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अन्धी बुढिया की चतुराई से गणेशजी हुए प्रसन्न | Mythological Story

आज हम जो कहानी शेयर कर रहे हैं यह गणेश जी की बहुत ही प्रसिद्ध कहानी है। इससे ना सिर्फ कहानी के रूप में बल्कि कई व्रत में कथा के रूप में भी सुनाया जाता है।

एक अन्धी बुढिया थी जिसका एक लड़का और बहु थी। वो बहुत गरीब था। वह अन्धी बुढिया नित्यप्रति गणेश जी की पूजा किया करती थी। गणेश जी साक्षात् सन्मुख आकर कहते थे कि बुढिया माँ तू जो चाहे सो मांग ले| बुढिया कहती है, मुझे मांगना नहीं आता तो कैसे और क्या मांगू। तब गणेश जी बोले कि अपने बहु बेटे से पूछकर मांग ले।

तब बुढिया ने अपने पुत्र और बहू से पूछा तो बेटा बोला कि धन मांग ले और बहु ने कहाँ की पोता मांग लें । तब बुढिया ने सोचा कि यह तो अपने-अपने मतलब की बातें कर रहे है।अतः इस बुढिया ने पड़ोसियों से पूछा तो, पड़ोसियों ने कहा कि बुढिया तेरी थोड़ी सी जिंदगी है। क्यूँ मांगे धन और पोता, तू तो केवल अपने नेत्र मांग ले जिससे तेरी शेष जिंदगी सुख से व्यतीत हो जाए।

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