बीरबल बहुत चतुर, बुद्धिमान और हाजिर जवाब थे, उनकी तारीफे दूर देशों तक फैली हुई थी। इरान के बादशाह ने जब उनकी बुद्धिमानी की तारीफ सुनी तो उसने राजा के पास संदेश भिजवाया की वह बीरबल को कुछ दिन के लिए मेरे दरबार में भेजने की कृपा करे। राजा ने बहुत कीमती वस्त्र आभूषणों की भेंट के साथ बीरबल और उनके सभा के कुछ अन्य दरबारियों को इरान के लिए रवाना किया।
ईरान की सीमा पर बीरबल का भव्य स्वागत किया गया। दूसरे दिन जब बीरबल बादशाह के दरबार में पहुंचे, तो बादशाह ने भी उनकी आवभगत की और राजा के द्वारा भेजे गए उपहार के लिए धन्यवाद और कृतज्ञता प्रकट की।
बीरबल ने इरान के बादशाह को राजनीति के कई रस-रहस्य समझाएं। बादशाह उसकी हर राय से सहमत हुए। विदाई की बेला में बादशाह ने अपने सभी दरबारियों के बीच हिंदुस्तानी वजीर बीरबल से एक सवाल किया कि आप के राजा और मेरे बीच आप कैसे तुलना करते हैं।
बीरबल ने कहा, "हमारा बादशाह अकबर! दूज के चांद की तरह है और आप पूनम के पूर्ण चंद्रमा से सुंदर सुशील है।"
बीरबल के साथ आए, बादशाह अकबर के दरबारियों को मौका मिल गया। वह आपस में इस बात को लेकर खुसर-खुसर करने लगे की बीरबल ने ईरान के बादशाह के स्वागत सरकार के आगे अपने राजा को नीचा दिखाया है।
इरान के बादशाह को तो पूनम का चांद बताया और अपने राजा को दूज का चांद। दूसरे दरबारी ने हां में हां मिलाते हुए कहा, "हां तुम ठीक कहते हो पूनम का चांद बहुत बड़ा और चमकीला होता है। जबकि दूज का चांद एक पतली सी रेखा की तरह है।" तीसरे दरबारी ने कहा, "बीरबल ने अपने राजा को छोटा बताया, इसकी हमें शिकायत करनी चाहिए।"
जब बीरबल वापस बादशाह अकबर के दरबार में लौटे, तो राजा ने सारा हालचाल पूछा। बीरबल की बातें सुनकर राजा बोला, "आपने हमारे दरबार की शोभा इरान तक फैलाई इसकी हमें बहुत खुशी है।"
अगले दिन बीरबल के सभा में पहुंचने से पहले ही उनके साथ गए दरबारियों ने पूनम के चांद और दूज के चांद वाली बात राजा को बताई। यह सब सुनकर, बादशाह अकबर बीरबल से बहुत नाराज हो गए।
जब बीरबल सभा में पहुंचे तो राजा ने उनसे पूछा, "आपने मेरी तुलना पूनम के चांद से क्यों नहीं की?"
बीरबल सब कुछ समझ गए कि दरबारियों ने बादशाह अकबर के कान भरे हैं।
बीरबल बोले, "जी हुजूर! आप दूज के चांद की तरह हमेशा अपने पराक्रम, कीर्ति और साम्राज्य दिन दूना रात चौगुना बढ़ा रहे हैं। इसलिए मैंने आपकी प्रशंसा में दूज के चांद की उपाधि दी।
इरान के बादशाह को पूनम का चांद इसलिए कहा क्योंकि पूनम चंद हर रोज घटा जाता है, सिमटता जाता है। अमावस की रात तो वह बिल्कुल ही नहीं निकलता।
आपको दूज का चांद बताकर मैंने अपने राजा की महानता का बखान किया है। दूज का चांद सबको प्रिय होता है। सभी दूज के चांद का दर्शन करते हैं। पूनम का चांद तो एक दिन चमकता है और दूज का चांद पुरे पखवाड़े तक चमकता है। आप खुद फैसला करें की दूज का चांद ज्येष्ठ है या पूनम का।"
राजा ने मुस्कुराते हुए कहा, "हां दूज का चांद!" और अपने बीरबल की बात सुनकर राजा खुश हुआ। बादशाह अकबर ने सभी चुगल खोर दरबारियों की जमकर खबर ली और उन्हें डांटा। साथ ही बीरबल की प्रशंसा की और उन्हें इनाम दिया।
आशा करती हूं आपको यह कहानी पसंद आई होगी। यदि हां, तो हमें कमेंट बॉक्स में लिख कर जरूर बताएं और अगर आप लोगों के पास भी अकबर-बीरबल की मजेदार कहानियां हो तो हमें लिखकर भेजना ना भूले। दोस्तों! हमारी वेबसाइट को आपके सहयोग और प्यार की जरूरत है, इसलिए हमारी पोस्ट को शेयर करना ना भूले। आप सभी के सहयोग का बहुत-बहुत धन्यवाद। हम जल्द ही आपसे अगली कहानी के साथ मिलेंगे। तब तक अपना ध्यान रखिए और खुश रहें।
