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चालाक कौवे और दुष्ट सर्प की कहानी | दुष्ट सर्प और कौवे | पंचतंत्र

एक घने जंगल में एक पुराना और विशाल पीपल का पेड़ खड़ा था। इस पेड़ पर एक कौवे और कौवी की जोड़ी ने अपना घोंसला बनाया था। लेकिन, पेड़ के खोखले तने में एक दुष्ट सर्प ने अपना घर बना रखा था। हर साल जब कौवे और कौवी अंडे देते, यह सर्प मौका पाकर अंडे चुपके से खा जाता।

एक दिन, जब कौवे जल्दी भोजन करके लौटे, तो उन्होंने देखा कि सर्प उनके अंडों पर हमला कर रहा है। सर्प के चले जाने के बाद, कौवे ने कौवी को सांत्वना दी और कहा, "प्रिय, हिम्मत मत हारो। अब हमें हमारे दुश्मन का पता चल गया है। हम इसका समाधान ढूंढ लेंगे।"

चालाक कौवे और दुष्ट सर्प की कहानी | दुष्ट सर्प और कौवे | पंचतंत्र

गणेश जी के टूटे दांत की कथा | Mythological Story

प्राचीन समय की बात है, जब देवताओं के लोक में भगवान गणेश रहते थे। गणेश जी को बुद्धि, ज्ञान और समृद्धि का देवता माना जाता है। उनके हाथी जैसे मुख और मोदकों के प्रति उनके प्रेम के कारण, वे सभी के प्रिय थे। एक देर शाम, गणेश जी अपने प्रिय वाहन, मूषक, पर सवार होकर घर लौट रहे थे। उस दिन उन्होंने बहुत सारे मोदक खाए थे और वे उन्हें अपने साथ ले जा रहे थे।

रास्ते में, मूषक गणेश जी और मोदकों के भार को संभाल नहीं सका और थक गया। अचानक, मूषक संतुलन खो बैठा और गिर गया। गणेश जी भी गिर पड़े और मोदक सड़कों पर बिखर गए। गणेश जी ने बिना किसी चिंता के मोदकों को एक-एक कर उठाना शुरू किया, ताकि उनके प्रिय मोदक बर्बाद न हों।

गणेश जी के टूटे दांत की कथा | Mythological Story

Hindi Quote #33

आपके पास जो कुछ भी है, उसे बढ़ा-चढ़ा कर मत बताइए, और ना ही दूसरों से ईर्ष्या कीजिये। जो दूसरों से ईर्ष्या करता है, उसे मन की शांति नहीं मिलती।
- बुद्धा

Hindi Inspirational Quote | www.KWStoryTime.com