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बीरबल की जन्नत की यात्रा | अकबर-बीरबल

बीरबल की प्रशंसा से जलकर कुछ दरबारियों ने एक योजना बनायी कि कैसे वह बीरबल को अपने रास्ते से निकाल दें। उन्होंने अपनी योजना में राजा अकबर के हज्जाम को भी शामिल कर लिया।

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अगले दिन हजामत करते हुए उसने शहंशाह से कहा, "हुजूर, कल रात मेरे सपने में आपके वालिद आए थे।" अकबर यह सुनकर बहुत रोमांचित हुए और पूछा कि उन्होंने क्या कहा?
हज्जाम बोला, "वह जन्नत में बहुत खुश हैं, लेकिन वह कह रहे थे कि वहां के बाशिंदे लतीफे नहीं सुनाते। उन्होंने कहा कि आप किसी ऐसे आदमी को वहां भेजें जो उन्हें हंसा सके।"

हजाम ने कहा कि आप के दरबार में बीरबल ही एक ऐसे व्यक्ति हैं, जो सबसे मजेदार लतीफे सुनाते हैं। अपने वालिद का अकेलापन देखकर बादशाह अकबर ने फैसला किया कि वह बीरबल को जन्नत भेजेंगे। उन्होंने बीरबल को बुलावा भेजा।

अकबर ने बीरबल से कहा, "तुमने मुझसे कहा था कि तुम मेरे लिए कोई भी कुर्बानी दे सकते हो।"
बीरबल ने कहा, "बेशक महाराज!"
अकबर ने कहा, "तुम्हें मेरे वालिद के पास जन्नत में जाना होगा।" अकबर ने बीरबल को हज्जाम की सारी बातें बताई।

अकबर की सारी बात सुनकर बीरबल समझ गए कि यह सब हज्जाम की चाल है उन्हें दरबार से निकालने की। बीरबल ने कुछ सोचा और कहा, "बहुत अच्छे महाराज! लेकिन मुझे कुछ दिन तैयारी करने का वक्त दीजिए।"

बादशाह अकबर ने बीरबल को एक हफ्ते का वक्त दिया। बीरबल ने तुरंत अपने घर के पीछे खाली जगह में कब्र खुदवानी शुरू की और कब्र के नीचे एक सुरंग भी खुदवाई जो सीधी उनके घर के तहखाने में जा मिलती थी।

एक हफ्ते बाद बीरबल दरबार पहुंचे और कहा, "महाराज, मेरी खानदानी रस्म के मुताबिक मुझे घर के पीछे ही दफनाया जाए और वो भी जिंदा। ऐसे जन्नत में पहुंचने में आसानी होगी।"

अकबर यह सुनकर खुश हुए और बीरबल के कहे मुताबिक उन्हें जिंदा कब्र में दफना दिया गया। कब्र के नीचे छिपी सुरंग के रास्ते बीरबल अपने घर के तहखाने में जा पहुंचे।

छह माह बाद बीरबल दरबार में हाजिर हुए। उन्हें जिंदा देख हज्जाम और दरबार के बाकी सदस्य हैरान हो गए। लेकिन अकबर बेहद खुश थे। बीरबल जब आए तो उनकी उनकी दाढ़ी काफी बढ़ी हुई थी।

अकबर ने पूछा, "कैसी रही जन्नत की यात्रा और क्या हुआ वहां?"
बीरबल ने कहा, "महाराज! मैं सीधे जन्नत से आ रहा हूं। वहां मैंने आपके वालिद के साथ बहुत अच्छा वक्त गुजरा और बाद में उन्होंने मुझे वापस जाने की इजाजत दे दी।"

"पर महाराज एक बात का दुख है।", इतना बोल कर बीरबल ने दुख भरा चेहरा बनाया।
अकबर ने पूछा, "बताओ बीरबल क्या बात है?" क्या हमारे वालिद ने कोई संदेश भेजा है, क्या वह वहां खुश नहीं है?"

बीरबल ने कहा, "दरअसल, जन्नत में बहुत कम हज्जाम हैं। आपने तो देखा ना मेरी दाढ़ी कितनी बढ़ गई है, इसलिए आपके वालिद ने कहा है कि हम अपने हज्जाम को वहां भेज दें।" 
अकबर ने कहा, "क्यों नहीं हम कल ही अपने हज्जाम को जन्नत भेजने की तैयारी करवाते हैं।"

यह सब सुनते ही हज्जाम समझ गया कि अब वह फस गया है। उसने तुरंत सारी सच्चाई बादशाह अकबर को बताई और अकबर और बीरबल से माफी मांगी।
अकबर ने बीरबल से पूछा कि आखिर वह जिंदा कैसे लौटे, उस पर बीरबल ने अकबर को अपनी सारी बात बताई कि कैसे उन्होंने एक सुरंग बनाई और कैसे वह जिंदा रह पाए। यह सब सुनकर बादशाह अकबर ने बीरबल कि एक बार फिर सराहना करें और उन्हें साथ में उपहार दिए।
साथ ही अकबर ने यह तय किया कि अब से वह किसी की बातों में नहीं आएंगे और उन्होंने हज्जाम को चेतावनी भी दी कि आगे से ऐसी कोई काम उसने किया तो उसे फांसी दे दी जाएगी।

एक बार फिर बीरबल ने अपने दिमाग से अपनी जान बचा ली और बाकी लोग जो उनसे जलते थे, उनकी योजनाओं पर पानी फेर दिया।

शिक्षा -

प्यारे दोस्तों! "कुछ लोग हमेशा इस तर्क में रहते हैं कि कब वह हमारा काम बिगाड़े और हमें रास्ते से हटा दें। ऐसे में बेहतर यही होगा कि हम हमेशा अपनी सूझबूझ से काम ले और सतर्क रहें।"

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Story By - Akbar Birbal Stories
Post By - Khushi

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