खूबसूरत जंगल था, वहां बहुत सारे जानवर एक साथ खुशी से रहते थे। जंगल के सभी जानवर शेर, हाथी, जिराफ, कछुआ, भालू, बंदर और अन्य सभी जानवर एक साथ मिलजुल कर रहते थे। काफी समय से शेर किसी समझदार जानवर को अपना मंत्री बनाना चाहता था।
एक दिन उस जंगल में एक चील उड़ कर आया, जिसका नाम था चेपू चील। चील का सभी जानवरों ने स्वागत किया। चेपू चील आसमान में दूर-दूर तक उड़ सकता था, वह दूसरे जंगल से आया था, बाकी सभी जानवरों ने जब उसके उड़ने की तारीफ की तो वह फूला नहीं समाया। चेपू को अपनी तारीफ सुनकर बहुत अच्छा लगा, उसने सोचा कि क्यों ना मैं अपने बारे में और ज्यादा बढ़ा चढ़ाकर बताऊं, आखिर किसी को क्या पता चलेगा कि मैं झूठ बोल रहा हूं, यहां तो कोई मुझे जानता भी नहीं है।
चेपू चील ने जंगल के सभी जानवरों को झूठ-झूठ बोलना शुरु कर दिया कि वह बहुत सारे जंगलों से घूम कर आया है, उसके पास तो बहुत सारा खजाना है, दूसरे जंगल के राजा उसे खाने के लिए स्वादिष्ट भोजन देते हैं, और इसी तरह से वह हर दिन अपनी तारीफों के पुल बांधता और जानवरों से झूठ बोलता रहता। चेपू चील को पता भी नहीं चला कि कब उसे इतनी ज्यादा झूठ बोलने की आदत पड़ गई। वह हर दिन जानवरों को बताता रहता कि जिस भी जंगल में वह जाता है वहां के राजा उसे मंत्री बना लेते हैं और उसे बहुत सारे उपहार मिलते हैं।
उसी जंगल में गोलू नाम का हाथी रहता था, वह समझदार था। उसने जब चेपू चील की बातें सुनी तो उसे लगा कि यह चील तो दिन-भर फेकता रहता है। आखिर इतने सारे जंगलों में यह कैसा चला गया और कैसे हर जंगल के राजा ने इसे अपना मंत्री बनाकर रखा था। उसने चेपू को समझाते हुए कहा, भाई चील तुम्हें इतना नहीं फेंकना चाहिए, आखिरी कैसे हो सकता है कि तुम हर जंगल के ही मंत्री बन जाते हो। अगर तुम किसी एक जंगल के मंत्री होते तो तुम उसी जंगल में रहते ना बाकी जंगलों में क्यों जाते। चेपू चील ने गोलू हाथी की बात सुनकर, उसे अनसुनी कर दिया और वहां से चला गया।
दरअसल सच तो यह बात थी कि चेपू चील किसी भी जंगल का मंत्री नहीं था। उसके पास तो अपना घर भी नहीं था और ना ही किसी ने उसे उपहार दिए हुए थे। वह तो दर-दर भटक रहा था और भटकते-भटकते इस जंगल में पहुंचा था। उसके पास तो खाने के लिए भी कुछ नहीं था।
चेपू चील की बड़ी-बड़ी कहानियां सुनकर राजा शेर ने सोचा कि अगर इतने सारे जंगलों के राजा ने उसे अपना मंत्री बनाया है तो क्यों ना मैं भी उसे अपना मंत्री बनाऊं। राजा शेर ने अपने दो सिपाही,अकुम और बकुम जोकि 2 जिराफ थे उन्हें बुलाया। उन दोनों जिराफ के साथ राजा शेर चेपू चील से मिलने पहुंचे।
उस वक्त चील सभी जानवरों के साथ जंगल के बीचो-बीच बैठा हुआ था और अपने तारीफों के पुल बांध रहा था। वह सबको बता रहा था कि पास के ही जंगल के राजा ने उसे अपना मंत्री बनाने के लिए बुलाया है।
जब अकुम जिराफ चेपू चील के पास पहुंचा, उसने कहा कि "चेपू चील! मैं राजा का संदेशा तुम्हें सुनाना चाहता हूं वह तुम्हें अपना....."
