एक खूबसूरत गांव था। चारों ओर पहाड़ियों से घिरा हुआ। पहाड़ी के पीछे एक शेर रहता था। जब भी वह ऊंचाई पर चढ़कर गरजता था, तो गांव वाले डर के मारे कांपने लगते थे।
कड़ाके की ठंड का समय था। सारी दुनिया बर्फ से ढंकी हुई थी। शेर बहुत भूखा था। उसने कई दिनों से कुछ नहीं खाया था। शिकार के लिए वह नीचे उतरा और गांव में घुस गया।
वह शिकार की ताक में घूम रहा था। दूर से उसे एक झोपड़ी दिखाई दी। खिड़की में से टिमटिमाते दिए की रोशनी बाहर आ रही थी। शेर ने सोचा यहां कुछ न कुछ खाने को जरूर मिल जाएगा। वह खिड़की के नीचे बैठ गया।
झोपड़ी के अंदर से बच्चे के रोने की आवाज आई। ऊं...आं... ऊं...आं..। वह लगातार रोता जा रहा था। शेर इधर-उधर देखकर मकान में घुसने ही वाला था कि उसे औरत की आवाज आई - "चुप रहे बेटा! देखो लोमड़ी आ रही है। बाप रे, कितनी बड़ी लोमड़ी है? कितना बड़ा मुंह है इसका। कितना बड़ा मुंह है इसका, ओ.. हो.. यह लोमड़ी कितनी डरावनी है।" लेकिन बच्चे ने रोना बंद नहीं किया।
मां ने फिर कहा - "वह देखो, भालू आ गया... भालू खिड़की के बाहर बैठा है। बंद करो रोना नहीं तो भालू अंदर आ जाएगा", लेकिन बच्चे का रोना जारी रहा। उसे डराने का कोई असर नहीं पड़ा।
खिड़की के नीचे बैठा शेर सोच रहा था - "अजीब बच्चा है यह! काश मैं उसे देख सकता। यह न तो लोमड़ी से डरता है, न भालू से।"
उसे फिर जोर की भूख सताने लगी। शेर खड़ा हो गया। बच्चा अभी भी रोए जा रहा था।
"देखो... देखो..." मां की आवाज आई, "देखो शेर आ गया शेर। वह रहा खिड़की के नीचे।" लेकिन बच्चे का रोना फिर भी बंद नहीं हुआ।
यह सुनकर शेर को बहुत ताज्जुब हुआ और बच्चे की बहादुरी से उसको डर लगने लगा। उसे चक्कर आने लगे और बेहोश-सा हो गया।
"उस बच्चे की मां को कैसे पता चला कि मैं खिड़की के पास हूं।" शेर ने सोचा।
थोड़ी देर बाद उसकी जान में जान आई और उसने खिड़की के अंदर झांका। बच्चा अभी भी रो रहा था। उसे शेर का नाम सुनकर भी डर नहीं लगा।
शेर ने आज तक ऐसा कोई जीव नहीं देखा जो उससे न डरता हो। वह तो यही समझता था कि उसका नाम सुनकर दुनिया के सारे जीव डर के मारे कांपने लगते हैं, लेकिन इस विचित्र बच्चे ने मेरी भी कोई परवाह नहीं की। उसे किसी भी चीज का डर नहीं है। शेर का भी नहीं।
अब शेर को चिंता होने लगी। तभी मां की फिर आवाज सुनाई दी। "लो अब चुप रहो। यह देखो किशमिश...।" बच्चे ने फौरन रोना बंद कर दिया। बिलकुल सन्नाटा छा गया।
शेर ने सोचा - "यह किशमिश कौन है? बहुत खूंखार होगा।"
अब तो शेर भी किशमिश के बारे में सोचकर डरने लगा। उसी समय कोई भारी चीज धम्म से उसकी पीठ पर गिरी। शेर अपनी जान बचाकर वहां से भागा। उसने सोचा कि उसकी पीठ पर किशमिश ही कूदा होगा।
असल में उसकी पीठ पर एक चोर कूदा था, जो उस घर में गाय-भैंस चुराने आया था। अंधेरे में शेर को गाय समझकर वह छत पर से उसकी पीठ पर कूद गया।
डरा तो चोर भी। उसकी तो जान ही निकल गई जब उसे पता चला कि वह शेर की पीठ पर सवार है, गाय की पीठ पर नहीं।
शेर बहुत तेजी से पहाड़ी की ओर दौड़ा, ताकि किशमिश नीचे गिर पड़े, लेकिन चोर ने भी कसकर शेर को पकड़ रखा था। वह जानता था कि यदि वह नीचे गिरा तो शेर उसे जिंदा नहीं छोड़ेगा।
