बहुत समय पहले की बात है! एक राज्य में एक दयालु राजा और रानी रहते थे। समस्त प्रजा राजा और रानी का बहुत सम्मान करती थी। राजा-रानी के पास सारी ख़ुशियाँ थी, कमी थी तो बस संतान की!
एक दिन बर्फ़ीले मौसम में रानी महल की खिड़की के पास खड़े होकर कुछ सिल रही थी। तभी अचानक खिड़की से एक स्नोबर्ड उड़ती हुई अंदर आ गई। स्नोबर्ड को देख रानी का ध्यान भटका और सुई उसकी उंगली में चुभ गई।
रक्त का एक कतरा रानी की उंगली से बहकर जमीन पर पड़ी बर्फ़ पर जा गिरा। बर्फ़ पर गिरते ही रक्त के कतरे ने एक सुंदर चेहरे का रूप ले लिया, जिसे देख रानी के मन में ख्याल आया कि काश मेरी एक बेटी होती, जिसका रंग बर्फ़ की भांति उजला, होंठ रक्त की भांति लाल और बाल काली घटाओं से होते।
रानी की कल्पना बहुत जल्द वास्तविकता में परिवर्तित हो गई। कुछ महिनों बाद उन्होंने एक बेटी को जन्म दिया। छोटी राजकुमारी रानी की कल्पना से भी ज्यादा सुंदर थी। बर्फ़ जैसे गोरे रंग के कारण उसका नाम "स्नो व्हाइट" रखा गया।
राजा-रानी "स्नो व्हाइट" के जन्म से बहुत ख़ुश थे, लेकिन यह ख़ुशी अधिक दिनों तक नहीं रही। रानी की तबियत ख़राब रहने लगी और एक दिन वह राजा और स्नो व्हाइट को अकेला छोड़ गई। मरने के पहले रानी ने राजा से वचन लिया कि वह स्नो व्हाइट का ख्याल रखेंगे और दूसरा विवाह कर लेंगे।
अपना वचन निभाते हुए राजा ने दूसरा विवाह कर लिया। दूसरी रानी बहुत सुंदर थी। लेकिन वह अहंकारी और क्रूर भी थी। वह काला जादू जानती थी, जिससे उसने राजा को अपने वश में कर लिया था। रानी के पास एक जादुई आईना भी था, जो हमेशा सच बोलता था।
रानी अक्सर जादुई आईने के सामने खड़े होकर पूछती थी, "ए जादुई आईने, बता इस दुनिया में सबसे सुंदर कौन है?"
हमेशा जादुई आईने का उत्तर होता, "रानी, पूरी दुनिया में आपसे सुंदर कोई नहीं! आप ही सबसे सुंदर हो।"
यह सुनकर रानी फूली नहीं समाती थी। धीरे-धीरे उसे अपनी सुंदरता पर अभिमान होने लगा। समय बीतने के साथ स्नो व्हाइट बड़ी होने लगी और उसकी सुंदरता निखरने लगी। अब वह पहले से भी ज्यादा सुंदर दिखने लगी थी।
इस बीच एक दिन रानी से जादुई आईने से पूछा, "बता जादुई आईने, दुनिया में सबसे सुंदर कौन है?"
सच बोलने वाले जादुई आईने ने इस बार उत्तर दिया, "दुनिया में सबसे सुंदर है! स्नो व्हाइट !!"
