एक बार एक पड़ोसी राजा ने विजयनगर पर आक्रमण कर दिया। महाराज कृष्णदेव राय ने अपनी और अपने दरबारियों की सूझ-बूझ से युद्ध जीत लिया। और उन्होंने विजय हासिल करने पर उत्सव की घोषणा कर दी।
तेनालीराम किसी कारणवश उचित समय पर उत्सव मे नहीं आ पाए। उत्सव की समाप्ति पर महाराज ने कहा– "यह जीत मुझ अकेले की जीत नहीं है बल्कि आप सभी दरबारियों की जीत है। इस अवसर पर हमने सभी दरबारियों को उपहार देने की व्यवस्था की है। सभी सदस्य उस मंच पर रखे अपनी-अपनी पसंद के उपहार उठा लें।"
एक ओर मंच पर कीमती उपहार रखे थे। प्रधानमंत्री सहित सभी दरबारी उस पर झपट पड़े और एक-दूसरे को धकेलकर कीमती से कीमती उपहार उठाने लगे। जीतने दरबारी थे, उतने ही उपहार थे। पलक झपकते ही मंच उपहारों से खाली हो गया और वहाँ एक तश्तरी पड़ी रह गई।
तेनालीराम को तश्तरी इस प्रकार ढकते देखकर महाराज ने आश्चर्य से पूछा- "तेनालीराम! तश्तरी को इस प्रकार क्यों ढक लिया।"
तेनालीराम ने उत्तर दिया- "आपका सम्मान कायम रखने के लिए महाराज।"
"क्या मतलब? हमारे सम्मान को क्या हुआ?" कृष्णदेव चौंके बोले।
तेनालीराम ने कहा- "महाराज! आज तक मैंने मोतियों और अशर्फ़ियों से भरे थल उपहार में प्राप्त किए हैं। जरा सोचिए कि यदि मैं आज खाली तश्तरी लेकर जाऊंगा तो प्रजा क्या सोचेगी, यही न कि महाराज का दिवाला निकाल गया, इसलिए तेनालीराम को खाली तश्तरी इनाम में दी है।"
"ओह!" तेनालीराम कि चतुराई भरी बात सुनकर महाराज गद्गद हो उठे और बोले- "नहीं तेनालीराम! आज भी हम तुम्हें खाली तश्तरी नहीं देंगे। लाओ तश्तरी आगे बढ़ाओ।"
महाराज ने अपने गले का बहुमूल्य हार उतारकर उसकी तश्तरी में डाल दिया। ये सबसे कीमती उपहार था। जिसे तेनालीराम ने अपनी चतुराई से पाया था। यह देखकर उनसे जलने वाले दरबारी जल भूनकर राख हो गए।
प्यारे दोस्तों!
"जिस तरह बाकी सारे सभा के लोग अपने उपहार पाकर घमंड करने लगते हे और ये सोचने लगते हे की तेनाली रमण को तो कुछ नही मिलेगा, ठीक उसी तरह वास्तविक जीवन मे भी कई बार लोग ये सोचने लगते हे की सिर्फ़ उनकी ही चीज़ सर्वश्रेष्ठ हे, बाकी सबकी तुच्छ हे । हम नहीं जानते की कब कौन क्या मेहनत करके पाले इसलिए कभी भी दूसरों को नीचा नही दिखाना चाहिए और अपनी चीज़ों पर घमंड नहीं करना चाहिए ।"
यदि आपको यह कहानी पसंद आई हो तो हमें कमेंट बॉक्स में लिख कर जरूर बताएं। अगर आप लोगों के पास भी अकबर-बीरबल की मजेदार कहानियां हो तो हमें लिखकर भेजना ना भूले। दोस्तों! हमारी वेबसाइट को आपके सहयोग और प्यार की जरूरत है, इसलिए हमारी पोस्ट को शेयर करना ना भूले। आप सभी के सहयोग का बहुत-बहुत धन्यवाद।
हम जल्द ही आपसे अगली कहानी के साथ मिलेंगे। तब तक अपना ध्यान रखिए और खुश रहें।
