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तेंदुए का शिकार | शेखचिल्ली

चलिए आज हम आपको शेखचिल्ली की एक और मजेदार कहानी बताते हैं!
एक बार की बात है, शेखचिल्ली का भाग्य जागा! झज्जर के नवाब ने शेखचिल्ली को नौकरी पर रख लिया था। शेखचिल्ली अब समाज का एक गणमान्य व्यक्ति था।

एक दिन नवाब साहब शिकार के लिए जा रहे थे। शेखचिल्ली ने भी साथ आने की विनती की। 

तेंदुए का शिकार | शेखचिल्ली | KW Story Time

"अरे मियां तुम घने जंगलों में क्या करोगे?" नवाब ने पूछा। 
"जंगल कोई दिन में सपने देखने की जगह थोड़े ही है! क्या तुमने कभी किसी चूहे का शिकार किया है जो तुम अब तेंदुए का शिकार करोगे?" नवाब ने आगे कहा।

"सरकार आप मुझे बस एक मौका दीजिए अपनी कुशलता दिखाने का" शेखचिल्ली ने बड़े अदब के साथ फर्माया।

तो अब जनाब शेखचिल्ली भी हाथ में बंदूक थामे शिकार के समूह के साथ हो लिए। उसने अपने आपको एक मचान के ऊपर पाया। थोड़ी ही दूर पर एक बड़ा पेड़ था जिससे तेंदुए का भोजन, 'एक बकरी बंधी थी।' 
चांदनी रात थी, इस माहौल में जब भी तेंदुआ बकरी के ऊपर कूदेगा तो वो साफ दिखाई देगा। 

दूसरी मचानों पर नवाब साहब और उनके अनुभवी शिकारी चुपचाप तेंदुए के आने का इंतजार कर रहे थे। इस तरह जब कई घंटे बीत गए तो शेखचिल्ली कुछ बेचैन होने लगा। 
"वो कमबख्त तेंदुआ कहां है?" उसने यह अपने साथ बैठे दूसरे शिकारी से पूछा।
"चुप बैठो! इस तरह तुम पूरा बेड़ा ही गर्क कर दोगे!" शिकारी ने फुसफुसाते हुए कहा।

शेखचिल्ली चुप हो गया परंतु उसे यह अच्छा नहीं लगा। शेखचिल्ली मन में सोचने लगा, यह भी भला कोई शिकार है कि हम सब लोग पेड़ों में छिपे बैठे हैं और एक गरीब से जानवर का इंतजार कर रहे हैं? हमें अपनी बंदूक उठाए पैदल चलना चाहिए! परंतु लोग कहते हैं कि तेंदुआ बहुत तेज दौड़ता है। वो जंगल में उसी तरह दौड़ता है जैसे मेरी पतंग आसमान में दौड़ती है, खैर छोड़ो भी। हम उसके पीछे-पीछे दौड़ेंगे। हम आखिर तक उसका पीछा करेंगे। धीरे-धीरे करके बाकी शिकारी पीछे रह जाएंगे। मैं सबको पीछे छोड़कर आगे जाऊंगा। मैं तेंदुए के एकदम पीछे जाऊंगा। तेंदुए को पता होगा कि मैं उसके एकदम पीछे हूं। वो रुकेगा, वो मुड़ेगा, उसे पता होगा कि अब उसका अंत नजदीक है। वो सीधा मेरी आखों में देखेगा। एक शिकारी की आखों में देखेगा। और फिर मैं....
धांय (शेखचिल्ली की बंदूक चल गई) और तेंदुआ बकरी के सामने मर कर गिर गया। वो बस बकरी को दबोचने वाला ही था!

एक शिकारी बड़ी सावधानी से तेंदुए के मृत शरीर को देखने के लिए गया। तेंदुआ मर चुका था। पर इतनी फुर्ती से उसे किसने मारा था? शेखचिल्ली के साथी ने पीठ ठोककर शेखचिल्ली को शाबाशी दी।

"क्या गजब का निशाना है!" उसने कहा। 
"तुमने तो हम सबको मात कर दिया और आश्चर्य में डाल दिया!"

"शाबाश मियां! शाबाश!" नवाब साहब ने शेख चिल्ली को बधाई देते हुए कहा। इस बीच में पूरी शिकारियों का झुंड शेखचिल्ली द्वारा मारे गए तेंदुए का मुआयना करने के लिए इकट्‌ठी हो गई थी। 
"मुझे लगा कि कोई भी शिकारी मुझे चुनौती नहीं दे पाएगा परंतु शेखचिल्ली ने हम सबको सबक सिखा दिया। वाह! क्या उम्दा निशाना था!"

शेखचिल्ली ने बडे अदब से अपना सिर झुकाया। वो तेंदुआ कब आया और कैसे उसकी बंदूक चली इसका शेखचिल्ली को कोई भी अंदाज नहीं था!

परंतु तेंदुआ मर चुका था। और अब शेखचिल्ली एक अव्वल दर्जे का शिकारी बन चुका था! इस बारे में अब किसी को कोई शक नहीं था! 

इस तरह शेखचिल्ली ने अपने ख्याली पुलाव बनाते हुए, गलती से बंदूक चलाई और अव्वल दर्जे का शिकारी बन गया।


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"धन्यवाद दोस्तों"

Story By - Sheikh Chilli Stories

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