यह सुनकर रानी को स्नो व्हाइट से ईर्ष्या हो गई। उसने स्नो व्हाइट को मार डालने की योजना बनाई। उसने एक सिपाही को बुलाया और आदेश दिया, "स्नो व्हाइट को दूर कहीं जंगल में ले जाकर मार डालो और सबूत के तौर पर उसका दिल लाकर मुझे दिखाओ।"
सिपाही रानी का आदेश मान स्नो व्हाइट को जंगल में ले गया। किंतु स्नो व्हाइट के मासूम चेहरे को देख उसका ह्रदय द्रवित हो गया। वह उसे मार नहीं सका। उसने स्नो व्हाइट को रानी की असलियत बता दी और रानी से दूर रहने की सलाह देकर वापस महल आ गया।
महल में उसने स्नो व्हाइट की मौत के सबूत के तौर पर रानी को एक जंगली सूअर का दिल दिखा दिया। रानी ख़ुश हो गई क्योंकि अब दुनिया में उससे सुंदर कहलाने वाला कोई नहीं था।
इधर स्नो व्हाइट जंगल में दिन भर भटकती रही। शाम को वह एक छोटे से घर के सामने पहुँची। वह घर सात बौनों का था! स्नो व्हाइट ने घर का दरवाज़ा खटखटाया, किंतु किसी ने दरवाज़ा नहीं खोला। जब स्नो व्हाइट ने दरवाज़े को थोड़ा सा धक्का दिया, तो वह खुल गया। स्नो व्हाइट घर के अंदर चली गई। घर साफ़-सुथरा और सुंदर था! वहाँ हर चीज़ करीने से रखी हुई थी। ख़ास बात बस ये थी कि सभी चीज़ें आकार में छोटी थीं।
सामने के कमरे में खाने की छोटी सी मेज़ रखी थी और बैठने के लिए सात छोटी कुर्सियाँ लगी हुई थी। दूसरे कमरे में सात छोटे पलंग एक कतार में लगे हुए थे। सबमें मखमली बिछौना बिछा हुआ था। स्नो व्हाइट ने सुबह से कुछ नहीं खाया था। उसे जोरों की भूख लग आई थी। उसने देखा कि खाने की मेज़ पर छोटे-छोटे बर्तनों में तैयार खाना रखा हुआ है। उसने जल्दी-जल्दी पूरा खाना खा लिया। दिन-भर जंगल में भटकने के कारण वह बहुत थक गई थी. खाना खाते ही उसे नींद आने लगी, उसने सारे छोटे पलंग जोड़ें और उन पर सो गई।
रात होने पर सातों बौने घर वापस लौटे। घर का खुला दरवाज़ा देख वे चौंक गए। घर के अंदर जाने पर उन्होंने देखा कि खाने की मेज़ का सारा खाना गायब है। जब वे अपने शयन कक्ष में गए, तो वहाँ स्नो व्हाइट को सोया हुआ पाया। सातों बौने स्नो व्हाइट को घेरकर खड़े हो गए। वह सोते हुए बहुत ही प्यारी और मासूम लग रही थी। सातों बौने स्नो व्हाइट के पलंग के पास नीचे ही सो गए। सुबह जब स्नो व्हाइट की नींद खुली, तो अपने पलंग के पास सात बौनों को सोता देख वह डर के मारे चीख पड़ी। चीख सुनकर सातों बौने भी जाग गए।
उन्होंने स्नो व्हाइट से बहुत प्यार से बात की और उसका डर दूर किया। स्नो व्हाइट ने उन्हें अपनी पूरी कहानी सुना दी। कहानी सुनकर बौनों को स्नो व्हाइट पर दया आ गई। उन्होंने स्नो व्हाइट को अपने घर में रहने की अनुमति दे दी। उस दिन से स्नो व्हाइट बौनों के साथ रहने लगी। बौने काम पर जाते और स्नो व्हाइट घर की देखभाल करती, घर का काम करती और सबके लिए खाना पकाती थी। बौने स्नो व्हाइट से बहुत ख़ुश थे। स्नो व्हाइट भी बौनों के साथ बहुत ख़ुश थी।
इधर एक दिन महल में रानी ने फिर से अपने जादुई आईने से पूछा, "जादुई आईने! बता अब इस दुनिया में सबसे सुंदर कौन है?"
जादुई आईने ने उत्तर दिया, "आप बहुत सुंदर हो रानी! लेकिन सबसे सुंदर तो पहाड़ों के पास सात बौनों के घर रहने वाली स्नो व्हाइट है।"
यह सुनकर रानी आग-बबूला हो गई। वह सिपाही की धोखेबाजी समझ गई। उसने उसे कालकोठरी में डलवा दिया। अब उसने स्वयं स्नो व्हाइट को मारने का निश्चय किया, ताकि स्नो व्हाइट के बचने की कोई गुंजाइश न रहे।
अगले दिन वह एक बुढ़िया का भेष बनाकर सात बौनों के घर पहुँची। उस समय स्नो व्हाइट घर पर अकेली थी। बुढ़िया के आवाज़ देने पर स्नो व्हाइट ने दरवाज़ा खोल दिया। बुढ़िया बनी रानी ने अपने थैले से एक कंघी निकालकर उसे स्नो व्हाइट को देते हुए कहा, "बेटी, मैं कंघी बेचती हूँ! मेरे पास ये आखिरी कंघी बची हुई है। तुम इसे ले लो, तो मैं बुढ़िया घर जाऊं।"
स्नो व्हाइट कंघी को लेने के लिए राज़ी हो गई। लेकिन वह नहीं जानती थी कि बुढ़िया के भेष में उसकी सौतेली माँ उसे मारने आई है और उसका हथियार है यह जहरीली कंघी।
"तुम्हारे बाल तो बहुत मुलायम और घने हैं! आओ मैं तुम्हारे बाल संवार दूं।" कहते हुए बुढ़िया बनी रानी ने स्नो व्हाइट के बालों में जहरीली कंघी चला दी। अगले ही पल स्नो व्हाइट बेहोश होकर जमीन पर गिर पड़ी।
रानी तुरंत वहाँ से निकल गई। उसे विश्वास था कि स्नो व्हाइट कुछ ही देर में मर जाएगी। लेकिन स्नो व्हाइट की किस्मत अच्छी थी। रानी के जाते ही बौने घर वापस आ गए। स्नो व्हाइट को जमीन पर गिरा देख वे उसके पास गए और उसके सिर पर फंसी जहरीली कंघी निकाल दी। इस तरह स्नो व्हाइट बच गई।
स्नो व्हाइट ने बौनों को सारा वाक्या सुना दिया। तब बौनों ने स्नो व्हाइट को सतर्क रहने की सलाह दी और किसी अजनबी के लिए दरवाज़ा खोलने से मना कर दिया।
इधर महल पहुँचकर रानी जादुई आईने के पास गई और उससे प्रश्न किया, "बात जादुई आईने! दुनिया में सबसे सुंदर कौन है?"
