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नादान पीकू खरगोश | Kid's Story

पुराने समय की बात है। एक खूबसूरत जंगल था, उसमें काफी सारे जानवर, छोटे-छोटे तालाब और खूबसूरत विशाल पेड़ थे। एक बार गर्मियों का मौसम चल रहा था, जिस कारण से बहुत जोर की गर्मी पड़ी। सूरज से निकलती धूप इतनी तेज थी कि उसके आगे खड़े होना मुश्किल था। अधिक धूप और गर्मी से पेड़-पौधे सूखने लगे, हरियाली खत्म हो रही थी और तालाब का पानी भी सूखता जा रहा था। सभी जानवर इस बात से काफी परेशान थे।

NadaanPikuKhargosh_KidsShortStory


उसी जंगल में एक पीकू नाम का खरगोश रहता था, वह बहुत ही चंचल और नादान था। पर पीकू अपने आपको बेहद समझदार समझता था। पीकू खरगोश भी गर्मी से काफी परेशान था, उसे पीने के लिए पानी नहीं मिल पा रहा था और जंगल की हरियाली खत्म होने के कारण वह खाना भी नहीं ढूंढ पा रहा था। इतनी अधिक गर्मी से वह काफी परेशान हो गया था।

एक बार सभी जानवर इकट्ठे हुए और उन्होंने जंगल में खत्म होते पानी और हरियाली के विषय पर गंभीरता दिखाई। सभी इस बात को लेकर चिंतित थे कि सूरज की अधिक धूप के कारण हरियाली सूखती जा रही है, तालाब का पानी भी बहुत कम हो गया है और इतनी गर्मी में जानवर बाहर भी नहीं निकल पाते।

इन सभी की बातें सुनकर पीकू खरगोश ने कहा, "इतनी गर्मी का कारण वह सूरज है, हम सभी को सूर्य को मजा चखाना चाहिए!"
पीकू खरगोश की बात सुनकर सभी जानवर हंसने लगे। उन्होंने पीकू को समझाया कि "सूरज काफी विशाल है और उसका सामना कोई नहीं कर सकता। सूरज की गर्मी सिर्फ सूर्य खुद ही कम कर सकता है और कोई नहीं! आखिरकार गर्मी का मौसम सूर्य का होता है।"

यह सब सुनकर भी पीकू खरगोश को कुछ समझ नहीं आया। उसने सोचा, "सूर्य ने हमें परेशान कर रखा है। जंगल के जानवर व्यर्थ ही सूर्य से डरते हैं, मैं खुद अकेला ही सूरज को उसकी करनी का फल चाखऊंगा, ताकि आगे से वहां इतनी गर्मी ना करें।" 

इतना सोचते ही पीकू खरगोश वहां से चला गया। इसके बाद खरगोश ने बांस के खपच्ची का धनुष्य बनाया। जंगल में से सरकंडे तोड़कर बहुत से बाण बना लिए, फिर वह सूर्य को मजा चखाने के लिए जंगल से बाहर, मैदान में आ गया।

उस मैदान में बड़े-बड़े पत्थर पड़े हुए थे। पीकू खरगोश एक बड़े पत्थर के पीछे छुप गया। फिर धनुष्य पर बाण तानकर सूर्य को ओर चला दिए, सूर्य ने यह देखा तो खरगोश की नादानी पर हंसने लगा।

इसके बाद पीकू खरगोश बाण पर बाण मरता गया। ऐसा करते-करते उसके सारे बाण समाप्त होने लगें, बस एक बाण बचा था। पीकू खरगोश के इतने बाण चलाने के बाद भी सूर्य के तपन में कोई कमी नहीं आई।

जब पीकू ने आखिरी बाण चलाया, उसी समय अचानक बादल का एक टुकड़ा सूर्य के सामने आ गया, जिसके कारण सूरज उसमे छुप गया।

वास्तविकता को जाने बिना पीकू खरगोश ख़ुशी से उछल पड़ा, नाचने-गाने लगा और जोर-जोर से कहने लगा, "सूर्य को अपनी करनी का फल मिल गया, मैंने सूरज की धूप को समाप्त कर दिया।"

कुछ ही समय बाद सूरज के सामने से बादल हट गया और फिर से पहले की तरह सूर्य चमकने लगा और गर्मी बरसाने लगा। पीकू खरगोश यह देख डर से काँपने लगा। उसने सूर्य के सामने हाथ जोड़े, माफी मांगी और झाड़ियों में छिप गया। उसके बाद से पीकू खरगोश ने कभी भी सूरज से मुकाबला करने की कोशिश नहीं की।

कहा जाता है कि तभी से सारे खरगोश सूरज की धूप से डरते हैं। जब सूरज अपनी गर्मी से तपता है, तब सारे खरगोश झाड़ियों में जाकर छुप जाते हैं और शाम होने के बाद ही बाहर निकलते हैं। शाम से लेकर रात तक वह उछल-कूद करते हैं, मस्ती करते हैं और सुबह जब सूरज वापस आ जाता है तो अपने बिलों में जाकर छुप जाते हैं।

शिक्षा - 

प्यारे दोस्तों! "पीकू खरगोश नादान था, उसने बिना यह जाने कि सूरज कितना शक्तिशाली है, उसे मजा चखाने का फैसला कर लिया और अंत में खुद डर गया। बिना सोचे समझे कोई फैसला नहीं लेना चाहिए और अपनी योग्यता को समझते हुए उसके अनुसार ही कार्य करना चाहिए।"

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Story By - Khushi
Inspired By - Old Tales
Post By - Khushi

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