शेर को अपनी जान का डर था और चोर को अपनी जान का।
थोड़ी देर में सुबह का उजाला होने लगा। चोर को एक पेड़ की डाली दिखाई दी। उसने जोर से डाली पकड़ी और तेजी से पेड़ के ऊपर चढ़कर छिप गया। शेर की पीठ से छुटकारा पाकर उसने चैन की सांस ली।
शेर ने भी चैन की सांस ली और भगवान का धन्यवाद देते हुए कहा - "भगवान को धन्यवाद मेरी जान बचाने के लिए। किशमिश तो सचमुच बहुत भयानक जीव है"
आखिरकार शेर भूखा-प्यासा ही वापस पहाड़ी पर अपनी गुफा में चला गया।
प्यारे दोस्तों! "जिस तरह शेर किशमिश का नाम सुनकर इतना भयभीत हो गया की डर के मारे भागने लगा और अपने पेट पर बैठे हुए आदमी को ना पहचान सका। ठीक उसी तरह कई बार हम भी कुछ बातों से इतनी ज्यादा भी भयभीत हो जाते हैं, कि सच को नहीं देख पाते। जीवन में कभी किसी कारण से अगर आप भी भयभीत हो जाए तो कुछ समय का वक्त लें और ध्यान से सोचिए कि क्या सच में चीजें बहुत डरावनी है, हो सकता है वह इतनी डरावनी ना हो जितनी आप सोच रहे हैं।"
यदि आपको यह कहानी पसंद आई हो तो हमें कमेंट बॉक्स में लिख कर जरूर बताएं और अगर आप लोगों के पास भी बच्चों की मजेदार कहानियां हो तो हमें लिखकर भेजना ना भूले। दोस्तों! हमारी वेबसाइट को आपके सहयोग और प्यार की जरूरत है, इसलिए हमारी पोस्ट को शेयर करना ना भूले। आप सभी के सहयोग का बहुत-बहुत धन्यवाद।
हम जल्द ही आपसे अगली कहानी के साथ मिलेंगे। तब तक अपना ध्यान रखिए और खुश रहें।
Story By - Internet
Post By - Khushi
कड़ाके की ठंड का समय था। सारी दुनिया बर्फ से ढंकी हुई थी। शेर बहुत भूखा था। उसने कई दिनों से कुछ नहीं खाया था। शिकार के लिए वह नीचे उतरा और गांव में घुस गया।
वह शिकार की ताक में घूम रहा था। दूर से उसे एक झोपड़ी दिखाई दी। खिड़की में से टिमटिमाते दिए की रोशनी बाहर आ रही थी। शेर ने सोचा यहां कुछ न कुछ खाने को जरूर मिल जाएगा। वह खिड़की के नीचे बैठ गया।
झोपड़ी के अंदर से बच्चे के रोने की आवाज आई। ऊं...आं... ऊं...आं..। वह लगातार रोता जा रहा था। शेर इधर-उधर देखकर मकान में घुसने ही वाला था कि उसे औरत की आवाज आई - "चुप रहे बेटा! देखो लोमड़ी आ रही है। बाप रे, कितनी बड़ी लोमड़ी है? कितना बड़ा मुंह है इसका। कितना बड़ा मुंह है इसका, ओ.. हो.. यह लोमड़ी कितनी डरावनी है।" लेकिन बच्चे ने रोना बंद नहीं किया।
मां ने फिर कहा - "वह देखो, भालू आ गया... भालू खिड़की के बाहर बैठा है। बंद करो रोना नहीं तो भालू अंदर आ जाएगा", लेकिन बच्चे का रोना जारी रहा। उसे डराने का कोई असर नहीं पड़ा।
खिड़की के नीचे बैठा शेर सोच रहा था - "अजीब बच्चा है यह! काश मैं उसे देख सकता। यह न तो लोमड़ी से डरता है, न भालू से।"
उसे फिर जोर की भूख सताने लगी। शेर खड़ा हो गया। बच्चा अभी भी रोए जा रहा था।
"देखो... देखो..." मां की आवाज आई, "देखो शेर आ गया शेर। वह रहा खिड़की के नीचे।" लेकिन बच्चे का रोना फिर भी बंद नहीं हुआ।
यह सुनकर शेर को बहुत ताज्जुब हुआ और बच्चे की बहादुरी से उसको डर लगने लगा। उसे चक्कर आने लगे और बेहोश-सा हो गया।
