बहुत समय पहले, एक समृद्ध राज्य में, एक राजा और उसकी रानी रहते थे। अपनी उदारता और बुद्धिमत्ता के लिए उनकी प्रजा उन्हें बहुत चाहती थी, और उनके न्यायपूर्ण शासन के तहत राज्य फला-फूला। शाही जोड़े के पास हर सुख-सुविधा थी, लेकिन एक चीज की कमी थी; उनके पास कोई संतान नहीं थी जो उनके परिवार को पूरा कर सके।
रानी गहरी श्रद्धा से सूर्य देव की पूजा करती थी, यह विश्वास करते हुए कि उनकी दिव्य कृपा से उन्हें एक दिन संतान की प्राप्ति होगी। उसका विश्वास अटूट था, और वह रोजाना प्रार्थना और अनुष्ठानों में सुकून पाती थी, उम्मीद करती थी कि उसकी इच्छाएं एक दिन पूरी होंगी।
एक शांत दिन, राजा और रानी अपने हरे-भरे शाही बगीचे में टहल रहे थे। वे एक शांत सरोवर के किनारे रुके और प्रकृति की सुंदरता का आनंद ले रहे थे। अचानक, पानी से एक मेंढक निकला और साफ आवाज में उनसे बात करने लगा। मेंढक ने भविष्यवाणी की कि रानी जल्द ही एक बेटी को जन्म देगी, जो सूर्य देव का उपहार होगी।
भविष्यवाणी सच निकली और उसी वर्ष रानी ने एक सुंदर बच्ची को जन्म दिया। उन्होंने आभार स्वरूप बच्ची का नाम सनशाइन रखा। राज्य में खुशियाँ मनाई गईं और राजा ने उसके जन्म पर एक विशाल उत्सव का आयोजन किया।
राजा ने दूर-दूर से लोगों को इस उत्सव में आमंत्रित किया, लेकिन अपनी खुशी में, वे गलती से काली परी को बुलाना भूल गए। जब उत्सव में सब खुशी से झूम रहे थे, तभी काली परी वहां आ गई और क्रोधित होकर उन्होंने बच्ची को श्राप दिया कि जब वह पंद्रह साल की होगी, तो चरखे की सुई चुभने से उसकी मृत्यु हो जाएगी।
सभी लोग दुखी हो गए। तभी, सफेद परी आगे आई और कहा कि वह इस श्राप को पूरी तरह से तो नहीं हटा सकती, लेकिन इसे कम कर सकती है। उन्होंने कहा कि सनशाइन की मौत नहीं होगी, बल्कि वह और महल में मौजूद सभी लोग सौ साल के लिए गहरी नींद में सो जाएंगे, और उन्हें एक राजकुमार के सच्चे प्रेम के चुंबन से ही जगाया जा सकेगा।
साल बीत गए और सनशाइन एक सुंदर और दयालु युवती के रूप में बड़ी हुई। राज्य में सुख-शांति बनी रही और श्राप को सब भूल ही गए। जैसे-जैसे सनशाइन का पंद्रहवां जन्मदिन नजदीक आया, राजा और रानी किसी राजकीय कार्य के लिए राज्य से बाहर गए और सनशाइन को एक भरोसेमंद दासी के हवाले छोड़ दिया।
अपने जन्मदिन पर, सनशाइन महल में घूमते हुए एक पुराने तहखाने में पहुंच गई। वहां एक पुराना चरखा रखा हुआ था। उसने उसे छुआ और उसकी सुई उसे चुभ गई। वह तुरंत जमीन पर गिर गई और गहरी नींद में सो गई।
महल के सेवकों ने उसे बहुत खोजा और तहखाने में सोती हुई पाई। जैसे ही उसे बिस्तर पर लिटाया गया, महल के सभी लोग एक-एक करके सोने लगे।
सालों गुजर गए। महल के चारों ओर जंगल और कांटेदार झाड़ियाँ उग आईं, जिससे महल तक पहुँचना मुश्किल हो गया। कई राजकुमारों ने महल तक पहुँचने की कोशिश की, लेकिन सभी विफल रहे और काली परी के श्राप के कारण वे सब भी सो गए।
एक दिन, एक सुंदर राजकुमार, जिसने कई राज्यों को जीत लिया था, उस महल की कहानी सुनकर वहां पहुंचा। सभी ने उसे रोकने की कोशिश की, लेकिन उसने किसी की न सुनी और महल की ओर बढ़ गया। जैसे ही वह महल के पास पहुंचा, झाड़ियाँ अपने आप रास्ता देने लगीं। वह सीधा राजकुमारी के कमरे में पहुंचा। मार्ग में सभी लोग सोते हुए मिले।
राजकुमार ने सुंदर राजकुमारी को देखा और उसकी सुंदरता से मंत्रमुग्ध हो गया। उसने राजकुमारी के पास जाकर उसे चूमा। जैसे ही उसने ऐसा किया, श्राप टूट गया और उसके साथ ही महल के सभी लोग जाग गए। राजा और रानी बहुत खुश हुए और उन्होंने तुरंत राजकुमार और राजकुमारी की शादी करवा दी।
शिक्षा -
प्यारे दोस्तों! "इस कहानी से हमें यह सिखने को मिलता है कि सच्चा प्रेम और दयालुता किसी भी श्राप को तोड़ सकती है। यह भी याद दिलाता है कि दूसरों को नज़रअंदाज करना, चाहे अनजाने में ही क्यों न हो, गंभीर परिणाम दे सकता है। लेकिन, लोगों के दिलों में भलाई और अच्छाई हमेशा अंधकार के समय को रोशनी में बदल सकती है और शांति और सद्भावना को बहाल कर सकती है।"
No comments:
Post a Comment
Note: Only a member of this blog may post a comment.