ सकती है।


इस प्रकार, भले ही लोग यूसुफ से नफरत करते थे, पर उसकी कहानी दूर-दराज तक प्रसिद्ध थी। वह अफवाहें अकबर के कानों तक भी पहुंची। वह जांचना चाहता था कि क्या लोगों का कहना सच है। उन्होंने यूसुफ को दरबार में बुलाया और उससे विनम्रता से बात की। लेकिन उसी वक्त एक दूत ने दरबार में आकर अकबर को सूचित किया कि बेगम गंभीर रूप से बीमार हैं। उस दूत ने कहा, "जहांपनाह! आपसे अनुरोध है कि आप तुरंत रानी साहिबा के कक्ष में चलें। रानी साहिबा बेहोश हो गई हैं और चिकित्सकों को इसका कारण समझ नहीं आ रहा है।"

अकबर रानी साहिबा के पास भागे। वे पूरी दोपहर उनके बिस्तर के बगल में बैठे रहे। शाम को जब रानी साहिबा फिर से बेहतर महसूस करने लगी, तब अकबर दरबार में लौट आये। यूसुफ अभी भी उनका इंतजार कर रहा था।

यूसुफ को देखते ही अकबर को गुस्सा आ गया। उन्होंने गुस्से से कहा, "तुम्हारे बारे में सारी अफवाहें सच हैं! तुम वास्तव में मनहूस हो। मैंने तुम्हारा चेहरा देखा और उस कारण मेरी रानी साहिबा बीमार हो गई। मैं नहीं चाहता कि आज के बाद कोई भी तुम्हारा चेहरा देखें और उस पर भी बदनसीबी छा जाए, इसलिए आज से तुम्हें जेल में बंद कर दिया जाएगा ताकि कोई भी तुम्हारा चेहरा ना देखें।"

बादशाह अकबर ने जेल के पहरेदारों को यूसुफ को ले जाने का आदेश दे दिया। बेचारे यूसुफ के पास और कोई चारा नहीं था। वह जोर से चिल्लाया और पहरेदारों से छोड़ने की विनती की। बादशाह का निर्णय बहुत अनुचित था। लेकिन दरबार में कोई भी सम्राट के विरोध में कुछ भी कहने की हिम्मत नहीं कर पाया।

अचानक बीरबल वहां गया, जहां यूसुफ खड़ा था, और उसके कान में कुछ फुसफुसाया। यूसुफ बादशाह के सामने झुककर बोला, "जहांपनाह! मैं कैदखाने में जाने को तैयार हूं, पर आप मेरे एक सवाल का जवाब दीजिए, यदि मेरे चेहरे को देखकर रानी बीमार हो गई हैं, तो मेरा चेहरा आपने भी देखा है, तो आप बीमार क्यों नही हुए।"
अकबर को अपनी गलती का एहसास हो गया। उसने यूसुफ को जाने दिया और खजाने में से सोने का एक थैला उसे भेंट किया। एक बार फिर दरबार में बैठे लोगों ने बीरबल के ज्ञान और बुद्धि की प्रशंसा की।

शिक्षा -
प्यारे दोस्तों! "कभी भी सुनी-सुनाई अफवाह को सच ना माने, हमेशा सोच-समझकर और जांचने के बाद ही किसी के बारे में राय बनाएं।"

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Story By - Akbar Birbal Stories
Post By - Khushi

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