आईने ने उत्तर दिया, "दुनिया में सबसे सुंदर स्नो व्हाइट है।"
रानी समझ गई कि उसका पहला वार खाली गया है और स्नो व्हाइट किसी तरह बच गई है। लेकिन उसे किसी भी सूरत में स्नो व्हाइट को मार डालना था। अगले दिन भेष बदलकर वह फिर बौनों के घर पहुँची। इस बार उसने एक फल बेचने वाली का भेष बनाया था।
उसने बौनों के घर का दरवाज़ा खटखटाया। लेकिन इस बार स्नो व्हाइट सतर्क थी। उसने दरवाज़ा नहीं खोला। अंदर से ही उसने पूछा, "कौन है?"
"मैं एक गरीब फल बेचने वाली हूँ। मेरे पति की तबियत बहुत ख़राब है। तुम मुझे सेब के बदले एक रोटी दे दो। तुम्हारा भला होगा।" रानी बोली!
स्नो व्हाइट ने मना कर दिया। किंतु रानी बार-बार आग्रह करने लगी। उसने स्नो व्हाइट को खिड़की खोलकर सेब देख लेने का आग्रह किया। आखिरकार स्नो व्हाइट ने खिड़की खोल दी। खिड़की से सेब को दिखाते हुए रानी कहने लगी, "बेटी, ये बहुत रसीले और मीठे सेब हैं। तुम एक बार इसे चखकर देख लो। अच्छा लगे, तब ही लेना।"
स्नो व्हाइट कुछ हिचकिचाई। लेकिन जब रानी ने सेब का एक टुकड़ा काटकर उसकी ओर बढ़ाया, तो उसने वह टुकड़ा अपने मुँह में डाल लिया। अगले ही पल वह गिर पड़ी। वास्तव में वह सेब जहरीला था। स्नो व्हाइट को मरा मान रानी महल चली आई।
महल आकर रानी सीधे जादुई आइने के पास गई और प्रश्न किया, "बता जादुई आईने, दुनिया में सबसे सुंदर कौन है?"
इस बार जादुई आईने ने रानी के मन मुताबिक उत्तर दिया, "दुनिया में सबसे सुंदर आप हो रानी!"
रानी ख़ुश हो गई!!
इधर शाम को जब बौने घर पहुँचे, तो स्नो व्हाइट को जमीन पर पड़ा हुआ पाया। उन्होंने उसे बहुत हिलाया-डुलाया, लेकिन स्नो व्हाइट नहीं उठी। सभी बौने दु:खी होकर रोने लगे। उन्होंने उसे भूसे के बिस्तर पर लिटाया और तीन दिन तक उसके पास बैठकर रोते रहे।
बौने स्नो व्हाइट को दफ़नाना चाहते थे, किंतु तीन दिन बाद भी वह तारो-ताज़ा दिखाई पड़ती थी। उसका रंग अब भी पहले जैसा उजाला और होंठ लाल थे। यह देख बौनों ने उसे दफ़नाने के स्थान पर काँच के एक पारदर्शी ताबूत पर लिटाकर बर्फ़ीले पर्वत पर रख दिया। उस ताबूत पर उन्होंने लिखा, "यहाँ लेटी है राजकुमारी स्नो व्हाइट !"