Story By - Akbar Birbal Stories
Post By - Khushi
ईरान की सीमा पर बीरबल का भव्य स्वागत किया गया। दूसरे दिन जब बीरबल बादशाह के दरबार में पहुंचे, तो बादशाह ने भी उनकी आवभगत की और राजा के द्वारा भेजे गए उपहार के लिए धन्यवाद और कृतज्ञता प्रकट की।
बीरबल ने इरान के बादशाह को राजनीति के कई रस-रहस्य समझाएं। बादशाह उसकी हर राय से सहमत हुए। विदाई की बेला में बादशाह ने अपने सभी दरबारियों के बीच हिंदुस्तानी वजीर बीरबल से एक सवाल किया कि आप के राजा और मेरे बीच आप कैसे तुलना करते हैं।
बीरबल ने कहा, "हमारा बादशाह अकबर! दूज के चांद की तरह है और आप पूनम के पूर्ण चंद्रमा से सुंदर सुशील है।"
बीरबल के साथ आए, बादशाह अकबर के दरबारियों को मौका मिल गया। वह आपस में इस बात को लेकर खुसर-खुसर करने लगे की बीरबल ने ईरान के बादशाह के स्वागत सरकार के आगे अपने राजा को नीचा दिखाया है।
इरान के बादशाह को तो पूनम का चांद बताया और अपने राजा को दूज का चांद। दूसरे दरबारी ने हां में हां मिलाते हुए कहा, "हां तुम ठीक कहते हो पूनम का चांद बहुत बड़ा और चमकीला होता है। जबकि दूज का चांद एक पतली सी रेखा की तरह है।" तीसरे दरबारी ने कहा, "बीरबल ने अपने राजा को छोटा बताया, इसकी हमें शिकायत करनी चाहिए।"
जब बीरबल वापस बादशाह अकबर के दरबार में लौटे, तो राजा ने सारा हालचाल पूछा। बीरबल की बातें सुनकर राजा बोला, "आपने हमारे दरबार की शोभा इरान तक फैलाई इसकी हमें बहुत खुशी है।"
अगले दिन बीरबल के सभा में पहुंचने से पहले ही उनके साथ गए दरबारियों ने पूनम के चांद और दूज के चांद वाली बात राजा को बताई। यह सब सुनकर, बादशाह अकबर बीरबल से बहुत नाराज हो गए।
जब बीरबल सभा में पहुंचे तो राजा ने उनसे पूछा, "आपने मेरी तुलना पूनम के चांद से क्यों नहीं की?"
बीरबल सब कुछ समझ गए कि दरबारियों ने बादशाह अकबर के कान भरे हैं।
बीरबल बोले, "जी हुजूर! आप दूज के चांद की तरह हमेशा अपने पराक्रम, कीर्ति और साम्राज्य दिन दूना रात चौगुना बढ़ा रहे हैं। इसलिए मैंने आपकी प्रशंसा में दूज के चांद की उपाधि दी।
इरान के बादशाह को पूनम का चांद इसलिए कहा क्योंकि पूनम चंद हर रोज घटा जाता है, सिमटता जाता है। अमावस की रात तो वह बिल्कुल ही नहीं निकलता।
आपको दूज का चांद बताकर मैंने अपने राजा की महानता का बखान किया है। दूज का चांद सबको प्रिय होता है। सभी दूज के चांद का दर्शन करते हैं। पूनम का चांद तो एक दिन चमकता है और दूज का चांद पुरे पखवाड़े तक चमकता है। आप खुद फैसला करें की दूज का चांद ज्येष्ठ है या पूनम का।"
राजा ने मुस्कुराते हुए कहा, "हां दूज का चांद!" और अपने बीरबल की बात सुनकर राजा खुश हुआ। बादशाह अकबर ने सभी चुगल खोर दरबारियों की जमकर खबर ली और उन्हें डांटा। साथ ही बीरबल की प्रशंसा की और उन्हें इनाम दिया।
शिक्षा -
प्यारे दोस्तों! "जिस तरह दरबारी, बिना कुछ सोचे समझे अकबर से बीरबल की शिकायत करते हैं और अकबर भी नाराज हो जाते हैं। ठीक उसी तरह कई बार लोग बिना सोचे समझे ही नतीजे पर पहुंच जाते हैं। जब भी कोई बात हम सुनते हैं तो उसके दोनों पहलू को समझना जरूरी है।"आशा करती हूं आपको यह कहानी पसंद आई होगी। यदि हां, तो हमें कमेंट बॉक्स में लिख कर जरूर बताएं और अगर आप लोगों के पास भी अकबर-बीरबल की मजेदार कहानियां हो तो हमें लिखकर भेजना ना भूले। दोस्तों! हमारी वेबसाइट को आपके सहयोग और प्यार की जरूरत है, इसलिए हमारी पोस्ट को शेयर करना ना भूले। आप सभी के सहयोग का बहुत-बहुत धन्यवाद। हम जल्द ही आपसे अगली कहानी के साथ मिलेंगे। तब तक अपना ध्यान रखिए और खुश रहें।
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