जिराफ अपनी बात खत्म ही नहीं कर पाया था कि इतने में चेपू बोला, "और पता है दूसरे जंगल के राजा रहने के लिए घर देंगे, खाने के लिए पकवान देंगे और साथ में हर दिन नए-नए उपहार भी मिलेंगे।"
जिराफ ने फिर से अपनी बात कहने की कोशिश की पर चेपू चील ने उसे अनसुना कर दिया और वापस से अपने तारीफों के पुल बांधने लगा।
यह सब राजा शेर सुन रहे थे, उन्हें लगा के चेपू को अपना मंत्री बनाया नहीं जा सकता वह तो कुछ दिनों में ही यह जंगल छोड़कर पास वाले जंगल में चला जाएगा। राजा शेर ने जिराफ को अपने पास वापस बुलाने के लिए आवाज थी।
यह सब देख गोलू हाथी ने जिराफ से पूछा, आखिर तुम चेपू चील को क्या बोलना चाहते थे? जिराफ ने बताया कि हमारे राजा चेपू चील को अपना मंत्री बनाना चाहते थे। वह उसे रहने के लिए घर भी देने वाले थे और खाने का सामान भी।
इतने पर राजा शेर ने कहा, "हां चेपू! हम चाहते थे कि तुम हमारे मंत्री बनो पर तुम्हें तो पास के जंगल वालों ने अपना मंत्री बनाने के लिए बुलाया है और हम उनकी तरह तुम्हें हर दिन ढेर सारे उपहार नहीं दे सकते। बेहतर यही होगा कि तुम पास वाले जंगल चले जाओ और वहां के मंत्री बनो।"
चेपू चील को यह सुनकर पछतावा हो रहा था क्योंकि उसके पास ना तो अपना घर था और ना ही खाने का कुछ सामान और ना ही पास वाले जंगल में उसे किसी ने, अपना मंत्री बनाने के लिए बुलाया था। पर अब देर हो चुकी थी राजा ने अपना निर्णय सुना दिया था और चेपू को वहां से चले जाने के लिए कह दिया था।
गोलू हाथी ने चेपू चील से कहा, देखा मैंने कहा था ना इतना झूठ नहीं बोलना चाहिए। अगर तुमने सच बोला होता तो तुम आज यहां के मंत्री बन सकते थे। गोलू हाथी ने बाकी जानवरों को भी समझाते हुए कहा कि हमें झूठ नहीं बोलना चाहिए। सभी जानवरों ने गोलू हाथी की हां में हां मिलाई और चेपू चील पर हंसने लगे। चेपू वहां से अपना दुखी सा मुंह लिए हुए उड़ गया। चेपू चील को अपना सबक मिल चुका था।
आशा करती हूं आपको यह कहानी पसंद आई होगी। यदि हां, तो हमें कमेंट बॉक्स में लिख कर जरूर बताएं और अगर आप लोगों के पास भी मजेदार कहानियां हो तो हमें लिखकर भेजना ना भूले। दोस्तों! हमारी वेबसाइट को आपके सहयोग और प्यार की जरूरत है, इसलिए हमारी पोस्ट को शेयर करना ना भूले। आप सभी के सहयोग का बहुत-बहुत धन्यवाद। हम जल्द ही आपसे अगली कहानी के साथ मिलेंगे। तब तक अपना ध्यान रखिए और खुश रहें।
Story By - Khushi
Inspired By - Old Tale
Post By - Khushi
एक दिन उस जंगल में एक चील उड़ कर आया, जिसका नाम था चेपू चील। चील का सभी जानवरों ने स्वागत किया। चेपू चील आसमान में दूर-दूर तक उड़ सकता था, वह दूसरे जंगल से आया था, बाकी सभी जानवरों ने जब उसके उड़ने की तारीफ की तो वह फूला नहीं समाया। चेपू को अपनी तारीफ सुनकर बहुत अच्छा लगा, उसने सोचा कि क्यों ना मैं अपने बारे में और ज्यादा बढ़ा चढ़ाकर बताऊं, आखिर किसी को क्या पता चलेगा कि मैं झूठ बोल रहा हूं, यहां तो कोई मुझे जानता भी नहीं है।
चेपू चील ने जंगल के सभी जानवरों को झूठ-झूठ बोलना शुरु कर दिया कि वह बहुत सारे जंगलों से घूम कर आया है, उसके पास तो बहुत सारा खजाना है, दूसरे जंगल के राजा उसे खाने के लिए स्वादिष्ट भोजन देते हैं, और इसी तरह से वह हर दिन अपनी तारीफों के पुल बांधता और जानवरों से झूठ बोलता रहता। चेपू चील को पता भी नहीं चला कि कब उसे इतनी ज्यादा झूठ बोलने की आदत पड़ गई। वह हर दिन जानवरों को बताता रहता कि जिस भी जंगल में वह जाता है वहां के राजा उसे मंत्री बना लेते हैं और उसे बहुत सारे उपहार मिलते हैं।
उसी जंगल में गोलू नाम का हाथी रहता था, वह समझदार था। उसने जब चेपू चील की बातें सुनी तो उसे लगा कि यह चील तो दिन-भर फेकता रहता है। आखिर इतने सारे जंगलों में यह कैसा चला गया और कैसे हर जंगल के राजा ने इसे अपना मंत्री बनाकर रखा था। उसने चेपू को समझाते हुए कहा, भाई चील तुम्हें इतना नहीं फेंकना चाहिए, आखिरी कैसे हो सकता है कि तुम हर जंगल के ही मंत्री बन जाते हो। अगर तुम किसी एक जंगल के मंत्री होते तो तुम उसी जंगल में रहते ना बाकी जंगलों में क्यों जाते। चेपू चील ने गोलू हाथी की बात सुनकर, उसे अनसुनी कर दिया और वहां से चला गया।
दरअसल सच तो यह बात थी कि चेपू चील किसी भी जंगल का मंत्री नहीं था। उसके पास तो अपना घर भी नहीं था और ना ही किसी ने उसे उपहार दिए हुए थे। वह तो दर-दर भटक रहा था और भटकते-भटकते इस जंगल में पहुंचा था। उसके पास तो खाने के लिए भी कुछ नहीं था।
चेपू चील की बड़ी-बड़ी कहानियां सुनकर राजा शेर ने सोचा कि अगर इतने सारे जंगलों के राजा ने उसे अपना मंत्री बनाया है तो क्यों ना मैं भी उसे अपना मंत्री बनाऊं। राजा शेर ने अपने दो सिपाही,अकुम और बकुम जोकि 2 जिराफ थे उन्हें बुलाया। उन दोनों जिराफ के साथ राजा शेर चेपू चील से मिलने पहुंचे।
उस वक्त चील सभी जानवरों के साथ जंगल के बीचो-बीच बैठा हुआ था और अपने तारीफों के पुल बांध रहा था। वह सबको बता रहा था कि पास के ही जंगल के राजा ने उसे अपना मंत्री बनाने के लिए बुलाया है।
जब अकुम जिराफ चेपू चील के पास पहुंचा, उसने कहा कि "चेपू चील! मैं राजा का संदेशा तुम्हें सुनाना चाहता हूं वह तुम्हें अपना....."