सारे पशु-पक्षी स्नो व्हाइट के पास जमा होकर विलाप करने लगे। उसी समय एक राजकुमार अपने कुछ सैनिकों के साथ वहाँ से गुजरा। उसने जब एक साथ ढेर सारे पशु-पक्षियों को जमा होकर विलाप करते देखा, तो रूक गया। वह स्नो व्हाइट के ताबूत के पास पहुँचा। पारदर्शी ताबूत में बंद स्नो व्हाइट को वह देखता रह गया। उसने ताबूत पर लिखा स्नो व्हाइट का नाम पढ़ा, तो बहुत दु:खी हुआ क्योंकि उसने स्नो व्हाइट के बारे में बहुत सुना था और वह मन ही मन उससे प्रेम करता था।
राजुकमार ने बौनों से मिलकर स्नो व्हाइट को अपने महल ले जाने की इज़ाज़त मांगी। लेकिन बौनों ने मना कर दिया। तब राजकुमार ने उन्हें सोने के सिक्कों का लालच दिया। लेकिन बौनों के इंकार करते हुए कहा, "चाहे तुम हमें कितनी भी कीमती चीज़ क्यों न दो? हम तुम्हें स्नो व्हाइट को कहीं नहीं ले जाने देंगे।"
तब राजकुमार ने उन्हें बताया कि वह स्नो व्हाइट से प्रेम करता है और उसे देखे बिना नहीं रह सकता। भले ही अब उसमें जान बाकी नहीं, लेकिन अपने प्रेम की खातिर वह उसे अपने पास रखना चाहता है। भले बौनों ने उसके प्रेम पर विश्वास कर उसे स्नो व्हाइट को ले जाने की इज़ाज़त दे दी।
बौनों से इज़ाज़त लेकर राजकुमार अपने महल की ओर चल पड़ा। वह आगे-आगे चल रहा था और पीछे चार सैनिक स्नो व्हाइट का ताबूत उठाकर चल रहे थे। चलते-चलते अचानक एक सैनिक के पैर में ठोकर लगी और वह लड़खड़ा गया. उसके लड़खड़ाने से स्नो व्हाइट का काँच का ताबूत हिल गया और ताबूत के हिलते ही स्नो व्हाइट के मुँह में पड़ा जहरीले सेब का टुकड़ा बाहर निकल गया।
सैनिकों ने ताबूत को संभालने के लिए नीचे रख दिया। राजुकमार ने उसका कांच हटवाया और करीब से स्नो व्हाइट को देखने लगा। वह स्नो व्हाइट की सुंदरता पर मुग्ध था। वह स्वयं पर नियंत्रण नहीं रखा पाया और आगे बढ़कर स्नो व्हाइट के माथे को चूम लिया। जैसे ही राजकुमार ने स्नो व्हाइट का माथा चूमा, उसने आँखें खोल दी।
स्नो व्हाइट को जीवित देख राजकुमार बहुत ख़ुश हुआ। उसने अपने प्रेम का इज़हार करते हुए उसके सामने विवाह का प्रस्ताव रख दिया। मृत होने के बावजूद अपने प्रति राजकुमार के प्रेम की बात जानकार स्नो व्हाइट भी उससे प्रेम करने लगी। उसने उसका विवाह-प्रस्ताव स्वीकार कर लिया। लेकिन यह शर्त भी रख दी कि वह विवाह अपनी पिता की उपस्थिति में ही करेगी।
तब एक सैनिक ने बताया कि कई दिनों से स्नो व्हाइट के पिता का कोई अता-पता नहीं है और राज्य का शासन वहाँ की रानी के हाथों में है।
राजकुमार ने वहाँ आक्रमण करने का निर्णय लिया। पूरी सेना लेकर राजकुमार ने उस राज्य में चढ़ाई कर दी और रानी को परास्त कर राज्य अपने अधिकार में ले लिया। रानी को बंदी बना लिया गया। राजा को तहखाने में बंद कर रखा गया था। उन्हें वहाँ से छुड़वाया गया। पिता और सातों बौने की मौजूदगी में स्नो व्हाइट ने राजकुमार से विवाह कर लिया और वे ख़ुशी-ख़ुशी रहने लगे।
शिक्षा -
प्यारे दोस्तों! "रानी ने स्नो व्हाइट से ईर्ष्या की और उसे मारने की कोशिश भी करी, इसलिए अंत में उसे सजा मिली। जो लोग दूसरों का बुरा करते हैं उनका अंत हमेशा बुरा ही होता है।"
आशा करती हूं आपको यह कहानी पसंद आई होगी। यदि हां, तो हमें कमेंट बॉक्स में लिख कर जरूर बताएं और अगर आप लोगों के पास भी मजेदार कहानियां हो तो हमें लिखकर भेजना ना भूले। दोस्तों! हमारी वेबसाइट को आपके सहयोग और प्यार की जरूरत है, इसलिए हमारी पोस्ट को शेयर करना ना भूले। आप सभी के सहयोग का बहुत-बहुत धन्यवाद। हम जल्द ही आपसे अगली कहानी के साथ मिलेंगे। तब तक अपना ध्यान रखिए और खुश रहें।
Story By - Wilhelm Grimm, Jacob Grimm
Post By - Khushi
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