Search Any Story

तेनालीराम और सात जूते मारने वाली चाननपुर की चमेली | तेनालीराम

चाननपुर गाँव में चांदकुमारी नाम की एक रूपवती कन्या रहती थी। वह विवाह के योग्य हो गई थी लेकिन अपनी माँ के व्यवहार के कारण उसका विवाह नहीं हो पा रहा था। उसकी माँ का नाम चमेली था जो अपने पति माधो को रोज़ सात जूते मारा करती थी। यह बात दूर-दूर तक के लोगों को पता थी इसलिए कोई भी चांदकुमारी को अपनी बहु नहीं बनाना चाहता था।

तेनालीराम और सात जूते मारने वाली चाननपुर की चमेली | तेनालीराम

वहीँ दूसरी तरफ तेनालीराम की बुद्धिमत्ता के कारण दरबारियों के साथ-साथ उनके कुछ रिश्तेदार भी उनसे जलते थे। एक बार तेनालीराम घर पर आराम फरमा रहे थे कि अचानक उनका एक दूर का रिश्तेदार चाँदकुमारी का रिश्ता लेकर उनके घर पहुँच गया। वह भी तेनालीराम से जलनेवालों में से एक था। वह तेनालीराम के पास जाकर बोला, "मैं एक रिश्ता लेकर आया हूँ तुम अपने छोटे भाई का रिश्ता ले लो।" वह ये नही जानता था की तेनालीराम का कोई भाई नहीं हैं। फिर भी तेनालीराम ने लड़की के बारे में पूछा, "आखिर लड़की कैसी हैं? उसके बारे में कुछ तो बताओ।"

वह बोला, "लड़की का नाम चांदकुमारी हैं। वह बहुत ही सुंदर हैं।"
तेनालीराम ने भी उसकी माँ को बारे में बहुत कुछ सुन रखा था लेकिन फिर भी उन्होंने रिश्ते के लिए हामी भर दी।

अब वह रिश्तेदार चमेली के घर पहुँच गया और उसने ये खुशखबरी चमेली को सुनाई। चमेली यह खबर सुनकर बहुत खुश हो गई और उसने बहुत जल्दी शादी का महूर्त निकलवाकर उसे बता दिया। अब उसने महूर्त का समय तेनालीराम को जाकर बता दिया। तेनालीराम ने उसे खिला-पिलाकर विदा किया। उसके जाने के बाद तेनालीराम सोचने लगे कि अब छोटा भाई कहाँ से लाया जाएं? मेरा तो कोई छोटा भाई हैं ही नहीं।

छोटे भाई की खोज में वह नगर की ओर चल पढ़े। वहाँ उन्होंने एक परेशान नौजवान युवक को देखा। तेनालीराम ने उसके पास जाकर उसकी परेशानी का कारण पूछा तो उसने सारी बात बता डाली। तेनालीराम ने उसे काम देने का वादा कर लिया लेकिन उसके सामने एक शर्त रख दी।

उसने तेनालीराम से शर्त के बारे में पूछा।
तेनालीराम बोले, "मैं जिससे कहूँ तुम्हे उस लड़की से शादी करनी पड़ेगी।"
वह युवक तैयार हो गया।

महूर्त के अनुसार उसका विवाह हो गया। चांदकुमारी को विदा करते समय उसकी माँ ने उसे भी अपने पति को रोज़ जूते मारने की सलाह दी। चमेली बोली, "बेटी मैंने तेरे पिता को अपने वश में कर रखा हैं। अगर तू भी अपने पति को अपने वश में रखना चाहती हैं तो तू अपने पति को सात की जगह रोज़ पंद्रह जूते मरना।"

चांदकुमारी ने अपनी माँ की बातों पर हामी भर दी। अब जैसे ही बेटी चल दी तो चमेली ने माधो को उसके साथ जाने के लिए कहा। बेचारा माधो अपनी बेटी के साथ उसके ससुराल चला गया।चांदकुमारी ने ससुराल आकर देखा की तेनालीराम और उसके पति का स्वभाव तो बहुत अक्खड़ हैं। वह उनसे डरकर रहने लगी लेकिन वह फिर भी अपने पति को जैसे-तैसे रोज़ पंद्रह जूते मार ही देती थी।

वही जब तेनालीराम ने माधो का टूटा बदन देखा तो वह समझ गया की यह जरुर सब उसकी पत्नी की वजह से ही ऐसा हैं। तब तेनालीराम ने माधो को चार-पांच महीने अपने पास रखकर उसे मोटा-तगड़ा कर दिया और फिर उसे अपने घर जाने को कहा।

जब माधो चलने लगा तो तेनालीराम ने उसे एक मोटा सा लोहा चढ़ा डंडा देते हुए कहा, "डरने से कुछ नहीं होगा, यह सब तुम्हारी ही कमी हैं अगर तुम पहले से ही कठोर बनकर रहते तो ऐसा कभी नहीं होता।" 
तेनालीराम की बात सुनकर माधो अच्छे से समझ चूका था कि तेनालीराम क्या कहना चाहते हैं। 

डंडा लेकर माधो अपने घर पहुँच गया। माधो को घर देखकर चमेली बहुत खुश हो गई। उसने पहले तो माधो का अच्छी तरह स्वागत किया और फिर उसे पीढ़े पर बिठाकर जूता लेने चली गई। वह मन ही मन बहुत खुश थी कि अब तो उसका पति मोटा हो गया हैं और वैसे भी मैंने कितने महीने से उसे जूते से नहीं मारा। अब तो जूते मरने में बहुत ही मज़ा आएगा। 

जैसे ही वो जूता लाकर माधो को मरने चली तो माधो ने उसे डंडे से पीटना शुरू कर दिया। चमेली जोर-जोर से चिल्लाने लगी। जिसकी वजह से आसपास के लोग वहाँ आ गए और जैसे-तैसे उसे पीटने से बचाया। उसके बाद से उसने कभी भी माधो को नही मारा और अब वह जैसा कहता चमेली वैसा ही करती। अपने पति का ये रूप देखकर चमेली ने अपनी बेटी भी समझा दिया कि ज़िन्दगी में वो ऐसी गलती कभी ना करें। हमेशा अपने पति की बात माना करें। दोनों आपस में प्यार से रहने लगे और एक दूसरे पर कभी भी हाथ नहीं उठाया।

शिक्षा - 

प्यारे दोस्तों! "भले ही इस कहानी में हाथ उठाने के बारे में कहा गया हो पर हमें कभी भी किसी पर हाथ नहीं उठाना चाहिए। जो व्यवहार अपने लिए ना पसंद हो उसे दूसरों के साथ ना करें।"

आशा करते हैं कि आपको यह तेनालीराम की कहानी अच्छी लगी होगी। यदि आपके पास भी उनकी कुछ कहानियां हैं तो हमें जरुर लिख भेजिए। साथ ही हमें कमेंट सेक्शन में लिखकर जरूर बताइएगा कि आपको यह कहानी कैसी लगी और प्लीज हमारी इस पोस्ट को जरूर शेयर कीजिएगा। हम जल्द ही एक नई कहानी के साथ लौटेंगे तब तक आप अपना ध्यान रखना ना भूलें और खुश रहिए।
"धन्यवाद।"

Story By - Tenali Ram Tales

No comments:

Post a Comment

Note: Only a member of this blog may post a comment.