जिराफ अपनी बात खत्म ही नहीं कर पाया था कि इतने में चेपू बोला, "और पता है दूसरे जंगल के राजा रहने के लिए घर देंगे, खाने के लिए पकवान देंगे और साथ में हर दिन नए-नए उपहार भी मिलेंगे।"
जिराफ ने फिर से अपनी बात कहने की कोशिश की पर चेपू चील ने उसे अनसुना कर दिया और वापस से अपने तारीफों के पुल बांधने लगा।
यह सब राजा शेर सुन रहे थे, उन्हें लगा के चेपू को अपना मंत्री बनाया नहीं जा सकता वह तो कुछ दिनों में ही यह जंगल छोड़कर पास वाले जंगल में चला जाएगा। राजा शेर ने जिराफ को अपने पास वापस बुलाने के लिए आवाज थी।
यह सब देख गोलू हाथी ने जिराफ से पूछा, आखिर तुम चेपू चील को क्या बोलना चाहते थे? जिराफ ने बताया कि हमारे राजा चेपू चील को अपना मंत्री बनाना चाहते थे। वह उसे रहने के लिए घर भी देने वाले थे और खाने का सामान भी।
इतने पर राजा शेर ने कहा, "हां चेपू! हम चाहते थे कि तुम हमारे मंत्री बनो पर तुम्हें तो पास के जंगल वालों ने अपना मंत्री बनाने के लिए बुलाया है और हम उनकी तरह तुम्हें हर दिन ढेर सारे उपहार नहीं दे सकते। बेहतर यही होगा कि तुम पास वाले जंगल चले जाओ और वहां के मंत्री बनो।"
चेपू चील को यह सुनकर पछतावा हो रहा था क्योंकि उसके पास ना तो अपना घर था और ना ही खाने का कुछ सामान और ना ही पास वाले जंगल में उसे किसी ने, अपना मंत्री बनाने के लिए बुलाया था। पर अब देर हो चुकी थी राजा ने अपना निर्णय सुना दिया था और चेपू को वहां से चले जाने के लिए कह दिया था।
गोलू हाथी ने चेपू चील से कहा, देखा मैंने कहा था ना इतना झूठ नहीं बोलना चाहिए। अगर तुमने सच बोला होता तो तुम आज यहां के मंत्री बन सकते थे। गोलू हाथी ने बाकी जानवरों को भी समझाते हुए कहा कि हमें झूठ नहीं बोलना चाहिए। सभी जानवरों ने गोलू हाथी की हां में हां मिलाई और चेपू चील पर हंसने लगे। चेपू वहां से अपना दुखी सा मुंह लिए हुए उड़ गया। चेपू चील को अपना सबक मिल चुका था।
शिक्षा -
प्यारे दोस्तों! "हमें कभी भी झूठ नहीं बोलना चाहिए और ना ही अपनी तारीफों के पुल बांधने चाहिए। अगर हमारे पास कोई चीज नहीं है तो कोई बात नहीं, उसके लिए हमें मेहनत करनी चाहिए, ना कि दूसरों से अच्छा दिखने के चक्कर में झूठ बोलना शुरु कर देना चाहिए।"आशा करती हूं आपको यह कहानी पसंद आई होगी। यदि हां, तो हमें कमेंट बॉक्स में लिख कर जरूर बताएं और अगर आप लोगों के पास भी मजेदार कहानियां हो तो हमें लिखकर भेजना ना भूले। दोस्तों! हमारी वेबसाइट को आपके सहयोग और प्यार की जरूरत है, इसलिए हमारी पोस्ट को शेयर करना ना भूले। आप सभी के सहयोग का बहुत-बहुत धन्यवाद। हम जल्द ही आपसे अगली कहानी के साथ मिलेंगे। तब तक अपना ध्यान रखिए और खुश रहें।
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