Story By :- TenaliRaman Stories
Post By :- Khushi
तेनालीराम किसी कारणवश उचित समय पर उत्सव मे नहीं आ पाए। उत्सव की समाप्ति पर महाराज ने कहा– "यह जीत मुझ अकेले की जीत नहीं है बल्कि आप सभी दरबारियों की जीत है। इस अवसर पर हमने सभी दरबारियों को उपहार देने की व्यवस्था की है। सभी सदस्य उस मंच पर रखे अपनी-अपनी पसंद के उपहार उठा लें।"
एक ओर मंच पर कीमती उपहार रखे थे। प्रधानमंत्री सहित सभी दरबारी उस पर झपट पड़े और एक-दूसरे को धकेलकर कीमती से कीमती उपहार उठाने लगे। जीतने दरबारी थे, उतने ही उपहार थे। पलक झपकते ही मंच उपहारों से खाली हो गया और वहाँ एक तश्तरी पड़ी रह गई।
तभी तेनालीराम भी वहाँ आ पहुँचे, सभी दरबारी उनकी ओर व्यंग्य से देखकर मुस्कराने लगे कि अब आए जब दुनिया लूट गई। तेनालीराम महाराज के करीब पहुँचे तो उनहोंने सारी बात बताकर कहा कि वहाँ आपके हिस्से का उपहार बचा है, उसे आप ले लें। तेनालीराम ने चाँदी कि वह तश्तरी उठा ली और बड़ी श्रद्धा के साथ माथे से लगाकर अपने पटके से ढक ली। सभी दरबारी खुश थे कि तेनालीराम को मात्र एक चांदी कि तश्तरी ही मिली थी जबकि उनके पास बहुमूल्य उपहार थे।
तेनालीराम को तश्तरी इस प्रकार ढकते देखकर महाराज ने आश्चर्य से पूछा- "तेनालीराम! तश्तरी को इस प्रकार क्यों ढक लिया।"
तेनालीराम ने उत्तर दिया- "आपका सम्मान कायम रखने के लिए महाराज।"
"क्या मतलब? हमारे सम्मान को क्या हुआ?" कृष्णदेव चौंके बोले।
तेनालीराम ने कहा- "महाराज! आज तक मैंने मोतियों और अशर्फ़ियों से भरे थल उपहार में प्राप्त किए हैं। जरा सोचिए कि यदि मैं आज खाली तश्तरी लेकर जाऊंगा तो प्रजा क्या सोचेगी, यही न कि महाराज का दिवाला निकाल गया, इसलिए तेनालीराम को खाली तश्तरी इनाम में दी है।"
"ओह!" तेनालीराम कि चतुराई भरी बात सुनकर महाराज गद्गद हो उठे और बोले- "नहीं तेनालीराम! आज भी हम तुम्हें खाली तश्तरी नहीं देंगे। लाओ तश्तरी आगे बढ़ाओ।"
महाराज ने अपने गले का बहुमूल्य हार उतारकर उसकी तश्तरी में डाल दिया। ये सबसे कीमती उपहार था। जिसे तेनालीराम ने अपनी चतुराई से पाया था। यह देखकर उनसे जलने वाले दरबारी जल भूनकर राख हो गए।
शिक्षा :-
प्यारे दोस्तों!"जिस तरह बाकी सारे सभा के लोग अपने उपहार पाकर घमंड करने लगते हे और ये सोचने लगते हे की तेनाली रमण को तो कुछ नही मिलेगा, ठीक उसी तरह वास्तविक जीवन मे भी कई बार लोग ये सोचने लगते हे की सिर्फ़ उनकी ही चीज़ सर्वश्रेष्ठ हे, बाकी सबकी तुच्छ हे । हम नहीं जानते की कब कौन क्या मेहनत करके पाले इसलिए कभी भी दूसरों को नीचा नही दिखाना चाहिए और अपनी चीज़ों पर घमंड नहीं करना चाहिए ।"
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