"उस बच्चे की मां को कैसे पता चला कि मैं खिड़की के पास हूं।" शेर ने सोचा।
थोड़ी देर बाद उसकी जान में जान आई और उसने खिड़की के अंदर झांका। बच्चा अभी भी रो रहा था। उसे शेर का नाम सुनकर भी डर नहीं लगा।
शेर ने आज तक ऐसा कोई जीव नहीं देखा जो उससे न डरता हो। वह तो यही समझता था कि उसका नाम सुनकर दुनिया के सारे जीव डर के मारे कांपने लगते हैं, लेकिन इस विचित्र बच्चे ने मेरी भी कोई परवाह नहीं की। उसे किसी भी चीज का डर नहीं है। शेर का भी नहीं।
अब शेर को चिंता होने लगी। तभी मां की फिर आवाज सुनाई दी। "लो अब चुप रहो। यह देखो किशमिश...।" बच्चे ने फौरन रोना बंद कर दिया। बिलकुल सन्नाटा छा गया।
शेर ने सोचा - "यह किशमिश कौन है? बहुत खूंखार होगा।"
अब तो शेर भी किशमिश के बारे में सोचकर डरने लगा। उसी समय कोई भारी चीज धम्म से उसकी पीठ पर गिरी। शेर अपनी जान बचाकर वहां से भागा। उसने सोचा कि उसकी पीठ पर किशमिश ही कूदा होगा।
असल में उसकी पीठ पर एक चोर कूदा था, जो उस घर में गाय-भैंस चुराने आया था। अंधेरे में शेर को गाय समझकर वह छत पर से उसकी पीठ पर कूद गया।
डरा तो चोर भी। उसकी तो जान ही निकल गई जब उसे पता चला कि वह शेर की पीठ पर सवार है, गाय की पीठ पर नहीं।
शेर बहुत तेजी से पहाड़ी की ओर दौड़ा, ताकि किशमिश नीचे गिर पड़े, लेकिन चोर ने भी कसकर शेर को पकड़ रखा था। वह जानता था कि यदि वह नीचे गिरा तो शेर उसे जिंदा नहीं छोड़ेगा।
शेर को अपनी जान का डर था और चोर को अपनी जान का।
थोड़ी देर में सुबह का उजाला होने लगा। चोर को एक पेड़ की डाली दिखाई दी। उसने जोर से डाली पकड़ी और तेजी से पेड़ के ऊपर चढ़कर छिप गया। शेर की पीठ से छुटकारा पाकर उसने चैन की सांस ली।
शेर ने भी चैन की सांस ली और भगवान का धन्यवाद देते हुए कहा - "भगवान को धन्यवाद मेरी जान बचाने के लिए। किशमिश तो सचमुच बहुत भयानक जीव है"
आखिरकार शेर भूखा-प्यासा ही वापस पहाड़ी पर अपनी गुफा में चला गया।
शिक्षा -
प्यारे दोस्तों! "जिस तरह शेर किशमिश का नाम सुनकर इतना भयभीत हो गया की डर के मारे भागने लगा और अपने पेट पर बैठे हुए आदमी को ना पहचान सका। ठीक उसी तरह कई बार हम भी कुछ बातों से इतनी ज्यादा भी भयभीत हो जाते हैं, कि सच को नहीं देख पाते। जीवन में कभी किसी कारण से अगर आप भी भयभीत हो जाए तो कुछ समय का वक्त लें और ध्यान से सोचिए कि क्या सच में चीजें बहुत डरावनी है, हो सकता है वह इतनी डरावनी ना हो जितनी आप सोच रहे हैं।"
यदि आपको यह कहानी पसंद आई हो तो हमें कमेंट बॉक्स में लिख कर जरूर बताएं और अगर आप लोगों के पास भी बच्चों की मजेदार कहानियां हो तो हमें लिखकर भेजना ना भूले। दोस्तों! हमारी वेबसाइट को आपके सहयोग और प्यार की जरूरत है, इसलिए हमारी पोस्ट को शेयर करना ना भूले। आप सभी के सहयोग का बहुत-बहुत धन्यवाद।
हम जल्द ही आपसे अगली कहानी के साथ मिलेंगे। तब तक अपना ध्यान रखिए और खुश रहें।
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Post By - Khushi
NICE,,,,, MOTIVATION STORY
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